-कृष्ण बलदेव हाडा-

राजस्थान में सत्ता हासिल के मसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच के विवाद का मसला अब पटाक्षेप के दौर में पहुंच गया लगता है और कम से कम फरवरी तक तो इस मसले पर कोई चर्चा पार्टी स्तर पर होने की कोई उम्मीद नहीं है।
गहलोत के खिलाफ या सचिन पायलट के पक्ष में कोई फैसला आएगा उम्मीद नहीं
जानकार सूत्रों का कहना है कि फरवरी महीने में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जाना प्रस्तावित है और संभव है कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता राजस्थान में पिछले दिनों मुख्यमंत्री पद को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच हुई जबरदस्त जद्दोजहद के मसले पर बातचीत कर सकते हैं लेकिन इस बारे में अशोक गहलोत के खिलाफ या सचिन पायलट के पक्ष में कोई फैसला आएगा,ऐसी कोई उम्मीद नहीं है। इस राष्ट्रीय अधिवेशन का मुख्य मुद्दा अगला आम चुनाव होगा और उन तीन राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव पर भी फोकस किया जाएगा जिनमें राजस्थान भी शामिल है। ऐसे हालात में पार्टी नेतृत्व यह नहीं चाहेगा कि राजस्थान की राजनीति का कांग्रेस की दृष्टि से काला अध्याय रहा यह मसला एक बार फिर से जनश्रुति-चर्चा के लिए सामने आए जिस पर हाल ही में संपन्न हुई राजस्थान में राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान काफी राहत मिली थी क्योंकि राहुल गांधी की 16 दिन की राजस्थान यात्रा के दौरान न केवल पूरी तरह से शांत दिखा बल्कि कई ऐसे मौके भी आए जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके प्रतिद्वंदी माने जाने वाले सचिन पायलट के बीच समन्वय स्थापित होता हुआ नजर आया और इस आपसी सामंजस्य को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका में राहुल गांधी सहित पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश, वर्तमान अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे शामिल नजर आए।
जानकार सूत्रों ने बताया कि राजस्थान में मध्य प्रदेश से 4 दिसम्बर को चंवली के रास्ते से भारत जोड़ो यात्रा ने प्रवेश किया था एवं अगले दिन 5 दिसंबर से यह यात्रा राजस्थान में अगले 16 दिन का सफर तय कर झालावाड़, कोटा, सवाई माधोपुर, टोंक,दौसा और अलवर जिले में होते हुए 24 दिसंबर को राजस्थान से निकलकर महेन्द्रगढ़ से हरियाणा में प्रवेश कर गई थी।
भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के लिए बहुत से अच्छे संदेश दे गई
जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की दृष्टि से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के लिए बहुत से अच्छे संदेश दे गई है। इनमें सबसे खास यह रहा कि पिछले काफी समय से कांग्रेस के जो निष्ठावान कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के हो रहे बुरे हश्र के कारण अपने आप को निसहाय से माने हुए चल रहे थे, उनमें राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा से नई ऊर्जा का संचार हुआ और ऐसा काफी समय बाद पहली बार देखा गया कि जब न केवल कांग्रेस के कार्यकर्ता बल्कि आम लोग भी पूरे उत्साह के साथ उन सभी गांव-शहरों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े जहां से होकर यह गुजरी थी। कही भी भी आगे होकर भीड़ जुटाने जैसा जतननही करना पड़ा, जैसा आमतौर पर राजनीतिक दल करते आये है। लोगों ने बड़े उत्साह के साथ इस सफर का स्वागत-अनुसरण किया और जिस तरीके से पूरी यात्रा के दौरान प्रदेश भर में राहुल गांधी ने लोगों के साथ हाथ मिलाकर, हाथ जोड़कर, गले लगाकर आत्मीयता का परिचय दिया, वह लोगों के बीच एक अत्यंत सकारात्मक संदेश छोड़ गया। लोग राह भर राहुल गांधी से जुड़ते चले गये। कार्यकर्ता इस यात्रा के बाद से लगातार जोश में है, उत्साहित हैं जिसका निश्चित रूप से पार्टी के सांगठनिक ढांचे पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
यात्रा के राजनीतिक लाभ-हानि के बारे में निश्चित रूप से चर्चा होगी
हालांकि राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा को अब तक पूरी तरह से गैर राजनीतिक ही करार दिया जाता रहा है लेकिन आज दिल्ली पहुंचने के बाद जब यह यात्रा तीन जनवरी से गाजियाबाद से शुरू होकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी, तब तक आज से तीन जनवरी के बीच की अवधि में राहुल गांधी की पार्टी के नए अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे,पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, पूर्व महासचिव प्रियंका गांधी सहित इस भारत जोड़ो यात्रा के मुख्य सूत्रधार महासचिव जयराम रमेश सहित अन्य पार्टी के दिग्गज नेताओं से इस यात्रा के राजनीतिक लाभ-हानि के बारे में निश्चित रूप से चर्चा होगी। और भविष्य में भी इस यात्रा के श्रीनगर तक आखिर मक़ाम तक पहुंचने के दौरान इसका गैर-राजनीतिक स्वरूप को बरकरार रखते हुए इसके जरिए राजनीतिक लाभ लेने की हर संभव उपाय पर निश्चित रूप से चर्चा होनी है। आने वाले जनवरी माह से राजनीतिक दृष्टि से देश के सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले और कांग्रेस की दृष्टि से उत्तर भारत में अब तक के सबसे अधिक बुरे दौर वाले राज्य उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में कांग्रेस की स्थिति को कैसे बेहतर किया जा सकता है और उसमें इस यात्रा का कैसे उपयोग हो सकता है,निश्चित रूप से इसका भी पर भी विचार होगा। हालांकि यह सब नैपथ्य में ही रहने वाला है।