
राज्य सरकार को सिर्फ 58 करोड़ जमा करवाने हैं। इसकी बैठक मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में होनी है। एक एक दिन निकला जा रहा है लेकिन गहलोत साहब का इशारा मिले तो मुख्य सचिव बैठक करें।
-धीरेन्द्र राहुल-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सन् 2047 तक भारत को विश्व का सबसे विकसित देश बनाना चाहते हैं। इसी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी सन् 2030 तक राजस्थान को देश का सबसे विकसित राज्य बनाना चाहते हैं।
क्या आप लोगों को लगता है कि ये दोनों नेता आम जनता को जो सुनहरे सपने दिखा रहे हैं, उसमें कामयाब होंगे।
मुझे तो नहीं लगता कि ये दोनों नेता कामयाब हो पाएंगे, क्योंकि जो नेता विकास के मामले में क्षुद्र राजनीतिक आग्रहों से ऊपर नहीं उठ पाएं, वे क्या खाक सशक्त राष्ट्र बना पाएंगे?
मैं उदाहरण आपके सामने रखता हूं। पहला कोटा में शंभूपुरा में नया हवाई अड्डा निर्माण को लेकर है। इस मामले में गहलोत सरकार क्षुद्र राजनीति कर रही है ताकि एयरपोर्ट न बनने का ठीकरा लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला के सिर पर फोड़ा जा सके। इस मामले में अब तक जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी को नहीं मिली है फिर भी उन्होंने डीपीआर बनाने का काम शुरू कर दिया है। राज्य सरकार को सिर्फ 58 करोड़ जमा करवाने हैं। इसकी बैठक मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में होनी है। एक एक दिन निकला जा रहा है लेकिन गहलोत साहब का इशारा मिले तो मुख्य सचिव बैठक करंे।
मेरा तो नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल से भी कहना है कि अगर कोटा में हवाई अड्डा नहीं बना तो चम्बल रिवर फ्रंट पर हजारों करोड़ खर्च करने का पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाएगा। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इसलिए हवाई अड्डे पर राजनीति बंद करो।
उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) को अपनी क्षुद्र राजनीति का शिकार बनाया हुआ है। पहले तो जयपुर और अजमेर की सभाओं में घोषणाएं कर खूब तालियां पिटवाई, फिर इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने से पीछे हट गए।
यह 37 हजार करोड़ रूपए की राज्य की यह महत्वाकांक्षी परियोजना है। इससे 13 जिलों की पेयजल आवश्यकताएं पूरी होंगी तथा 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का विकास होगा। केन्द्र सरकार द्वारा इस परियोजना को 90ः10 के अनुपात के आधार पर राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय दर्जा मिलने पर भी ई.आर.सी.पी. को पूरा होने में 10 वर्ष का समय लग जाएगा। इससे प्रदेश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी की पेयजल समस्या का समाधान होगा। लेकिन सारा श्रेय गहलोत सरकार को न मिल जाए। इसलिए मोदी सरकार ने अपने हाथ खींच लिए हैं।
अब आप ही बताओ!
ये लोग बनाएंगे देश और राज्य को विकसित? बड़ा देश बनाने के लिए बड़ा दिल चाहिए। छोटा दिल और संकुचित सोच लेकर बड़ा काम नहीं हो सकता।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)