
-देवेंद्र यादव-

भारतीय जनता पार्टी के नेता विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा से पहले और यात्रा के बाद, राजनीतिक हमले करते हुए दिखाई दे रहे थे, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के स्वयंभू कद्दावर नेता, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सवालों का जवाब तक नहीं दे पा रहे थे। कांग्रेस के नेताओं की खामोशी ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के हौसले बुलंद किए। भारतीय जनता पार्टी के नेता तिल का पहाड़ बनाकर राहुल गांधी पर राजनीतिक हमले करते नजर आए।
राहुल गांधी को अपनी अमेरिका यात्रा पूरी करने के बाद मंथन करना होगा कि जब भी वह भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पर राजनीतिक हमले करते हैं तब कांग्रेस के स्वयंभू नेता खामोश क्यों हो जाते हैं, जबकि राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि डरो मत।
कांग्रेस के स्वयंभू नेताओं का डर कैसे निकलेगा यह सबसे बड़ा सवाल है। राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा पर भाजपा के नेताओं द्वारा किए जा रहे राजनीतिक हमले का जवाब कांग्रेस का मीडिया सेल ही देता हुआ नजर आया। कांग्रेस के बड़े नेता भाजपा नेताओं के सवालों का जवाब देते हुए नजर नहीं आए।
2014 के बाद लंबे समय तक राहुल गांधी इसी दौर से गुजरे थे जब वह भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक हमले कर रहे थे तब उनके साथ कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता साथ में नहीं खड़ा था। वह खामोश था जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी ने उठाया, और उसके नेता राहुल गांधी पर राजनीतिक हमले करते हुए नजर आए।
जनता ने भी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा राहुल गांधी और कांग्रेस को लेकर जो भी टिप्पणियां की उन्हें सच माना।
क्या कांग्रेस और उसके स्वयंभू नेता फिर से एक बार वैसे ही गलती कर रहे हैं। इसी गलती के कारण भाजपा मजबूत हुई और लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने में सफल रही। दूसरी ओर कांग्रेस कमजोर हुई और एक दशक से अधिक समय तक सत्ता से बाहर है। मैंने अक्सर देखा है जब राज्य विधानसभाओं के चुनाव होते हैं तब कांग्रेस के स्वयंभू रणनीतिकार राहुल गांधी या सोनिया गांधी को विदेश यात्रा पर भेज देते हैं। जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होते हैं राज्यों के छत्रप अपने मन मुताबिक टिकटों का बंटवारा कर लेते हैं, और उसके बाद परिणाम क्या आता है इसे राहुल गांधी भी समझते हैं। राहुल गांधी अमेरिका में है और हरियाणा में प्रत्याशियों का चयन और घोषणा हो चुकी है राहुल गांधी को तो अमेरिका से आकर केवल प्रचार कर यदि जीत हासिल होती है तो हरियाणा के छत्रपों के हाथ में, खाने की थाली सजा कर देनी है।
हरियाणा में राहुल गांधी के अमेरिका जाते ही आप पार्टी से गठबंधन होने की खबर गायब हो गई और समझौता नहीं हो पाया जबकि राहुल गांधी चाहते थे कि हर हालत में आप पार्टी से समझौता करें। यदि राहुल गांधी अमेरिका की जगह भारत में होते तो शायद हरियाणा में आप पार्टी के साथ कांग्रेस का समझौता हो जाता। राहुल गांधी को अपने स्वयंभू रणनीतिकारों से सावधान रहने की जरूरत है। समझना होगा कि भारतीय जनता पार्टी ने उनकी राजनीतिक छवि पर जो वार किया था उसमें कांग्रेस के छत्रपोंकी खामोशी भी एक कारण था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)