
-जीवन में सफलता के शिखर छूने के बाद भी मन विनम्रता, करुणा और सेवा भाव से सुगंधित रहे : राजेश माहेश्वरी
कोटा। गंगा की पवित्र धारा हमें सिखाती है कि जीवन में सफलता के शिखर छूने के बाद भी मन विनम्रता, करुणा और सेवा भाव से सुगंधित रहना चाहिए। यह प्रेरणादायी विचार एलेन करियर इंस्टीट्यूट, कोटा के निदेशक राजेश माहेश्वरी ने सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेज़र सेंटर, कोटा में आयोजित एक सम्मान समारोह में साझा किए। यह समारोह गोविंद माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी, ब्रजेश माहेश्वरी एवं डॉ. संजय सोनी के योग नगरी ऋषिकेश में दस दिवसीय तीर्थ सेवा पूर्ण कर कोटा लौटने की खुशी में आयोजित हुआ, जिसने सभी के हृदय को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। इस अवसर पर राजेश माहेश्वरी, डॉ. सुरेश कुमार पाण्डेय, डॉ. सत्येन्द्र कुमार गुप्ता, डॉ. निपुण बागरेचा, डॉ. संजय सोनी (एलन–आरोग्यम) सहित कोटा के कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस पल को अविस्मरणीय बनाया। डॉ. सुरेश पाण्डेय ने साध्वी भगवती जी द्वारा लिखित प्रेरणादायी पुस्तक ‘स्वयं की ओर लौटें’ राजेश माहेश्वरी को भेंट की, जो इस समारोह का एक भावपूर्ण क्षण रहा।
राजेश माहेश्वरी ने गंगा को भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का जीवंत प्रतीक बताते हुए कहा, गंगा केवल नदी नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है। उसकी शांत लहरें बिना शोर मचाए मन को सुकून देती हैं और अहंकार की कठोर चट्टानों को धीरे-धीरे घिसकर मिटा देती हैं। हमें भी गंगा की तरह शुद्धता, करुणा और विनम्रता को अपनाकर ऐसी सफलता अर्जित करनी चाहिए, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बने। डॉ. संजय सोनी ने परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती जी के सान्निध्य में बिताए पलों को साझा करते हुए कहा, गंगा दर्शन और गंगा आरती का अनुभव आत्मा को शांति देता है और जीवन को नई दृष्टि प्रदान करता है। यह हमें सिखाता है कि सच्ची सफलता वही है, जो दूसरों के जीवन में उजाला लाए।
डॉ. सत्येन्द्र कुमार गुप्ता ने गंगा को संयम और सौम्यता की गुरु बताते हुए कहा कि गंगा की अविरल धारा हमें सिखाती है कि संतुलन और शांति ही जीवन की सच्ची शक्ति है। डॉ. सुरेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि सफलता का असली सौंदर्य तब है, जब वह सादगी और सेवा के रंगों से सजा हो। गंगा हमें यही संदेश देती है कि अपने कार्यों से समाज को बेहतर बनाएँ। डॉ. निपुण बागरेचा ने गंगा को ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक बताते हुए कहा कि जैसे गंगाजल कभी अशुद्ध नहीं होता, वैसे ही ज्ञान और सेवा की धारा हमारे जीवन को हमेशा प्रेरणादायी और पवित्र बनाए रखती है। समारोह के अंत में डॉ. सुरेश कुमार पाण्डेय ने सभी अतिथियों का हृदय से आभार व्यक्त किया और कहा कि गंगा का यह पावन संदेश हमें जीवन में अपनाना चाहिए, ताकि हमारी सफलता केवल उपलब्धियों तक सीमित न रहे, बल्कि विनम्रता और सेवा के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाए।