
-हाड़ौती किसान यूनियन एवं पर्यावरण संस्थाओं की संयुक्त बैठक
कोटा। विधायक एवं पर्यावरणविद् भारत सिंह ने कहा है कि सरकार के पास किसानों के हित का कोई विजन नहीं है ,यदि होता तो केशवरायपाटन शुगर मिल कभी की चालू हो जाती। 1800 करोड़ रूपया रिवर फ्रंट और ऑक्सीजन के नाम पर खर्च कर दिया, जबकि शुगर मिल पर सभी सकारात्मक रिपोर्ट आने पर भी 100 करोड रुपए की व्यवस्था रखी होने के बावजूदचालू नहीं होना सरकार की अदूरदर्शिता का परिणाम है।
भारत सिंह ने गत दिवस बूंदी रोड स्थित एक निजी फार्म हाउस पर हाडोती किसान यूनियन एवं पर्यावरण प्रेमियों की मीटिंग में बोलते हुए कहा कि कोटा विकास प्राधिकरण कोटा व बूंदी के लगभग 300 गांव की जमीन को हड़पने का षड्यंत्र है जो किसान हितों के विपरीत है। सरकार ने इस काले कानून को पारित किया है जिससे किसान बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी की सोच से विपरीत चलना सरकारों की आदत बन गई है। आगामी 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर ग्राम स्वराज सभा में इसी विषय पर चर्चा होगी। हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने कहा कि कैसा हो रहा है केशवरायपाटन शुगर मिल को अविलंब शुरू किया जाए । उन्होंने बताया कि गत दिसंबर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पहल पर शुगर मिल फेडरेशन की टीम ने सर्वे करके यह रिपोर्ट दी थी कि केशवराय पाटनशुगर मिल को संचालित किया जा सकता है। अब सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि मिल को पुनः संचालित किया जाए। चंबल रिवर फ्रंट पर सैकड़ो करोड रुपए खर्च कर दिए लेकिन किसानों की वास्तविक समस्याओं की अनदेखी की गई है।
इसके लिए मुख्यमंत्री से मिलने का समय किसान यूनियन ने मांगा है। दशरथ कुमार ने कोटा व बूंदी के गांव वालों से बिना पूछे कोटा विकास पर अधिकरण में शामिल करने करने को अलोकतांत्रिक बताया है। किसान नेता ने बताया कि सरकार को किसान प्रतिनिधियों से बातचीत कर समाधान का रास्ता खोजना चाहिए अन्यथा 13 सितंबर को राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों का किसान वर्ग घेराव करेगा। इस बैठक में किसान नेता संतोष सिंह, अजय चतुर्वेदी, रणधीर सिंह साहनी, मनवीर सिंह, पर्यावरण विद् बृजेश विजयवर्गीय, मुकेश सुमन भवानी शंकर मीणा, बद्री लाल बैरागी राहुल शर्मा, शशिकांत गौतम आदि ने कहा कि सरकार को वह किस हेतु में कदम उठाते हुए व्यापक पर्यावरण के संरक्षण की योजनाएं बननी चाहिए यदि किसानों के हाथों से जमीन ने चली गई तो उन उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। किसने की माली हालत खराब हो जाएगी। राज्य सरकार को यह काला कानून वापस लेना चाहिए। आगामी गांधी जयंती के के पूर्व किसान यूनियन एवं पर्यावरण विद, गांधीवादी विचारक किसानों के बीच घूम कर व्यापक जन जागृति करेंगे। गांधी जयंती पर ग्राम स्वराज की अवधारणा को लेकर एक बड़ी संगोष्ठी कोटा में आहूत की जा रही है।