मोबाइल कैमरा ने फोटोग्राफी का लोकतंत्रीकरण कर दिया

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AI generated symbolic photo
जिन्हें फोटोग्राफी का थोड़ा बहुत भी शौक है वह बढ़िया फोटो खींचने के लिए महंगा से महंगा मोबाइल हाथों में लेकर बड़े अंदाज के साथ चलते हुए आते हैं और फोटो ऐसे क्लिक करते हैं कि आपकों पता भी न चलें और फोटो क्लिक हो जायें । मोबाइल कैमरा ने फोटोग्राफी का लोकतंत्रीकरण कर दिया और सबके हाथ में कैमरा पकड़ा दिया कि वे जायें और संसार से संसार को खींच कर लायें।

– विवेक कुमार मिश्र

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डॉ विवेक कुमार मिश्र

फोटो खींचना एक कला है। फोटो एक समय की उपस्थिति, एक क्षण को अनंत आकाश में टांग देने , एक समय की उपस्थिति को शाश्वत उपस्थिति के रूप में सामने रख देने के लिए कला रूप में समाने आती है । एक समय को बार बार उसी रूप में देखते रहने के लिए या कहें कि देखें जाने के लिए यदि कोई उपाय है तो वह फोटो खींच लेना है । यह फोटो स्थिर भी हो सकता है और गतिशील चलते फिरते सहज गति में भी हो सकता है ।‌ कहते हैं कि जब फोटो सहज ढ़ंग से खींच जाता है तो उसे देखते ही बनता है । कुछ कुछ फोटो ऐसे होते हैं कि बार बार उन्हें ही आदमी देखता रहता है । वैसे भी अपने फोटो सभी को अच्छे लगते हैं और हर आदमी समय काल की उपलब्धता में फोटो खिंचवाता रहता है । फोटो खींचवाने से यह भी पता चलता है कि इस समय आप ऐसे थे और अब इस समय ऐसे दिख रहे हैं, समय के साथ जो अंतर आता जाता है उस हिसाब से जरूर फोटो फ्रेमिंग करना चाहिए । यह देखना चाहिए कि पिछले दशक में आप कहां थे , कैसे थे तो इस बात को कोई और नहीं आपके फोटोग्राफ ही बतायेंगे । आप क्या कुछ कर रहे थे या कुछ नहीं कर रहे थे या बस फोटो ही खींचा रहे थे तो यह सब कहानी की तरह फोटो ही सुनाता जाता है ।
लोग-बाग समय और महत्वपूर्ण अवसरों को पढ़ने और जानने के लिए फोटो खींचवाते रहते हैं । कुछ लोगों को फोटो का क्रेज भी होता है वो हर बात में फोटो के लिए मुख मुद्रा बनाकर बैठ जाते हैं तो कुछ ऐसे भी होते हैं कि फोटो फ्रेम में आना ही नहीं चाहते, कन्नी काट कर फोटोशूट समय से फिसल जाते हैं या इस तरह से दुबक कर कहीं कोने में खड़े हो जाते हैं कि उपस्थिति भी अनुपस्थिति की तरह दिखाई दें और किसी को कुछ पता भी न चलें कि फोटो में कौन कहां है कैसे है और किस तरह फोटो के सहारे अपनी छवियां बनाता रचता है । कई लोगों को फोटो में ही सब कुछ नज़र आता है । ये कोई अवसर नहीं छोड़ते , कोई दशा नहीं छोड़ते कैसे भी हालात और समय क्यों न हो ये फोटो खींच लेने का समय निकाल ही लेते हैं । बहुत सारे लोग फोटो के साथ ही जीवंत हो जाते हैं, फोटो से उन्हें उर्जा मिलती है और बढ़िया क्लिक उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है । ये कला के , फोटोग्राफी के पारखी लोग होते हैं । इन्हें यह समझ होती है कि कब क्या सही लगेगा और कौन फोटो क्या कह रहा है या क्या कहेगा इसे वे समझते और पढ़ते हैं ऐसे लोग उन लोगों से फोटो खीचवाना पसंद करते हैं जो फोटोग्राफी में तकनीकी रूप से दक्ष होते हैं जिनके हाथों लाखों फोटो क्लिक किया गया हो और वो यदि मन से आपका फोटो खींच रहे हैं तो उस फोटो की बात ही अलग होती है । ऐसे लोग बता कर फोटो नहीं खींचते बल्कि अपने फोटो में आपको किसी विशेष मुद्रा में, विशेष दशा में पकड़ लेते हैं और यह फोटो एक अनूठा अनुभव संसार बन जाता है । अब जैसे कि जैदी भाई हैं, मन से फोटो खींचते रहते हैं, फोटोग्राफी उनके लिए पूरा जीवन संसार है कौन सी चिड़िया कितनी ऊंचाई पर उड़ रही है और इस समय उसका क्या व्यवहार होगा इसके फोटोग्राफ भी उनके पास खींचे हुए मिल जायेंगे और कब कौन कहां क्या कर रहा था इसके फोटो भी उनके पास मिल जायेंगे । फोटो का अपना समय और अपना इतिहास सब उनके पास से रह रह कर बोलता रहता है । अब समय पूरी तरह से