अब निगाहें मायावती, चिराग, मांझी और अखिलेश पर!

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-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
-देवेंद्र यादव-

गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद, गुरुवार 19 दिसंबर को देश ने संसद परिसर में माननीय सांसदों का वह नजारा देखा जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। अमित शाह के बयान को लेकर इंडिया गठबंधन के सांसद संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब उनका सामना सत्ता पक्ष के सांसदों से हो गया और विवाद बढ़ गया जिसमें भाजपा के 2 सांसद प्रताप सारंगी और मनोज राजपूत धक्का मुक्की में घायल हो गए। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी जमीन पर गिर गए। उनके पैर में चोट आई बताते हैं। इस घटना के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता थाने पहुंचे और एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत की। भाजपा नेताओं ने लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

akhilesh
19 दिसंबर 2024 को दिन भर यही चर्चा रही कि भाजपा के सांसदों को राहुल गांधी ने धक्का मारा इसलिए वह घायल हो गए और आईसीयू में भर्ती हो गए। भाजपा के सांसदों को धक्का किसने मारा और भाजपा सांसद घायल कैसे हुए, इस पर बड़े-बड़े दावे भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के मुख से सुनाई दिए। मगर बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव दावा कर रहे हैं कि भाजपा के घायल सांसदों के धक्का राहुल गांधी ने नहीं मारा था। राहुल गांधी तो घटना के समय घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे। राहुल गांधी तो संसद के भीतर थे। घटना के बाद मैं राहुल गांधी को बाहर लेकर आया था। भाजपा झूठ बोल रही है और राहुल गांधी पर झूठा आरोप लगा रही है। यदि सच्चाई जाननी है तो फुटेज निकाल कर देख ले। यदि मेरी बात गलत है तो मैं आज ही अपनी सांसदी से इस्तीफा दे दूंगा। पप्पू यादव सुर्खियों में रहे और बताते रहे कि वह सात बार सांसद रहे मगर सत्ता पक्ष की तरफ से संसद परिसर के भीतर कभी भी ऐसा व्यवहार देखने को नहीं मिला। 19 दिसंबर को संसद परिसर के भीतर हुई घटना के बाद राजनीति तेज हो गई है। अब सवाल खड़ा होता है कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के सम्मान की रक्षा कौन करेगा क्योंकि सत्ता पक्ष भाजपा अपने नेता गृहमंत्री अमित शाह की रक्षा करने में जुटी हैं वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी राहुल गांधी पर हुए मुकदमे के बाद राहुल गांधी की रक्षा में जुट जाएगी। अब बाबा साहब अंबेडकर के सम्मान की रक्षा की चुनौती देश की दलित, आदिवासी और पिछड़ी जाति की पार्टी नेताओं के हाथ में है। सबसे बड़ी चुनौती यह है इससे यह पता लग जाएगा की जिन नेताओं ने दलित आदिवासी पिछड़ी जाति के वोट बैंक के नाम पर पार्टी बनाकर सत्ता का सुख भोगा है वह नेता बाबा साहब के सम्मान की रक्षा कैसे करते हैं। सबकी नजर मायावती, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और अखिलेश यादव पर अधिक है। 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 37 लोकसभा सीट जीतने का अवसर मिला था क्योंकि इंडिया गठबंधन ने उत्तर प्रदेश संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ का नारा बुलंद किया था। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के लिए यह बड़ा अवसर है क्योंकि मायावती गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर खुलकर विरोध में नहीं दिखाई दे रही हैं बल्कि वह कांग्रेस पर ही आरोप लगाती हुई दिखाई दे रही हैं। मायावती का बयान उत्तर प्रदेश के दलित समाज को लिए संतोष जनक दिखाई नहीं दे रहा हैं।

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बाबा साहब अंबेडकर के नाम का सर्वाधिक फायदा बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने ही उठाया है इसलिए बाबा साहब के सम्मान की रक्षा की चुनौती सबसे ज्यादा उनके सामने होनी चाहिए। 19 दिसंबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहां की भाजपा अडानी के मुद्दे से ध्यान भटकाने मैं जुटी हुई है लेकिन हम इस मुद्दे को नहीं छोड़ेंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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