जनवादी लेखक संघ का ग्यारहवाँ राष्ट्रीय सम्मलेन बांदा में संपन्न

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-कोटा के साहित्यकारों ने की शिरकत

कोटा। जनवादी लेखक संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन 19 से 21 सितंबर तक छत्तीसगढ़ के बांदा में आयोजित किया गया। सम्मलेन में जलेस कोटा इकाई के जिलाध्यक्ष नागेन्द्र कुमावत के नेतृत्व में कोटा के जनवादी साहित्कारों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में देश भर से आए हुए हिंदी, उर्दू समेत विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों ने संवैधानिक मूल्यों पर लगातार हो रहे हमलों पर चिंता जताते इसके खिलाफ प्रस्ताव पास किये। एक प्रस्ताव में कहा गया है कि यह दौर आज़ादी के बाद का सबसे संकटपूर्ण और चुनौती भरा दौर है। मौजूदा राजसत्ता के विरुद्ध संघर्ष उन सब भारतीयों का कर्तव्य है जो भारतीय संविधान में यकीन करते हैं और जो भारत की बहुविध धार्मिक, जातीय भाषायी और सांस्कृतिक परंपरा को बचाये रखना चाहते हैं क्योंकि असली भारत इसी परंपरा में निहित है। जलेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंचल चौहान ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रमों में ऐसे बदलाव किये जा रहे हैं जिससे भारतीय इतिहास और समाज सम्बन्धी सांप्रदायिक सोच को बढावा मिले। वरिष्ठ कवि दिल्ली के इब्बार रब्बी ने कहा कि व्यापक अर्थों में हम पिछले एक दशक से ऐसे सामाजिक यथार्थ के बीच हैं जिसे फासीवाद और नव उदारवाद के ज़हरीले गठजोड़ के रूप में देखा जा सकता है जहाँ धार्मिक अल्पसंख्यक, दलित, आदिवसिऔर महिलाओं की दुर्दशा हुयी है। शाम के सांस्कृतिक सत्र में कोटा के लोकप्रिय जनकवि हंसराज चौधरी के प्रतिरोध के गीतों ने खूब तालियाँ बटोरी। कोटा के साहित्यकार मदन मोहन शर्मा ने भी इन सत्रों में भाग लिया.

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