कांग्रेस के 45 प्रत्याशियों में जाट समुदाय को सर्वाधिक टिकट, एससी को दूसरा स्थान

-जीटी बेल्ट और अहिरवाल में भाजपा का वर्चस्व तोड़ने की कोशिश

 

-राजेन्द्र सिंह जादौन-

चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार देर रात जारी कांग्रेस की दो सूचियों में 45 उम्मीदवारों में भी 13टिकट पाकर जाट शीर्ष पर रहे। लोकसभा चुनाव में जाटों ने कांग्रेस के लिए एकतरफा वोट दिए थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर जाटों पर ज्यादा भरोसा जताया।दोनो सूचियों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा का खास प्रभाव नजर आया। कांग्रेस हाईकमान ने 45 में से 38 टिकट हुड्डा के करीबियों को दिए। विधानसभा चुनाव 2019 के मुकाबले जिन 34 सीटों पर चेहरे बदले गए, उनमें भी 33 हुड्‌डा खेमे के हैं।
टिकटो के वितरण में हुड्‌डा का प्रभाव तब दिखाई दिया था जब हुड्‌डा ने बिना टिकट मिले पलवल सीट से अपने समधी करण दलाल और हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी के बेटे विकास सहारण का कलायत से नामांकन दाखिल करवा दिया था।इन 45 टिकटो में से सांसद कुमारी सैलजा के खाते सिर्फ 4 टिकट आईं। सैलजा खेमे में शामिल रणदीप सुरजेवाला को भी हाईकमान ने दो टिकट देकर किनारे कर दिया। कैथल से सुरजेवाला के बेटे और नरवाना से उनके करीबी सतबीर दबलेन को टिकट मिला है।
कांग्रेस के हुड्‌डाकरण का ही प्रभाव है कि 2019 ही नहीं बल्कि 2005 से हुड्डा ने खुद से जुड़े नेताओं या उनके रिश्तेदारों को टिकट दिलाई। इनमें बड़खल से 2009 में विधायक रहे महेंद्र प्रताप के बेटे विजय प्रताप, पृथला से 2009 में विधायक रहे रघुवीर तेवतिया, पलवल से 2005 में विधायक रहे करण दलाल, हथीन से 2009 में विधायक रहे जलेब खान के बेटे मुहम्मद इजराइल और अटेली से 2009 में विधायक रहीं अनीता यादव का नाम शामिल है। यह सभी लोग हुड्‌डा की अगुवाई वाली दो सरकारों में उनके साथ रहे।
कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के पुरजोर विरोध के बावजूद हुड्‌डा लगातार दो चुनाव हार चुके अपने करीबियों को भी टिकट दिलाने में कामयाब रहे। इनमें नारनौल से राव नरिंदर, बरवाला से रामनिवास घोड़ेला और पृथला से रघुवीर तेवतिया का नाम शामिल रहा। राव नरिंदर 2009 में हजकां की टिकट पर जीते और उसके बाद हुड्‌डा से जुड़ गए थे।
सिरसा से 9 दिन पहले कांग्रेस में आए गोकुल सेतिया और हांसी से पूर्व जेजेपी नेता राहुल मक्कड़ को टिकट दिलाने में भी हुड्‌डा खेमा सफल रहा। आदमपुर सीट से पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्रशेखर को मिली टिकट के पीछे भी हुड्‌डा का ही प्रभाव रहा।
कांग्रेस ने जाट वोट बैंक पर ही भरोसा जताया और 45 उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 13 चेहरे जाट समुदाय के हैं। लोकसभा चुनाव में जाट वोटरों ने एकतरफा वोटिंग करते हुए कांग्रेस को सोनीपत, हिसार और रोहतक सीट जिताई थी। नलवा, अंबाला कैंट, कलायत, कैथल, राई, फतेहाबाद और ऐलनाबाद जैसी जाट बहुल सीटों पर जाट नेताओं को टिकट दिया।
कांग्रेस ने 45 में से 10 टिकट ओबीसी वर्ग को दिए। अकेले हिसार जिले में ही ओबीसी वर्ग को 3 टिकट दिए गए। इनमें आदमपुर से पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्रप्रकाश, हिसार से रामनिवास राडा और बरवाला से रामनिवास घोड़ेला शामिल हैं। भाजपा ने नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी कार्ड खेला है। इसी का तोड़ निकालने की कोशिश कांग्रेस ने भी की है।
कांग्रेस ने अपनी तीसरी और चौथी लिस्ट में कुल सात एससी नेताओं को टिकट दिए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की 10 में से दोनों रिजर्व सीटें- अंबाला और सिरसा जीती थी। लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी से जुड़े एससी वोटबैंक को हाईकमान खोना नहीं चाहता। इसलिए उसने एससी वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया है।
