सचिन पायलट राजस्थान में कांग्रेस नेताओं को एकजुट कर पाएंगे!

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फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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देवेंद्र यादव

क्या सचिन पायलट ने 11 जून को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के साथ हाई कमान को यह एहसास कराया कि वह राजस्थान कांग्रेस को एक जुट कर राजस्थान में पार्टी को मजबूत कर सकते हैं। इसके लिए हाई कमान उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जिम्मेदारी दे।
स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेस के तमाम छोटे बड़े नेता शामिल हुए थे। राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में शायद यह पहला अवसर था जब ऐसे किसी कार्यक्रम में कांग्रेस के सभी गुटों के नेता एक साथ मौजूद नजर आए। सभी छोटे बड़े नेताओं का एक साथ एक प्रोग्राम और एक स्थल पर मौजूद रहना राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर सुर्खियां तो बनेगी ही। इस पर राजनीतिक अटकले लगना स्वाभाविक है। अटकलें लगना शुरू भी हो गई हैं। पायलट समर्थक कार्यकर्ताओं और नेताओं के जेहन में सवाल उठने लगा कि क्या सचिन पायलट फिर से राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या कांग्रेस हाई कमान एक बार फिर से सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाने जा रहा है। पार्टी हाई कमान सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान उनके हाथ में सौंपने से पहले यह देखना चाहता है कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेता भी सचिन पायलट के साथ है या नहीं। ये नेता उनके नेतृत्व को स्वीकार कर लेंगे। शायद इसीलिए सचिन पायलट स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम का निमंत्रण देने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घर गए। 11 जून को अशोक गहलोत कार्यक्रम में पहुंचे। सचिन पायलट राजस्थान के नेताओं को एकजुट कर सकते हैं इसका साक्षी बनने के लिए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा राष्ट्रीय सह प्रभारी भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। 11 जून के कार्यक्रम में दिल्ली से आए बड़े नेताओं की मौजूदगी भी बयां कर रही है कि राहुल गांधी सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देना चाहते हैं। मगर सवाल यह है कि क्या सचिन पायलट को दी जाने वाली जिम्मेदारी से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुश होंगे और सचिन पायलट के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करेंगे। अशोक गहलोत ने कार्यक्रम में मौजूद रहकर यह संदेश तो दे दिया है कि प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सभी नेता एकजुट हैं, मगर जब 2028 के विधानसभा चुनाव होंगे तब टिकटों के बंटवारे के समय अशोक गहलोत और सचिन पायलट और उनके गुट के नेता एकजुट रहेंगे। यदि सरकार बन गई तो क्या अशोक गहलोत सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रख देंगे। क्योंकि राजस्थान के भीतर अब 2018 के जैसी परिस्थितियों नहीं है। अब राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार जाट और दलित समुदाय के नेता भी मजबूती के साथ ताल ठोक रहे हैं। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हैं जो जाट समुदाय से आते हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली हैं जो दलित समुदाय से आते हैं।
दोनों ही नेता राजस्थान में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए प्रदेश में ईमानदारी से एक साथ मिलकर मेहनत कर रहे हैं।
लेकिन डोटासरा और जूली के साथ प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए गहलोत और पायलट उनके साथ खड़े नहीं दिखाई दे रहे हैं। दोनों ही नेता अपने लिए अलग-अलग राजनीति कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं का लक्ष्य 2028 में मुख्यमंत्री बनने का है। प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए दलित नेता जूली और जाट नेता डोटासरा लगातार मेहनत कर रहे हैं। वहीं गहलोत और पायलट 2028 में प्रदेश का मुख्यमंत्री कैसे बने इसका जुगाड़ कर रहे हैं। राजस्थान की राजनीति पर नजर डालें तो अब बदली बदली नजर आ रही है। राजस्थान में क्षेत्रीय दल पनपते जा रहे हैं। क्षेत्रीय दलों के पनपने से बड़ा नुकसान कांग्रेस को होगा क्योंकि प्रदेश में जो क्षेत्रीय दल पनप रहे हैं वह दल अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति से हैं। यह दल कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं पर सेंध लगाएंगे। ऐसे में राहुल गांधी को राजस्थान की राजनीति पर बड़ा कदम लेने से पहले इस पर विचार करना होगा क्योंकि राजस्थान में भी वही हो सकता है जो पिछले दिनों हरियाणा में हुआ।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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