
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान के राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर अचानक से यह चर्चा तेज हो गई की पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस के भीतर कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है।
गत दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अत्यंत भावुक होकर राज्यसभा में कहा था कि मैं अब ज्यादा दिन जीवित नहीं रहना चाहता हूं। मल्लिकार्जुन खड़गे के इस भावुक बयान के बाद राजस्थान में अशोक गहलोत को कांग्रेस के भीतर कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चा तेज हो गई।
मरहूम अहमद पटेल गुट के कांग्रेस के भीतर बाकी बचे नेताओं का प्रयास है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के बाद कांग्रेस की कमान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों में आ जाए। अशोक गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी की चर्चा में यह भी चर्चा की जा रही है कि गत दिनों संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस ने अशोक गहलोत के कारण जीती। गहलोत समर्थकों के द्वारा दलील दी जा रही है कि लोकसभा चुनाव में अशोक गहलोत अमेठी के मुख्य पर्यवेक्षक बने थे इस कारण कांग्रेस ने अमेठी की सीट को जीता। मगर अमेठी की सीट पर चर्चा करने और उस जीत की क्रेडिट अशोक गहलोत को देने वाले लोगों को यह पता नहीं है कि राहुल गांधी 2019 में अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव क्यों हारे जबकि अमेठी में काम करने के लिए राजस्थान से अपने दो प्रशासनिक अधिकारियों मानसिंह गुर्जर और धीरज श्रीवास्तव को तैनात कर रखा था। धीरज गुर्जर को भी राष्ट्रीय मंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश पहुंचाया था। जब कांग्रेस ने राहुल गांधी की अमेठी हार की समीक्षा की तब यह निकलकर सामने आया कि जो लोग लंबे समय से बाहर से आकर पार्टी का काम कर रहे थे उन्हीं लोगों की वजह से राहुल गांधी चुनाव हारे। और पार्टी ने उन लोगों को अमेठी से बाहर भी कर दिया था जिसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हरा दिया।
सवाल यह है कि क्या अशोक गहलोत और टीम अहमद पटेल की नजर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर है।
गांधी परिवार मल्लिकार्जुन खड़गे की जगह अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता था। राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अशोक गहलोत को आंध्र प्रदेश बुलाया था, मगर अशोक गहलोत समर्थक विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपने त्यागपत्र सौंप कर राहुल गांधी पर दबाव बना डाला कि अशोक गहलोत राजस्थान छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। राहुल गांधी ने उस समय मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को पर्यवेक्षक बनाकर राजस्थान भेजा था मगर गहलोत समर्थक विधायकों ने अशोक गहलोत के समर्थन में विधायक पद से अपने त्यागपत्र देने की धमकी देकर मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को बेरंग लौटा दिया। नतीजा यह हुआ कि अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहे और 2023 में जब राज्य विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस ने अपनी सत्ता गंवा दी।
राहुल गांधी भी अशोक गहलोत को कम पसंद करते हैं। राजस्थान में उनकी पहली पसंद सचिन पायलट हैं और गत लोक सभा चुनाव में राजस्थान के 9 सीट जीतने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा राहुल गांधी की दूसरी पसंद है।
ऐसे में यह चर्चा समझ नहीं आ रही कि राहुल गांधी के रहते हुए अशोक गहलोत को पार्टी के भीतर कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)