पंजाबियों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने 4 पंजाबी चेहरों को टिकट दिए है। इनमें सिरसा से गोकुल सेतिया, पानीपत शहरी से वरिंदर कुमार शाह, हांसी से राहुल मक्कड़ और अंबाला कैंट से परविंदर परिमल परी शामिल हैं। सीधे तौर पर इन सीटों पर पंजाबी वोट बैंक प्रभावी है। कांग्रेस ने भाजपा में पंजाबी चेहरों की कमी का लाभ लेने की कोशिश की है। भाजपा के 3 बड़े पंजाबी चेहरों में से मनोहर लाल खट्‌टर केंद्र में जा चुके हैं। अनिल विज अपने क्षेत्र तक सीमित हो चुके हैं। वहीं संजय भाटिया ने चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया।
यमुनानगर से रमन त्यागी और बल्लभगढ़ से पराग शर्मा को टिकट देकर ब्राह्मण प्रतिनिधित्व दिया है। ये दोनों शहरी सीटें हैं। इसके अलावा जगाधरी से अकरम खान और हथीन से मुहम्मद इजराइल को टिकट देकर मुस्लिम वर्ग को साथ रखा। हथीन और नूंह में बड़ा मुस्लिम वोट बैंक है। वहीं जगाधरी में भी मुस्लिम वोट बैंक का असर है। कांग्रेस ने हर जाति को शामिल करने की कोशिश की है। इनमें 2 वैश्य उम्मीदवार जींद से महाबीर गुप्ता और फरीदाबाद से लखन कुमार सिंगला को टिकट दिया है। इन दोनों सीटों पर व्यापारी वोट बैंक ज्यादा है। इसके अलावा घरौंडा से राजपूत वर्ग से वरिंदर सिंह राठौड़ को उतारा है। यहां राजपूत वोट बैंक ज्यादा है। पिहोवा से जट्‌ट सिख मनदीप सिंह चट्‌ठा को टिकट दिया है। पंजाब से सटी इस सीट पर सिख वोट बैंक ज्यादा है।
कांग्रेस ने भाजपा के प्रभाव वाले जीटी रोड बेल्ट में बड़ी सर्जरी की है। 10 साल से सरकार में बैठी भाजपा के खिलाफ भले ही एंटी इनकंबेंसी बताई जा रही हो लेकिन कांग्रेस ने जोखिम नहीं ली। पंचकूला से सोनीपत तक इस बेल्ट की 13 में से 10 सीटों पर 2019 के मुकाबले चेहरे बदल दिए। इनमें से कुछ भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के 10 से 15 साल पुराने साथी रहे हैं। खास बात यह भी है कि कांग्रेस ने इस बेल्ट की दो सीटों पर पंजाबी चेहरे भी उतारे हैं।
बागड़ बेल्ट में 2019 में जहां कांग्रेस हारी, वहां कैंडिडेट बदले हैं। कांग्रेस ने भिवानी से हिसार-सिरसा तक की बागड़ बेल्ट में लोकसभा की तरह विधानसभा में भी दबदबा कायम रखने के लिए 9 नए चेहरे उतारे हैं। बाढ़डा, दादरी, नलवा, लोहारू, बवानीखेड़ा, सिरसा, ऐलनाबाद, आदमपुर और हांसी सीट पर चेहरे बदले हैं। 2019 में कांग्रेस यह सारी सीटें हार गई थीं। इस बेल्ट की तीन सीटों- उकलाना नारनौंद व भिवानी में कैंडिडेट का इंतजार है।
बांगर बेल्ट के जींद और कैथल जिलों में पार्टी ने दिग्गजों पर भरोसा जताया है। जींद शहर को साधने के लिए उसने पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता के बेटे महाबीर गुप्ता पर भरोसा जताया है। कैथल जिले की दो सीटों पर अपने सांसदों जयप्रकाश जेपी और रणदीप सुरजेवाला के बेटों को उतारा है। इस क्षेत्र में कांग्रेस खोई जमीन वापस पाने की तलाश में है।
हिसार से सांसद जेपी के बटे विकास सहारण को कलायत और रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को कैथल से मैदान में उतारा है।
दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल में 7 टिकट दूसरी बार दिए गए और, 5 चेहरे बदले है। 2014 और 2019 में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में अहम रोल इसी इलाके का रहा। इस बार कांग्रेस इसे तोड़ने की कोशिश करती नजर आ रही है। अहीरवाल भाजपा नेता राव इंद्रजीत का गढ़ माना जाता है इसलिए कांग्रेस ने उनके भाई राव यादवेंद्र सिंह का टिकट काट दिया। इस इलाके की 7 सीटों पर कांग्रेस ने टिकट दोहराए हैं वहीं 5 जगह प्रत्याशी बदले हैं।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments