
– सावन कुमार टांक

कोटा। अखाद्य के लाइसेंस पर बन रहे बर्फ की कोटा सहित कई जिलों में खाद्य पदार्थ के तौर पर मिलावट कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। गर्मी की शुरुआत के साथ ही बर्फ के गोले के ठेले, शहर के चौराहों, रास्तों,गलियों और मुहल्लों में शीतल पेय के रूप में गन्ने की चर्खियां लग चुकी हैं। साथ ही इतनी ही संख्या में ज्यूस की दुकानें भी संचालित हैं जहां प्रतिदिन हजारों लोग गन्ने तथा फलों के ज्यूस का सेवन करते हैं। बडी संख्या में दुकानदार ज्यूस और गन्ने के रस को शीतल करने के लिए बर्फ के रूप में अखाद्य सामग्री डाल देते हें। यह आमजन की सेहत से खिलवाड़ है। जबकि बर्फ की क्यूब का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यही नहीं कई ग्राहक तो खुद ही अपने ऑर्डर के साथ ज्यूस में बर्फ थोड़ा ज्यादा डालने की मनुहार करते हैं। कारण यह कि उन्हें पता ही नहीं होता कि जिस बर्फ को ज्यूस के साथ पी रहे हैं वो उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। जिस चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पास इस अखाद्य बर्फ की पेय पदार्थों में मिलावट पर कार्रवाई का अधिकार है उन्हें आमजन के स्वास्थ्य की फिक्र ही नहीं है। फूड सेफ्टी डिपार्टमेन्ट के अधिकारी केवल दिवाली पर ही सक्रिय नजर आते हैं। यहां तक कि बर्फ की फैक्ट्रियों पर कभी कोई कार्रवाई या कोई निर्देश भी शायद ही दिए हों, क्योंकि स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने वाले बर्फ की बिक्री तो फैक्ट्रियों से ही प्रतिदिन बदस्तूर जारी है।
यहां तक कि बर्फ फैक्ट्रियों के मालिक भी मानते हैं कि जिस बर्फ का निर्माण किया जा रहा है वो इडेबल नहीं है। इसका उपयोग तो सब्जियों को ताजा रखने, पेक तरल पदार्थों को शीतल करने तथा मृत व्यक्तियों की बॉडी को सुरक्षित रखने के लिए किया जा सकता है। लेकिन यह अखाद्य बर्फ फैक्ट्रियों से निकलने के बाद किस काम में आ रहा है चिकित्सा विभाग व जिले के दूसरे अधिकारियों ने कभी पड़ताल करने की जहमत ही नहीं उठाई जिस कारण आम और खास दोनों लोग ही इस नान इडेबल बर्फ का सेवन कर रहे हैं। यहां तक कि विवाह व समारोहों में दिए जाने वाले मिल्क शैक तक में यह नान इडेबल बर्फ मिलाया जाता है।

अधिकारियों को बताया फिर भी नहीं की कार्रवाई
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पूर्व जिला परिषद सदस्य एडवोकेट नवीन शर्मा ‘ कंटू ‘ ने बताया कि अपने जिला परिषद सदस्य कार्यकाल में जिला परिषद की प्रत्येक बैठक में उन्होंने अखाद्य बर्फ की खाद्य पदार्थ के रूप में खुलेआम बिक्री तथा इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव के बारे में कहा लेकिन जिले का पूरा प्रशासन मौजूद रहने के बाद भी स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तो शहर में कितनी बर्फ फैक्ट्रियां है इसकी जानकारी भी नहीं दे सका। एडवोकेट शर्मा ने कहा कि उन्होंने बर्फ फैक्ट्रियों के निरीक्षण के दौरान वहाँ जो स्थिति देखी वो गंभीर थी जिस पानी से बर्फ बनाया जा रहा था वहाँ कबूतर मरे पड़े थे, गंदगी फैली हुई थी।
गांवों में बिकती है बर्फ की चुस्की
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शहर में जहां बच्चों और महिलाओं में बर्फ के गोले का तो गांवों में चुस्की का बड़ा चाव रहता है। बर्फ को हाथ से चलने वाली मशीन तथा रनदे पर घिस कलरफुल मीठे पदार्थ डाल सीधे ही खाने को दिया जाता है जो और अधिक नुकसान दायक है।

बर्फ फैक्ट्रियों के देखे हाल
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दी ओपिनियन प्रतिनिधि ने शहर की कुछ बर्फ फैक्ट्रियों पर जाकर स्थिति देखी तो फैक्ट्रियों के आसपास गंदगी फैली हुई थी। पीछे का दरवाजा खुला हुआ था तथा श्वान अन्दर आ जा रहे थे। स्वच्छता के इंतजाम यहां नहीं थे। किसी तरह का चेतावनी बोर्ड भी नहीं नजर आया जिस पर लिखा हो कि यह बर्फ खाने योग्य नहीं है। मौजूद कर्मचारी से पूछा गया कि बर्फ उपलब्ध है क्या तो उसने बगैर यह जाने कि बर्फ खरीदा किस काम के लिये जा रहा है 1 सिल्ली 150 रुपये में मिलने की बात कही। बर्फ की सिल्ली बनाने के काम में लिए जा रहे जो फर्में थे वो जंग खाए हुए थे। मालिक ने खुद माना कि जगह गंदी है लेकिन बर्फ बनाने की विधि सही है। उन्होंने यह भी बताने की कोशिश की कि वो खाने के लिए बर्फ देते भी नहीं। जो स्लिप कटती है उस पर भी नान इडेबल लिखा हुआ है। चेतावनी बोर्ड लोहे का होने से गलने की बात कही और अब फ्लेक्स बनवाने की बात कही लेकिन काफी समय तक इधर-उधर ढूँढने पर भी चेतावनी लिखा कि “यह बर्फ खाने योग्य नहीं है” नहीं मिला। शहर के छावनी स्थित बर्फ फैक्ट्री मालिक ने कहा कि हम इस बर्फ पर जीएसटी भी 5 प्रतिशत ही ले रहे हैं जबकि खाने योग्य बर्फ पर जीएसटी 12 प्रतिशत लगती है।
पेय पदार्थों में शीतलता के लिए डाली जाती है आइस क्यूब
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गन्ने और फलों के ज्यूस के साथ पेय पदार्थों में शीतलता के लिए आइस क्यूब का इस्तेमाल किया जाता है। जो बर्फ से काफी महंगी मिलती हैं। कोटा में तो कुछ गिनी चुनी शॉप पर ही आइस क्यूब उपलब्ध हो पाती है। आइस क्यूब विभिन्न साइज के पेकिंग में उपलब्ध होती है जो अलग अलग दरों पर मिलती हैं। ऑनलाइन भी ऑर्डर कर आइस क्यूब मंगवाई जा सकती हैं।
जल्द शुरू होगी कार्रवाई
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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जगदीश सोनी ने बताया कि कोटा में 4 फैक्ट्रियों पर बर्फ बन रहा हे। पहले भी जाँच हुई है फिर सर्दी आ गई अब फिर प्लान तैयार किया गया है। यह सेम्पल एक्ट में नहीं आता फिर भी वाटर सेम्पल सर्विलांस के तहत जाँच की जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह पीएचईडी के अधीन होती हैं। जाँच करवा कार्रवाई के लिए रिपोर्ट पीएचइडी को सौंप दी जाएगी।

