बदलता जा रहा है अब अलग से कैमरा संभालने की जरूरत नहीं है मोबाइल कैमरा भी इतने पावरफुल आ गये हैं कि आकाशगंगा का ही बैठे बैठे फोटो खींच लें । अब जिन्हें फोटोग्राफी का थोड़ा बहुत भी शौक है वह बढ़िया फोटो खींचने के लिए महंगा से महंगा मोबाइल हाथों में लेकर बड़े अंदाज के साथ चलते हुए आते हैं और फोटो ऐसे क्लिक करते हैं कि आपकों पता भी न चलें और फोटो क्लिक हो जायें । मोबाइल कैमरा ने फोटोग्राफी का लोकतंत्रीकरण कर दिया और सबके हाथ में कैमरा पकड़ा दिया कि वे जायें और संसार से संसार को खींच कर लायें । दुनिया का यदि आपने कोई फोटो नहीं लिया तो दुनिया में होने का भला अर्थ ही क्या ? यह दुनिया इसलिए थोड़े ही है कि एक जगह चुप मार कर बैठे रहो । अरे भाई ! कुछ बाहर निकलों संसार को देखों, संसार को जीना सीखों और इस संसार का कुछ अपना फोटो लों । दुनिया में हो तो दुनिया की निशानी भी अपने साथ रखते चलों । इस तरह इस समय बहुत सारे लोग निकल पड़े हैं फोटो खींचने, दुनिया को अपनी आंखों से देखने और यह सच है कि दुनिया किसी और की आंखों से नहीं अपनी आंखों से ही देखी जाती है जब आप इस संसार में कैमरा रख कर कुछ क्लिक कर रहे होते हैं तो वह आपकी नज़र में दुनिया की गति ही होती है और यह अवसर इस समय में मोबाइल कैमरा ने लोगों को दे दिया है और साफ साफ कह दिया गया है कि अब तो निकल कर फोटो खींचो अपनी नज़र और अपनी आंखों से दुनिया को देखों कि हां संसार यहां से कैसा दिख रहा है फिर उसे अपने कैमरे में संभाल कर रख लों अब हर बात के लिए फोटोग्राफर को कहां ढ़ूढ़ते रहोंगे। आगे बढ़ों फोटो खींच लों । फोटो खींचना जीवंत कला है। संसार में होने की उपस्थिति है। ‘हैं’ तो फोटो है । फोटो ही अस्तित्व की घोषणा करता रहता है । फोटो और फोटोग्राफी की दुनिया दुनिया भर के संसार से जोड़ती रहती है । फोटो एक समय को पकड़ कर रख लेने की कला है । स्थिर और गतिशील मुद्रा को एक समय में स्थिर कर देने की कला फोटोग्राफी है । फोटोग्राफी में यदि कोई दिलचस्पी रखता है तो यह तय है कि वह समय के एक एक टुकड़े को अलग ढ़ंग से देखने की कला का प्रमाण है । जब आप किसी क्षण को कैमरा की कैद में रखते हैं तो उस क्षण को अपने ढ़ंग से देखने का ही परिणाम होता है । कला एक क्षण की उपस्थिति को शाश्वत रूप में देखते रहने की कला का भी प्रमाण है । कला का क्षण ही आपको संसार को देखने जानने की जरूरत महसूस कराती है । इस समय और इस संसार को छोड़कर कहीं और नहीं जा सकते । इस समय इस संसार का फोटो खींच लेना स्वाभाविक कार्य है। यदि हाथ में कैमरा है, प्रकाश की समझ है और यह समझ है कि किस एंगल से सही फोटो आयेगा तो खींच ही लेना चाहिए फोटो। फोटो खींचना , फोटोग्राफी करना बहुत बड़ी प्रतिभा का काम है । फोटोग्राफी की दुनिया में फोटो आकर अमर हो जाता है , एक समय को अपने साथ बांधकर रख देता है । फोटो एक समय को एक निश्चित कालखंड में कैद कर देना है । आप फ्रेम में आ गए एक समय के साथ आप बंध गए । बार बार फोटो याद दिलाते रहते हैं कि इस समय और इस तरह यह फोटो ले लिया गया । फोटोग्राफी एक दुनिया होती है। हर कोई न तो फोटो खींच सकता और न ही हर कोई कविता , ग़ज़ल, आलोचना लिख सकता । फोटोग्राफी में आप एक क्षण को पकड़ते हैं और वह क्षण अनंत काल तक यात्रा में चलता रहता है । यदि फोटोग्राफी का शौक हो जाये तो आदमी सही ढ़ंग से देखना शुरू करता है । फोटोग्राफी का शौक रामावतार जी को भी बड़े स्तर पर है । बहुत सधी हुई फोटोग्राफी करते हैं । समय की दहलीज पर उपस्थिति को परिभाषित करते हुए बहुत सारे क्लिक वे लेते रहते हैं जो बार बार अपने ही फोटो को देखते रहने को कहता रहता है । मेरी पुस्तक पर उन्हीं का खींचा फोटो है ।
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एफ – 9, समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002(राज.)

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