
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार पर मुकदमा दर्ज करने के मायने क्या हैं। क्या भारतीय जनता पार्टी और एनडीए बिहार में कन्हैया कुमार की सक्रियता से डर गई है या फिर भारतीय जनता पार्टी कन्हैया कुमार पर मुकदमा दर्ज कर बिहार में राजनीतिक हीरो बनाकर, कांग्रेस को अपने जाल में उलझाना चाहती है। बिहार में कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। राहुल गांधी स्वयं बिहार कांग्रेस को लेकर गंभीर हैं और सक्रिय हैं। यदि राहुल गांधी की बिहार को लेकर गंभीरता और सक्रियता को देखें तो 3 महीने के भीतर वह बिहार के तीन दौरे कर चुके हैं। उन्होंने बिहार कांग्रेस में तीन बड़े बदलाव किए। सबसे पहले राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी मोहन प्रकाश को बदलकर कृष्णा अल्लावरु को राष्ट्रीय प्रभारी बनाकर बिहार भेजा। उसके बाद बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष को बदला और तीसरा बड़ा बदलाव यह किया कि कांग्रेस के अधिकांश जिला अध्यक्षों को बदला। क्योंकि बिहार में कांग्रेस का संगठन कमजोर था इस कारण बिहार में कांग्रेस कमजोर नजर आ रही थी और इस कमजोरी का बड़ा कारण लंबे समय से बिहार संगठन में बदलाव का नहीं होना था। जब कांग्रेस आलाकमान ने बिहार कांग्रेस में यह तीन बड़े बदलाव किए तो कांग्रेस एक साथ खड़ी नजर आई और बिहार कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह नजर आया। बिहार कांग्रेस का यह उत्साह तब नजर आया जब कन्हैया कुमार ने बिहार में पलायन रोको रोजगार दो यात्रा निकाली। बिहार में कन्हैया कुमार की एंट्री और एंट्री के बाद कन्हैया कुमार की यात्रा को लेकर बिहार के राजनीतिक दल असहज नजर आए। भारतीय जनता पार्टी और एनडीए ही नहीं बल्कि इंडिया घटक दल के राष्ट्रीय जनता दल के नेता भी परेशान नजर आए। राजद नेता तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि कन्हैया कुमार की एंट्री बिहार की राजनीति में हो। 2024 के लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार को राजद ने बिहार की किसी भी लोकसभा सीट से उम्मीदवार नहीं बनने दिया था। राजद की नाराजगी के बावजूद राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार की एंट्री बिहार की राजनीति में कार्रवाई। सवाल यह है कि कन्हैया कुमार पर मुकदमा दर्ज होने के मायने क्या है। क्या भारतीय जनता पार्टी कन्हैया कुमार को बिहार की राजनीति में हीरो बनाकर अपने राजनीतिक जाल में फंसाना चाहती है। विभिन्न राज्यों के हुए विधानसभा चुनाव में अक्सर देखा गया है कि कांग्रेस भाजपा के रणनीतिकारों की रणनीति को समझे बगैर ही जाल में फंस जाती है। क्या कांग्रेस कन्हैया कुमार की लोकप्रियता के मुगालते में है और 2025 के विधानसभा चुनाव में कन्हैया कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएगी या चर्चा करेगी। इंडिया घटक दल में राजद के नेता तेजस्वी यादव ने अपने आप को 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया है। क्या भाजपा चुनाव से पहले कांग्रेस और राजद में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर राजनीतिक लड़ाई करवाना चाहती है। क्योंकि कांग्रेस के नेता भाजपा के जाल में जल्दी ही फंस जाते हैं और मुगालता पाल बैठते हैं कि भाजपा कांग्रेस से डर गई है। भाजपा कमजोर है और कांग्रेस अपनी सरकार बना रही है। ऐसी अनेक बातें कांग्रेस के नेताओं के मुख से निकलने लगती हैं और अंत में कांग्रेस बुरी तरह से चुनाव हार जाती है। क्या कांग्रेस बिहार में कन्हैया कुमार को लेकर मुगालते में है। यदि है तो यह कांग्रेस का बड़ा भ्रम है जिसे समय रहते दूर कर लेना चाहिए और भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए।
बिहार में कांग्रेस के पास बड़ा अवसर है लेकिन कांग्रेस को यह अवसर तब मिलेगा जब वह किसी प्रकार का कोई मुगालता नहीं पाले। मैं बार-बार लिख रहा हूं कि बिहार में कांग्रेस का आज जो माहौल बना है उस माहौल को बनाने वाले बिहार में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव हैं। जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले ही बिहार में कांग्रेस का माहौल बनाना शुरू कर दिया था जिसका परिणाम यह रहा की कांग्रेस ने बिहार में तीन लोकसभा सीट जीती और 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसी भी परिस्थिति में चुनाव लड़ने के लिए तैयार नजर आ रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)