बिहार में चुनाव में महिला मतदाताओं की अहम भूमिका पर ध्यान दे कांग्रेस आलाकमान!

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Sarwat Jahan Fatema. photo courtesy facebook

-देवेन्द्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

बिहार में चुनाव में महिला मतदाताओं की अहम भूमिका होती है। बिहार में किस पार्टी और किसी गठबंधन की सरकार बनेगी, इसे बिहार की महिला मतदाता तय करती हैं। यही कारण है कि बिहार में राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़ी-बड़ी चुनावी घोषणाएं करते हैं। क्या बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में पसमांदा मुस्लिम महिला मतदाताओं की बड़ी भूमिका रहने वाली है। क्या भारतीय जनता पार्टी सौगाते मोदी योजना के माध्यम से मुस्लिम महिला मतदाताओं को लुभा पाएगी। बिहार में कांग्रेस की प्रदेश महिला अध्यक्ष डॉ सरवत जहां फातिमा लगभग डेढ़ साल से महिलाओं को एकजुट कर कांग्रेस के पक्ष में मतदान कराने के लिए जागरुक कर रही हैं। उसका बड़ा फायदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलेगा। इसकी झलक 2024 के लोकसभा चुनाव में नजर आई जब कांग्रेस ने बिहार में लंबे समय बाद तीन लोकसभा सीट जीती। मुस्लिम उम्मीदवार डॉक्टर जावेद चुनाव जीते। लेकिन सवाल यह है कि क्या विधानसभा चुनाव में भी बिहार की महिला मतदाता बड़ी संख्या में कांग्रेस के पक्ष में मतदान करेगी। यदि लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तो लगता है विधानसभा चुनाव में भी महिला मतदाता खास कर मुस्लिम महिला मतदाता कांग्रेस के पक्ष में बड़ी संख्या में मतदान करेंगी और इसमें सबसे बड़ा योगदान प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष डॉ फातिमा का है। फातिमा एक पढ़ी-लिखी मुस्लिम महिला हैं जो सोशल वर्कर भी हैं और दलित, ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं के बीच में दिखाई देती हैं। डॉक्टर फतिमा ने बिहार में महिला कांग्रेस के संगठन को भी मजबूत किया हुआ है। मगर बिहार विधानसभा चुनाव में यह संभव तब होगा जब, दिल्ली से बिहार पहुंची महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा का बेवजह का दखल कम होगा। बिहार में महिला कांग्रेस मजबूत है और इसका प्रमाण 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। यदि महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहार की महिला कांग्रेस पर बिहार जाकर बेवजह का दबाव बनाएंगी तो बिहार महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा पैदा होगी। बिहार पर राहुल गांधी की सीधी नजर है, और बिहार में कांग्रेस का संगठन राहुल गांधी के बड़े प्रयासों के कारण मजबूत हो रहा है। लेकिन दिल्ली से बिहार पहुंचे नेता, फिजूल की बातें करके स्थानीय कार्यकर्ताओं का जोश और मनोबल को तोड़ रहे हैं या कमजोर कर रहे हैं। इस पर कांग्रेस और राहुल गांधी को अभी से ध्यान देना होगा।
दिल्ली विधानसभा के चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई अलका लांबा चुनाव हारने के बाद, अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बिहार में कुंडली मारकर बैठी हैं। जिस प्रकार से वह बिहार में जमी हुई हैं इस तरह यदि वह दिल्ली में जमी होती तो ना तो विधानसभा चुनाव में उनकी जमानत जप्त होती और ना ही कांग्रेस दिल्ली विधानसभा की सारी सीट हारती। राहुल गांधी की योजनाओं पर कांग्रेस के नाकाम नेता बिहार जाकर पानी ना फेर दे, इस पर कांग्रेस हाई कमान और राहुल गांधी को ध्यान देना होगा। मैं कोई बिहार महिला कांग्रेस को प्रमाण पत्र नहीं दे रहा हूं बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम की याद दिला रहा हूं जहां कांग्रेस ने लंबे समय के बाद तीन लोकसभा सीट जीती।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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