
-देवेंद्र यादव-

इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर खींचतान बढती नजर आ रही है। लेकिन इसके पीछे की राजनीति को समझना भी जरूरी है। फिलहाल देश व्यापी पहचान की वजह से कांग्रेस इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रही है लेकिन अब बिहार के नेता लालू प्रसाद यादव भी ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का मुखिया बनाने के पक्ष में आ गए हैं। बुरे दौर में कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ खड़े रहने वाले नेता लालू प्रसाद यादव के अचानक सुर क्यों बदल रहे हैं और वह राहुल गांधी की जगह ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का मुखिया बनाने की पैरवी क्यों करने लगे हैं यह भी विचारणीय है। क्या यह मोदी की वाशिंग मशीन का प्रभाव है या फिर कांग्रेस का बिहार में खोई हुई जमीन वापस पा लेने का डर सता रहा है।
यदि 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बिहार में कांग्रेस लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से ऊपर ही रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बिहार में एक सीट जीती थी तो वही 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन लोकसभा सीट जीती।
मंगलवार 10 दिसंबर को लालू प्रसाद यादव के बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी। मराठा नेता शरद पवार और बिहारी नेता लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति के असल चाणक्य माने जाते हैं। भले ही दोनों चाणक्य उम्र दराज हो गए और बीमार भी रहते हैं मगर उनकी राजनीतिक चाल में धार अभी भी बरकरार है। हाल ही में सम्पन्न महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में शरद पवार की चतुराई को अभी तक राजनीतिक विश्लेषक और पंडित नहीं समझ पाए। यह समझना जरूरी है कि पवार महाराष्ट्र चुनाव में सफल हुए या फिर असफल हुए। यदि इंडिया गठबंधन के नजरिए से देखें तो पवार की रणनीति असफल रही क्योंकि इंडिया गठबंधन महाराष्ट्र में सरकार नहीं बना सकी लेकिन यदि कांग्रेस और शिवसेना उद्धव ठाकरे की बड़ी हार के नजरिए से देखें तो, पवार की रणनीति सफल होती हुई दिखाई देगी, क्योंकि भतीजा अजीत पवार भाजपा नीत सरकार में एक बार फिर से उप मुख्यमंत्री बन गए और सारे मुकदमे और पैसे वापस मिल गए। सत्ता और पैसा पवार परिवार के पास आ गया।
अगर बिहार और लालू प्रसाद यादव की बात करें तो क्या बिहार में भी कांग्रेस और नीतीश कुमार के साथ लालू प्रसाद यादव ऐसा ही कुछ करना चाहते हैं। महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी नितीश बाबू की पार्टी और कांग्रेस की जमीन पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
जहां तक कांग्रेस का सवाल है बिहार में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है जबकि पाने के लिए सब कुछ है। बिहार में कांग्रेस की नजर दो नेताओं पर है जो कांग्रेस की खोई हुई जमीन को वापस दिला सकते हैं और इन दो नेताओं का डर लालू प्रसाद और उनकी पार्टी आरजेडी को भी है। ये हैं पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और कांग्रेस से सांसद डॉक्टर जावेद।
पप्पू यादव बिहार में यादव और ब्राह्मण मतदाताओं के मत कांग्रेस को दिलवा सकते हैं। बिहार के गरीब दलितों में भी पप्पू यादव का गहरा प्रभाव है।
शायद लालू प्रसाद यादव को पप्पू यादव का डर अधिक सता रहा है क्योंकि पप्पू यादव ने लालू परिवार के विरोध के बावजूद निर्दलीय के रूप में पूर्णिया लोकसभा सीट से बड़ी जीत दर्ज की। बिहार के लोग यादव पप्पू यादव पर अधिक भरोसा कर रहे हैं जिसका फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)