
-विष्णुदेव मंडल-
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भाजपा को उसी के घर में घुसकर जवाब देने की तैयारी में हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद चंद्रशेखर राव के हौसले बुलंद हैं। वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की अगुवाई वाली भाजपा से मुकाबला करने के लिए राष्टीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन बनाने के प्रयासों में जुट गए हैं। उनकी बिहार का दौरा इसी योजना का नतीजा बताया जा रहा है। अब उनकी योजना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तथा टीएमसी नेता ममता बनर्जी से मुलाकात की है।

राव का इरादा उन सभी राज्यों का दौरा करने का है जहां इस वर्ष और अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। वह विशेषकर उन राज्यों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे जहां भाजपा की सरकारें हैं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में नवंबर में और गुजरात में दिसंबर में और कर्नाटक में अगले मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। राव इन राज्यों में बीजेपी मुक्त भारत के नारे के साथ राजनीतिक गतिविधियां करना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने हाल ही में तेलंगाना में राव को परिवारवाद जैसे मुद्दों पर घेरने की कोशिश की है। इसके बाद से केसीआर ने भाजपा कीे खिलाफत के लिए कमर कस ली है। हाल ही में विपक्षी एकता के लिए वह सर्वाधिक सक्रिय मुख्यमंत्री हैं। वह नीतीश कुमार, ममता बनर्जी समेत उन सभी नेताओं को एक मंच पर लाने के प्रयास में हैं जो केन्द्र की भाजपा सरकार के विरोध में हैं।
कल्याणकारी कार्यक्रमों के तेलंगाना मॉडल की जानकारी देंगे
पार्टी के सूत्रों के अनुसार केसीआर पश्चिम बंगाल की अपनी यात्रा के बाद भाजपा शासित राज्यों गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश का दौरा करेंगे। राव इन राज्यों में किसान संघों और अन्य संगठनों के नेताओं से मिलेंगे और कल्याणकारी कार्यक्रमों के तेलंगाना मॉडल की जानकारी देंगे। यह भी हो सकता है कि राव इन राज्यों में तेलंगाना की इन योजनाओं के कार्यान्वयन की मांग के लिए विधानसभा चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवारों को मैदान में उतारने या समर्थन करने के विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं। हालांकि निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने से विपक्षी एकता पर प्रभाव पडना स्वाभाविक है लेकिन राव का मानना है कि वह पहले गैर-भाजपा दलों से परामर्श करेंगे। इस विचार विमर्श के दौरान वह प्रत्येक प्रदेश में कुछ ऐसी सीटों पर किसान नेताओं को उतार सकते हैं जहां वे सक्रिय और मजबूत हैं। इसके लिए वह विपक्षी दलों को समर्थन करने के लिए राजी कर सकते हैं। राव की किसानों के हितों को उठाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक किसान संयुक्त मोर्चा शुरू करने और तेलंगाना मॉडल को लागू करने की भी योजना है।
राव का मानना है कि बिहार दौरे से उन्हें बहुत लाभ मिलेगा। वह इससे राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर सके। इस दौरे के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमंुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने तेलंगाना की कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यक्रमों के लिए राव की प्रशंसा की थी।
राव के इस तरह के दौरे जारी रहेंगे
टीआरएस एमएलसी पल्ला राजेश्वर रेड्डी, डी. राजेश्वर राव और के. जनार्दन रेड्डी ने भी कहा कि राव के राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश के साथ, राजनीतिक परिदृश्य एक आदर्श बदलाव का गवाह बनेगा। केसीआर के लिए समर्थन सभी राज्यों में बढ़ रहा है। पिछले कुछ महीनों में केसीआर की विभिन्न राज्यों की यात्रा सभी वर्गों से बहुत ध्यान आकर्षित कर रही है। विभिन्न राज्यों में लोग धीरे-धीरे केसीआर द्वारा उनके साथ पेश किए गए सुशासन को जान रहे हैं। तेलंगाना सरकार की योजनाओं को लागू करने की मांग पूरे भारत में बढ़ रही है। आने वाले समय में राव के इस तरह के दौरे जारी रहेंगे। उन्होंने हाल ही में प्रगति भवन में आयोजित एक बैठक में 25 राज्यों के किसान नेताओं द्वारा पारित प्रस्ताव को याद किया जिसमें राव से देश भर में तेलंगाना मॉडल को लागू करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय किसान आंदोलन का नेतृत्व करने का आग्रह किया गया था।
क्या है तेलंगाना मॉडल
तेलंगाना में किसानों के लिए रायथु बंधु और रायथु बीमा लागू किया गया। इसके अलावा मेगा कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना और मिशन काकतीय सहित कई सिंचाई परियोजनाएं लागू की गई। काकतीय योजना का उद्देश्य अनिवार्य रूप से गांव के तालाबों का कायाकल्प करना है। ये तालाब तेलंगाना की कृषि व्यस्था में अहम हैं। इस योजना में इन तालाबों का पुनरुद्धार तथा इन्हें भरना शामिल है। ये कदम तेलंगाना की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुए। इनमें से कुछ योजनाओं ने कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को देखने के बाद केंद्र को इसी तरह के कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
(लेखक बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार हैं)