
– विवेक कुमार मिश्र

समय को छोड़कर न भागे
इस ख्याल में न रहे कि
आप समय को छोड़ देंगे
तो समय आपको छोड़ देगा
समय किसी को नहीं छोड़ता
समय सबके साथ ही रहता है
और सबके साथ चलता है
समय को चलते चलते देखते रहिए
पर ऐसा नहीं हो सकता कि
आप समय को छोड़कर भाग लें
समय किसी एक की सुविधा
या असुविधा के हिसाब से नहीं चलता
समय बस चलता ही रहता है
यह समय का अपने हिसाब से
संसार के साथ हिसाब किताब है
एक दिन समय सभी का
हिसाब चुकता कर देता है
किसी का कुछ भी नहीं रखता
और बार बार इस बात की हिदायत देता है कि
समय को मत भुलो,
समय के साथ चलते ही रहे
जब कोई साथ नहीं देगा
तब भी समय ही साथ चलता रहेगा
समय हमारे हर करवट का हिसाब रखता है
यह अलग बात है कि
हम सब केवल मुश्किल भरे
समय को याद रखते हैं ।
जड़ों से बातचीत
जड़ें पाताल तक चली जाती हैं
जड़ें नहीं रुकती एक पल के लिए
उठा ही लाती चट्टानों के नीचे से भी जल बूंदें
देखो-देखो यह जो कुछ आकाश में खिला है
वह सब पृथ्वी की खोह से कोई और नहीं
जड़ों ने ही निकाल कर लाया
जड़ें पाताल से बात करती हैं
जड़ें पृथ्वी की सतह पर भी बात करती हैं
और जड़ें आकाश से भी संवाद कर लेती हैं
जड़ें नहीं रुकती चलती ही चली जाती हैं
जड़ें ही खिलती हैं सबसे उपरी शाख पर
तुम कहीं भी चलें जाओ
कैसे भी कहीं भी पहुंच जाओ
कुछ भी करों सब चल जाएगा
यदि अपनी जड़ों को नहीं भूले तो
जड़ों को भूलकर भला कोई भी साबित कहां बचा
जड़ों के भीतर ही हमारे सारे पुरखों का वास होता है
एक एक कर याद करते हैं…
पिता , पितामह उनके पिता फिर उनके पितामह
यह अनंत सृष्टि का रहस्य कहीं और नहीं
जड़ों के भीतर से फूटते कल्ले में ही दिखते हैं
जड़ों को छोड़कर भला कहां भागे जा रहे हों
कहीं भी क्यों न चलें जाओ….
जड़ें नहीं छोड़ती एक न एक दिन पकड़ ही लेती हैं
वह कहीं और नहीं जड़ों पर ही सिर रख सो रहा था।