भाजपा का बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन

tamilnadu

-विष्णुदेव मंडल-

vishnu dev mandal
विष्णु देव मंडल

चेन्नई। बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार और हमले के विरोध में बुधवार को देश के अन्य हिस्सों की तरह चेन्नई समेत तमिलनाडु के जिलों एवं कसबों में भी भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य हिंदू संगठनों ने मार्च निकाला।
चेन्नई के राज रत्नम स्टेडियम के सामने भाजपा, आरएसएस, एबीवीपी, हिंदू मुनानी और अन्य हिंदू संगठनों से जुड़े हजारों की संख्या में लोगों ने बांग्लादेश के ताजा हालात के विरोध में मार्च निकाला एवं सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।
इस विरोध प्रदर्शन में भाजपा नेता और तेलंगाना की पूर्व गवर्नर तमिलईसै सौंदर्यराजन समेत अन्य नेताओं ने भी हिस्सा लिया।
जब प्रदर्शन रैली अन्नासालै के तरफ बढी पुलिस ने भाजपा एवं हिंदू संगठन से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। इन लोगों को अलग अलग बसों से सामुदायिक भवन ले गए। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि यह विरोध मार्च बिना पुलिस परमिशन को निकाला गया है इसलिए प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। भाजपा नेता तमिलसईं सौदराजन ने मौजूदा राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा सरकार हिंदू विरोधी होने के कारण बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर हो रहे हमले पर गंभीर नहीं है। सरकार से विरोध मार्च निकालने का आवेदन किया था लेकिन अनुमति नहीं मिलने के कारण मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ा।
भाजपा के केशव विनायकएम, करू नागराजन आदि नेताओं समेत 500 से भी अधिक नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर घंटो हिरासत में रखा गया।
कोयंबटूर से एच राजा को भी पुलिस ने हिरासत मे लिया। सभी भाजपा एवं हिंदू संगठनों से जुड़े नेताओं ने तमिलनाडु सरकार के इस रवैया को हिंदू विरोधी बताया तथा तमिलनाडु के मतदाताओं से आगामी 2026 के विधानसभा चुनाव में इस हिन्दू विरोधी सरकार को बदलने की बात कही।
यहाँ उल्लेखनीय है कि जहां तमिलनाडु इकाई राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर विरोध कर रहे थे वहीं संसद में समाजवादी पार्टी के नेताओं के मांग पर जवाब देते हुए भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा मैं तमिलनाडु से आती हूं जहां हिंदी पढ़ना गुनाह है। बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 पर लोकसभा में चर्चा के दौरान उन्होंने अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि छात्र जीवन में हिंदी पढने के लिए उन्हें तमिलनाडु के विद्यालयों में ताने सुनने पड़ते थे इसलिए उन्होंने एक हिंदी शब्द पर अटक गई थी तो सदन को बताया कि मेरी हिंदी कमजोर है। समझ लेती हूं लेकिन बोलने में झिझक अभी भी विद्यमान है क्योंकि तमिलनाडु में हिंदी पढ़ना भी गुनाह है। उन्होंने अपनी बात रखते हुए बताया कि तमिलनाडु में हिंदी सीखने का माहौल नहीं होने के कारण ही वह हिंदी ठीक से बोल नहीं पाती है।
इस चर्चा के दरमियान डीएमके नेत्री एमके कनिमोझी ने तमिलनाडु सरकार के पक्ष रखते हुए कहा, तमिलनाडु में हिंदी सीखने के लिए किसी को रोक नहीं है? डीएमके सरकार सिर्फ हिंदी थोपने का विरोध कर रही है। गौरतलब है कि तमिलनाडु की राजनीति हिंदी विरोध पर ही चल रही है ऐसे में तमिलनाडु में रह रहे उत्तर भारतीय प्रवासियों को हिंदीकरष् कहकर संबोधित किया जाता रहा है। बहरहाल बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार के प्रति तमिलनाडु सरकार और उनके सहयोगी कुछ भी बोलने से परहेज रही है।

(लेखक तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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