
-पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर को लिखा पत्र
-दुष्यन्त सिंह गहलोत-
कोटा। कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर को पत्र लिखकर यूआईटी द्वारा आवासीय व व्यवसायिक भूखंडों की नियम विरुद्ध लॉटरी निकालने वाले दोषी अधिकारियों कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज करने व लॉटरी आवंटन निरस्त करने की मांग की है।
गुंजल ने पत्र में लिखा है कि जहां एक और यूआईटी में व्यवसायिक भूखंडों की फिक्स दाम की लॉटरी में राज्य सरकार के द्वारा आरक्षित राजकीय कर्मचारियों 10ः, भूतपूर्व सैनिकों 10ः, पत्रकारों 2ः, दिव्यांगों 5ः, निराश्रित व भूमिहीन एकल महिला को 10ः ट्रांसजेंडर 2ः को भूखंड आवंटन में आरक्षण नहीं दिया गया। वहीं दूसरी ओर सात आवासीय योजनाओ आरके पुरम बी, श्रीनाथपुरम बी व डी, स्वामी विवेकानंद नगर, रानी लक्ष्मीबाई, विनोबा भावे नगर, सुभाष नगर, अनंतपुरा की फिक्स दाम लॉटरी में चुनिंदा धनाढ्य व्यक्तियों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में नियम विरुद्ध शिथिलता देकर लाभ पहुंचाया गया है।
गुंजल ने लिखा कि यूआईटी कोटा के अभी तक के इतिहास में फिक्स दाम की लाटरी हमेशा भूमिहीनों या जिन व्यक्तियों के पास स्वयं का मकान भूखंड नहीं हो को ध्यान में रखकर निकाली जाती रही है परंतु इसबार उपरोक्त पेरे में वर्णित शर्त को दरकिनार कर चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में शिथिलता दी गई है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के इस खेल का पता लॉटरी खुलने के बाद लगा जब बड़े नाप के कुल 30 भूखंडों में से लगभग 20 से 25 भूखंडों पर मात्र 2 परिवारों का कब्जा हो गया। जिन भूखंडों की बाजार दर लगभग छह हजार प्रति वर्ग फीट है उन्हें फिक्स दाम 3800 रुपये प्रति वर्ग फीट में ज्यादातर भूखंड दो परिवारों को दे दिए गए हैं।
गुंजल ने पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर से मांग की है कि जहां व्यवसायिक भूखंडों में आरक्षित वर्गों को दरकिनार कर नियम विरुद्ध लाटरी निकाली है वहीं आवासीय भूखंडों में पूर्व की शर्तों को नजरअंदाज कर दो परिवारों में आवंटन करने में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर यूआईटी के दोषी अधिकारियों कर्मचारियों पर षडयंत्र पूर्वक राजकीय भूमि खुर्द बुर्द करने का मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाए व उक्त भूखंडों का आवंटन भी निरस्त किया जाये।