हर ‘दम’ का दाम वसूलने वालों के बीच में निस्वार्थी लोगों की भी कमी नहीं

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-पद्मश्री से सम्मानित किए जा चुके डा. जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा कि कोविड़ -19 के भीषण आपदाकाल में भी ऐसे बहुत से लोग थे जो पूरी तरह से लालच से वशीभूत होकर उन्होंने हर दम यानी दम तोड़ते मरीज की हर सांस की कीमत वसूल कर करोड़ों कमाए लेकिन विपदा की इस घड़ी में ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं थी जिन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर जरूरतमंदों को हर संभव मदद पहुंचाई। “उनकी कमाई यह पूंजी” उन स्वार्थी लोगों के लालच भरे कारनामें के जरिये कमाये करोड़ों रुपए से कई करोड़ गुना बेहतर अौर आत्म संतोष देने वाली थी जो उन्होंने अपने क्षणिक लालच से वशीभूत होकर लानत भरे तौर-तरीके से कमाया थे।

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। कुछ अमानवीय चेहरे अपने स्वार्थ के चलते आपदा में भी मुनाफा ढूंढने से बाज नहीं आते और संकट की घड़ी में भी वे मरणासन्न मरीज के परिवारजनों से भी मोटा दाम वसूल लेते ही है और लोगों के आर्थिक शोषण की किसी भी कोशिश से बाज नहीं आते। ऐसे ही स्वार्थी तत्वों में शामिल कुछ चिकित्सकों और चिकित्सा संस्थानों का नाम लिए बिना कहा गया कि कोरोना संक्रमण का भयावह काल ऐसे लालची लोगों के लिए मुनाफे का स्वर्णिम अवसर बन कर आया और उन्होंने दो हजार का इंजेक्शन 20 हजार रुपए में बेचा। सांस पाने की आस में अपने प्राणों को बचाने को जूझ रहे मरीजों को सिलेंडर से ऑक्सीजन की एक-एक सांस देने के लिए एक सिलेंडर के 10 हजार रुपए तक वसूले। दवाओं की आड़ में मोटा मुनाफा कमाया।
अब तक अपने खर्चे पर 60 हजार से भी ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार करवा चुके और कोरोना संक्रमण के भयावह दौर में जान जोखिम में डालकर छह हजार से भी ज्यादा लोगों के शवों का अंतिम संस्कार करवाने वाले उनकी इस अदम्य सेवा की एवज में पद्मश्री से सम्मानित डॉ जितेंद्र सिंह शंटी ने कोटा में ग्रेटर कोटा प्रेस क्लब सहित विभिन्न संगठनों की ओर से आयोजित कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया।
डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महामारी कोविड़-19 के संक्रमण के समय देश-दुनिया के लिए एक ऐसा भयावह दौर था जब एक ओर जहां केंद्र-राज्य सरकारें और सैंकड़ों-हजारों स्वयंसेवी संगठनों के लाखों कार्यकर्ता निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा करने में तत्पर थे तो अमानवीय मनोदशा वाले ऐसे लोगों की भी कमी नहीं थी जो आपदा के इस मौके को भी अपने लिए लाभ का अवसर बनाने से जरा भी नहीं चूके। उन्होंने दवाओं से लेकर खाने-पीने तक की सामग्री की जमकर कालाबाजारी करते हुए तमाम मानवीय संवेदनाओं को ताक में रखकर क्षणिक लालच से वशीभूत होकर मोटा मुनाफा कमाया, जबकि ऐसे अवसर पर मानव और मानवता की मदद की सर्वाधिक दरकार थी।
हालांकि श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसी आपदा-विपदा के भयावह दौर में भी ऐसे असंख्य लोग थे जिनमें अपने प्राणों की बाजी लगाकर सेवा भाव में कमी नहीं आने दी और उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा कर कोरोना से पीड़ित मरीजों और काम धंधे बंद हो जाने के कारण दैनिक जरूरतों को भी हासिल करने से लाचार हो चुके लोगों की अपने स्तर पर मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे लोगों ने आगे बढ़कर जरूरतमंदों के घर-घर पहुंचकर उनके लिए राशन-पानी का प्रबंध किया। जरूरतमंद मरीजों के लिए दवाओं की व्यवस्था की और यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि “उनकी कमाई यह पूंजी” उन लोगों के लालच भरे कारनामें के जरिये कमाये करोड़ों रुपए से कई करोड़ गुना बेहतर अौर आत्म संतोष देने वाली थी जो उन्होंने अपने क्षणिक लालच से वशीभूत होकर लानत भरे तौर-तरीके से कमाया थे।
डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जरूरतमंद परिवारों के दिवंगत सदस्यों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उन्होंने अब से करीब 25 साल पहले उस समय उठाया था जब उन्हें एक ऐसा बालक मिला था जिसके किसी परिजन की मौत हो गई थी लेकिन धन के अभाव में वह अपने उस परिजन के शव को अंतिम गति तक नहीं पहुंचा पा रहा है। उनका मन द्रवित हो गया और उसके अंतिम संस्कार के साथ ही उन्होंने ऐसे जरूरतमंद लोगों के परिजनों के शव का अपने खर्चे पर अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया और यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। उनकी इस की सेवाओं को देखते हुए निवृत्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा था।
डा. जितेंद्र सिंह ने अपने अनुभव साझा कर बताते हुए कहा कि वे अब तक एक लाख से भी अधिक जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध करवा चुके हैं और जरूरतमंदों के लिए एंबुलेंस की सेवाएं देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
डा.जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 के भयावह संक्रमणकाल में उन्होंने 4266 शव का अंतिम संस्कार किया जिनमें से कुछ तो ऎसे थे जिनके परिवारजन ही अंतिम संस्कार का साहस नहीं जुटा पा रहे थे और ऎसा भी मौका आया जब लगातार शव आते रहने के कारण उन्हें 21 दिन तक श्मशान घाट में ही बने रहना पड़ा, एक दिन में दौ सौ शव तक लगातार लाए गए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हर दिवंगत के शव के अंतिम संस्कार की अपनी जिम्मेदारी को पूरी मुस्तैदी के साथ संभाले रखा।
पद्मश्री डा. जितेंद्र सिंह शंटी के कोटा के एक दिवसीय प्रवास के दौरान रविवार को उनका एक दर्जन से भी अधिक संगठनों की ओर से जोरदार स्वागत किया गया और उन्हें आमंत्रित कर अभिनंदन समारोह आयोजित किए गए।
ग्रेटर कोटा प्रेस क्लब की ओर से आयोजित ‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम में क्लब अध्यक्ष सुनील माथुर ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रेस क्लब महासचिव अनिल भारद्वाज, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, हेमंत शर्मा, उपाध्यक्ष हरिमोहन शर्मा, कोषाध्यक्ष बद्री प्रसाद गौतम, सचिव चन्द्र प्रकाश चंदू, संरक्षक प्रद्युम्न शर्मा, कय्यूम अली, केएल जैन, सुबोध जैन, कार्यकारिणी सदस्य लेखराज शर्मा, दिनेश कश्यप, शाकिर अली, रुबीना काजी सहित शहर के गणमान्य पत्रकार उपस्थित रहे।

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