
-विष्णुदेव मंडल-

(बिहार मूल के तमिलनाडु निवासी स्वतंत्र पत्रकार)
बिहार में जन सुराज यात्रा पर निकले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार हमले कर रहे हैं। प्रशांत किशोर के प्रहार का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जवाब देते नहीं बन रहा। मुख्यमंत्री सिर्फ इतना ही कह पाते हैं कि उन्हें बोलने दीजिए हमारे बारे में जो बोलना है मैंने जिसे भी सम्मान दिया वह हमारे खिलाफ जहर ही उगलता है।
पिछले दिनों प्रशांत किशोर ने दावा किया कि नीतीश कुमार का कोई स्टैंड नहीं है। वह कब पाला बदलकर फिर बीजेपी के साथ चले जांए कोई ठीक नहीं है? प्रशांत किशोर का कहना था कि यह बात अलग है कि नीतीश कुमार एनडीए के गठबंधन से बाहर हो गए हैं। मोदी सरकार को लगातार कोस रहे हैं,लेकिन यह भी सच है कि उनका बीजेपी के साथ चौनल बंद नहीं हुआ है। मसलन राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जनता दल यूनाइटेड से राज्यसभा सांसद हैं जो अब तक अपने पद पर बने हुए हैं जबकि जनता दल यूनाइटेड ने बीजेपी सभी तरह के संबंध तोड़ रखे हैं। ऐसे में यह कैसे मान लिया जाए कि वह फिर से पलटी नहीं मारेंगे? उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को हम से बेहतर कोई नहीं जानता। पिछले कई सालों से वह मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं। कभी वह एनडीए के साथ रहते हैं तो कभी महागठबंधन के साथ। सरकारे बदल जाती है लेकिन नीतीश कुमार अपनी कुर्सी नहीं छोड़ते आखिर क्यों? उन्होंने महागठबंधन के की सरकार के अलावा बीजेपी पर भी हमला किया। पिछले 32 सालों से लालू परिवार, नीतीश कुमार और बीजेपी ने बिहार के लोगों को ठगा है। सरकारें जरूर बदली लेकिन व्यवस्था जस के तस है। उन्होंने एक नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के उपमुख्यमंत्री नौवीं फेल हैं। वह इसलिए की उनके मां-बाप मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे हैं क्या सर्वसाधारण लोग जो नौवमी फेल होंगे उसे चपरासी की भी नौकरी मिल पाएगी? हमारे युवा हताश-निराश होकर बिहार से बाहरी राज्यों में पलायन को मजबूर हैं 5000 से ₹10000 के वेतन के लिए बिहार के युवा तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, कर्नाटक, दिल्ली, मुंबई और अन्य राज्यों में जाने को विवश हैं। यह स्थित किसने पैदा की है। आखिर हमारे युवा अन्य राज्यों में क्यों भटक रहे हैं इसका जवाब कौन देगा?
प्रशांत किशोर ने मौजूदा सरकार पर जो हमला बोला है उस पर बिहार से अन्य राज्यों में पलायित लोगों से उनकी प्रतिक्रिया जानना चाही जो कुछ इस प्रकार रहे…..
व्यवस्था बिल्कुल नहीं बदली

– बिहार में सरकारें बदलती रही लेकिन व्यवस्था बिल्कुल नहीं बदली। परिवारवाद और सामंतवादी सोच रखने वाले लोग सत्ता में बने रहे। जो लालू यादव कभी सामंतवाद और छुआछूत के खिलाफ सत्ता में आए वह उसी कांग्रेस की गोद में बैठकर वर्षों तक सत्ता की मलाई खाते रहे और अरबों का घोटाला करके बिहार को बर्बाद कर दिया। आज भी लोग जात पात पर वोट करते हैं। नतीजतन लालू और उनका परिवार आज भी सत्ता में है। नीतीश कुमार बार-बार गठबंधन बदल रहे हैं फिर भी बिहार की जनता नहीं सुन रही है जबकि बिहार पलायन के मामले में सबसे फिसड्डी है!
मुकेश ठाकुर, सचिव, बिहार एसोसिएशन तमिनाडु
जात पात पर वोट करते हैं

बिहारी आज भी जात पात पर वोट करते हैं। राजनीतिक दल सत्ता में तो आते हैं लेकिन वह कोई विकास का काम नहीं करते हैं।सिर्फ अपने परिवार और रसूख बनाए रखने के लिए समाज में वैमनस्यता पैदा करते हैं। बिहार एक ऐसा राज्य है जहां जमीन पर लड़ाई बहुत ज्यादा है। हर घर में आपस में फूट पड़ा हुआ है। रोजगार नहीं मिलने के कारण लोग अपराध के रास्ते पर चले जाते हैं।ं लूटमार, छीना झपटी, चोरी डकैती बिहार में सर्वाधिक है। अगर बिहार के युवा पलायन न करें तो उन्हें 2 जून की रोटी भी नसीब नहीं होगी। नीतीश लालू या फिर भाजपा सब ने बिहार को दोहन किया है। विकास बिल्कुल नहीं किया।
एमके गुप्ता, ट्रांसपोर्टर चेन्नई!
बिहार की राजनीति बेहद गंदी

-यह सच है कि बिहार की राजनीति बेहद गंदी है। नेताओं का नैतिक पतन हो चुका है। नीतीश कुमार बार-बार पाला बदलते हैं। अब बिहार में वह अविश्वसनीय हो गए हैं। कभी भाजपा के साथ तो कभी महागठबंधन में जाने से उनकी लोकप्रियता पर भारी कमी आई है, लेकिन यह भी सच है की प्रशांत किशोर भी अब विश्वसनीय नहीं रहे। वह एक रणनीतिकार हो सकते हैं लेकिन राजनीतिज्ञ नहीं। उन्होंने सिर्फ चुनाव की रणनीति बनाई है। जमीन पर कुछ काम नहीं किया है।
राजेश राय, व्यवसायी
बार-बार राजनीतिक पलटी
-वर्ष 2005 से 2015 तक नीतीश कुमार ने बिहार के लिए बेहतर काम किया। कानून व्यवस्था से लेकर बुनियादी सुविधाओं को बहाल करने में वह अव्वल रहे,लेकिन 2015 के बाद वह बार-बार राजनीतिक पलटी मारते रहे। जिनसे उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बहुत घट गया है। लोग उन्हें पलटूराम के नाम से पुकारते हैं। वैसे तो प्रशांत किशोर का आरोप बिल्कुल सही है लेकिन प्रशांत किशोर व्यवस्था बदल दंे ऐसा बिहार जैसे राज्य में असंभव है। जहां अब भी राजनीति जात-पात के आधार पर की जाती है। बिहार के लोग सबसे ज्यादा पलायन करते ह।ैं बावजूद इसके वह अपने नेताओं से यह पूछने का हिम्मत नहीं जुटा पाते कि आखिर बिहार में रोजगार क्यों नहीं ?
अभय सिंह नौकरी पेशामाधवरम,
उल्लेखनीय है कि प्रशांत किशोर कुछ वर्ष पहले जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष रहे हैं और चुनाव रणनीतिकार के रूप में देश के कई राजनीतिक दलों के साथ काम कर चुके हैं। बहरहाल बिहार में राजनीतिक दल बनाने से पहले जन सुराज पदयात्रा कर रहे हैं, और बिहार के राजनीतिक पार्टी की विफलता उजागर कर रहे हैं।