
-देवेंद्र यादव-

क्या राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का ट्रेलर दिखा दिया कि बिहार में कांग्रेस को कमजोर समझने की भूल ना करें। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राहुल गांधी के राजनीतिक इरादे क्या हैं यह राज्य की सत्ता में बैठे नेताओं को तो राहुल गांधी की सक्रियता से समझ में आ गए थे। राहुल गांधी के बिहार दौरे के एक दिन पहले ही खबर आ गई थी कि लोकसभा में विपक्ष के नेता को दरभंगा में अंबेडकर छात्रावास में दलित छात्रों से संवाद करने की सरकार की तरफ से इजाजत नहीं मिली है। लेकिन राहुल गांधी अपने निर्धारित कार्यक्रम में तय समय पर पहुंचे और दलित छात्रों के बीच शिक्षा न्याय संवाद भी किया। राहुल गांधी ने धारा 144 का उल्लंघन किया। इस पर उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ। राहुल गांधी के बिहार को लेकर राजनीतिक इरादों से सत्ताधारी भाजपा और जदयू के नेता तो वाकिफ हैं मगर इंडिया घटक दल के राजद नेता तेजस्वी यादव शायद वाकिफ होने के बाद भी अंजान बनने की कोशिश कर रहे हैं। वह बिहार में कांग्रेस को न केवल कमजोर बता रहे हैं बल्कि कांग्रेस पर अपनी राजनीतिक शर्तें भी थोपने का प्रयास कर रहे हैं। मगर 15 मई को बिहार में राहुल गांधी के राजनीतिक जलवे को देखने के बाद तेजस्वी यादव के राजनीतिक तेवर ठंडे पड़े होंगे। जब 14 तारीख को यह खबर आई कि प्रशासन ने राहुल गांधी के शिक्षा न्याय संवाद कार्यक्रम को इजाजत नहीं दी है तब सबसे पहले पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की जबरदस्त प्रतिक्रिया सामने आई। पप्पू यादव ने बिहार की सरकार को घेरा और कहा कि राहुल गांधी वह नेता है जो देश के गरीब, दलित, ओबीसी के लोगों की आवाज उठा रहे हैं। राहुल गांधी को रोकना संविधान का उल्लंघन तो है ही साथ में सरकार की तानाशाही भी है। मगर राहुल गांधी डरने वाले नहीं हैं। पप्पू यादव ने बिहार के युवा और छात्रों से अपील की कि वह राहुल गांधी के शिक्षा न्याय संवाद कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें।
सवाल यह है कि क्या भाजपा और जनता दल यू दोनों बिहार में कांग्रेस को मजबूत कर रही हैं। शायद इसीलिए राहुल गांधी ने कहा कि बिहार सरकार ने मेरा काम आसान कर दिया। राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी का प्रयास है कि बिहार में कांग्रेस अपने पारंपरिक मतदाताओं की घर वापसी करवाए। इसीलिए कांग्रेस ने दलित नेता राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। 15 मई को राहुल गांधी के साथ दरभंगा में जो हुआ उससे कांग्रेस और राहुल गांधी को बड़ा राजनीतिक फायदा होगा। बिहार की सरकार ने राहुल गांधी को रोक कर एक बड़ी राजनीतिक गलती कर ली। भारतीय जनता पार्टी देश भर में तिरंगा यात्रा निकाल रही है। यात्रा बिहार में भी निकलेगी। इस यात्रा का प्रभाव बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में नजर आता लेकिन, राहुल गांधी के संवाद कार्यक्रम को रुकवाने के प्रयास से अब बिहार के दलित ओबीसी युवा और छात्रों में उत्साह नजर नहीं आएगा बल्कि भाजपा सरकार के खिलाफ नाराजगी नजर आएगी। बिहार की जदयू और भाजपा की गठबंधन सरकार ने राहुल गांधी को शिक्षा न्याय संवाद करने से रोक कर कांग्रेस को खुश होने का बड़ा अवसर दे दिया। यह सच है कि बिहार सरकार ने राहुल गांधी और कांग्रेस का काम आसान कर दिया। 15 मई को बिहार दौरे के समय राहुल गांधी के राजनीतिक जलवे को देखकर शायद अब राजद नेता तेजस्वी यादव के भी कांग्रेस के प्रति तेवर शायद ढीले पड़ जाएंगे। तेजस्वी यादव भी गलतफहमी में थे और हैं कि बिहार में कांग्रेस का राजनीतिक अस्तित्व अधिक नहीं है। शायद तेजस्वी यादव को यह मुगालता इसलिए था क्योंकि बिहार में अब से पहले कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस को मजबूत करने के ठोस प्रयास नहीं किए थे और ना ही कांग्रेस ने बिहार को लेकर कोई मजबूत रणनीति बनाई थी। लेकिन इस बार राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने और कांग्रेस की खोई हुई जमीन को वापस लेने के लिए सक्रिय हुए और बिहार की कमान सीधे अपने हाथों में ले ली। जिसका असर यह हुआ कि बिहार में कांग्रेस की चर्चा भी जोर-शोर से शुरू होने लगी। बिहार में कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़क पर संघर्ष करते हुए नजर आने लगे। बिहार को लेकर राहुल गांधी के सामने बड़ा सवाल यह है कि वह अपने ट्रैक से न उतरें और न रास्ते से भटके, क्योंकि अभी भी बिहार कांग्रेस में ऐसे नेता मौजूद हैं जो राहुल गांधी को उनके ट्रैक से उतारने और रास्ता भटकाने का प्रयास करेंगे। राहुल गांधी 5 महीने में चार बार बिहार की यात्रा कर चुके हैं। वह समझ गए होंगे कि बिहार का आम कार्यकर्ता और जनता उनसे क्या चाहती है। राहुल गांधी को कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं और बिहार की जनता के मन में कांग्रेस के लिए क्या है इस पर ध्यान देना होगा ना कि बिहार की कांग्रेस में लंबे समय से कुंडली मारकर बैठे नेताओं की बातों पर। अभी तक राहुल गांधी और कांग्रेस हाई कमान बिहार के कुंडली मार नेताओं की बातों पर ही भरोसा करते आए हैं इससे कांग्रेस को बिहार में फायदे के बजाय नुकसान ही हुआ। एक बार फिर लिख रहा हूं बिहार में कांग्रेस कमजोर नहीं है अन्य राज्यों से ज्यादा मजबूत है। जरूरत है राहुल गांधी को बिहार कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझने की।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)