एक सरीखे सब दरवाज़े। अपना रोशनदान अलग है।।

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ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

shakoor anwar
शकूर अनवर

चीन अलग जापान अलग है।
अपना हिंदुस्तान अलग है।।
*
क़र्ज़ा लेकर शादी करना।
जग में अपनी शान अलग है।।
*
आपस में ही लड़ते रहना।
ये अपनी पहचान अलग है।।
*
ये तो कोई डाकू होगा।
चेहरे की मुस्कान अलग है।।
*
वोटों की है अलग सियासत*।
जनता का सम्मान अलग है।।
*
सब के अपने गोरख धंधे।
सब का अपना ज्ञान अलग है।।
*
सौ दो सौ ही टाटा बिड़ला।
बाकी हिंदुस्तान अलग है।।
*
एक सरीखे सब दरवाज़े।
अपना रोशनदान अलग है।।
*
छूट गई लो कश्ती “अनवर”।
दरिया में तूफ़ान अलग है।।
*
शब्दार्थ:-
सियासत*राजनीति
शकूर अनवर
9460851271

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