
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान में भाजपा की भजन लाल शर्मा सरकार को अपनों के अलावा अब इंद्र देवता ने भी घेर लिया है। आने वाले दिनों में राज्य में पंचायत राज और निकाय के चुनाव होने हैं। इसका भाजपा और उसकी सरकार पर क्या असर पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी। जहां तक अपनों की बात करें तो, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भजन लाल शर्मा सरकार को उनकी नाकामियों को लेकर कटघरे में खड़ा कर चुकी हैं। कुछ दिन पूर्व ही वसुंधरा के लोकसभा क्षेत्र झालावाड़ के एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 छात्रों की मौत हो गई थी। भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद वह कई बार कोटा आए मगर झालावाड़ नहीं गए। जबकि वसुंधरा राजे सरकार के कामकाज को लेकर सवाल खड़े कर रही थी और हवाला भी अपने संसदीय क्षेत्र का दे रही थीं। जब झालावाड़ के सरकारी स्कूल की छत गिरी तब वसुंधरा की बात पर मोहर लग गई कि वर्तमान राज्य सरकार नाकाम है। भाजपा हाई कमान के द्वारा पर्ची निकाल कर मुख्यमंत्री बने भजनलाल शर्मा को लेकर पहले दिन से ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाराजगी जग जाहिर है। वह स्वयं तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनना चाहती थी और उनका प्रयास अभी भी जारी है। भाजपा हाई कमान में जिस प्रकार की सरगर्मी चल रही है उससे राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान में मुख्यमंत्री बदला जा सकता है। लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसके लिए पुख्ता नाम सुनाई नहीं दे रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जो प्रमुख नाम सुनाई दे रहे थे, उनमें से बड़े नाम हाल फिलहाल राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहते हैं, क्योंकि जिस प्रकार से राजस्थान को इंद्र देवता ने घेर रखा है, इससे किसानौ की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। राज्य की अधिकांश सड़कों का हाल बेहाल है तो सरकारी स्कूलों के भवन भी ठीक नहीं है। झालावाड़ के सरकारी स्कूल की घटना के कारण जनता में सरकार के प्रति आक्रोश भी है। इंद्र देवता की गर्जन के बाद, राज्य में तुरंत पंचायत राज और निकाय के चुनाव होने हैं। इंद्र देवता ने फसलों, सड़कों और सरकारी स्कूल के भवनों को जो क्षति पहुंचाई है उन्हें ठीक करना पंचायत और निकाय चुनाव से पहले शायद असंभव है। इसलिए वसुंधरा राजे को छोड़कर बाकी नेता मुख्यमंत्री के पद के लिए रूचि नहीं दिखा रहे हैं। वसुंधरा ही एकमात्र नेता है जो, विपरीत परिस्थितियों में भी राज्य को संभाल सकती हैं और भारतीय जनता पार्टी को पंचायत और निकाय चुनाव में बड़ी कामयाबी दिलवा सकती हैं। मगर क्या यह संभव है कि गुजरात लॉबी वसुंधरा को राज्य की कमान दे। दूसरा बड़ा नाम गजेंद्र सिंह शेखावत का हे जो अनुभवी नेता है और आरएसएस की भी पसंद हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भी दुलारे हैं। जाति से राजपूत हैं इसलिए गजेंद्र सिंह शेखावत को कमान देने से राजस्थान ही नहीं बल्कि सीमावर्ती राज्यों में भी इसका प्रभाव पड़ेगा। गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी राजपूत समुदाय का बड़ा प्रभाव है और कहा जाता है कि ज्यादातर राजपूत भाजपा के पारंपरिक मतदाता हैं। यदि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उलटफेर हुआ तो, राजस्थान में पार्टी हाई कमान किसी राजपूत को ही मुख्यमंत्री बनाने पर विचार कर सकता है। हाई कमान वसुंधरा राजे के विकल्प के रूप में जोधपुर से सांसद और केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर दाव लगा सकता है।
फिलहाल राज्य की भजन लाल सरकार को अपनों ने और इंद्र देवता ने घेर रखा है इसके परिणाम क्या होंगे यह पंचायत राज और निकाय चुनाव में पता चलेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)