
– विवेक कुमार मिश्र

दिसंबर की चाय
भाप से रंग और मन पर
छा जाती है
दिसंबर की चाय
सर्द हवाओं के सघन आघात में
गर्माहट के साथ हथेली को सेंकने का आधार बन जाती है
दिसंबर के इन दिनों में
जब सर्द हवाओं का जोर
जोरों पर हों तो
कोई और नहीं भट्ठी वाली चाय ही
अपनी उपस्थिति से गर्माहट का अहसास छोड़ जाती है
दिसंबर की चाय
हवाओं के संग साथ ही
उड़ते-उड़ते भाप सी चली आती है
दिसंबर की चाय गर्माहट के जायके से भरी होती है
अपने साथ लौंग, इलायची, काली मिर्च, अदरक और तुलसी पत्ते के साथ
जीवन सत्व की तरह काढ़े के रंग में रंग कर जाती है
दिसंबर की चाय मानवीय संबंधों की गर्माहट भरी इबारत होती है
इस समय सब चाय पर
उठे उठे चलें आते हैं
यह समय चाय के साथ गर्माहट से भरे रिश्तों में
उतर जाने का होता है
लोग-बाग इस समय
सर्द हवाओं को भूल
चाय के चौराहे पर चले आते हैं
चाय के साथ बातें, जीवन का जायका और आंच सी
जीवन की गर्माहट मिलने की उम्मीद में
सब चाय पर होते हैं
आप सब तो जानते ही हैं कि
दिसंबर की चाय में कुछ हो या न हो
गर्माहट भरा एक अहसास होता है।