भाजपा की नजर अब मेवाड़ राज परिवार पर

मेवाड़ा राज परिवार का पुराना राजनीतिक इतिहास रहा है। लक्ष्यराज सिंह के पिता अरविंद सिंह मेवाड राजनीति का हिस्सा नहीं रहे लेकिन उनके अग्रज महेंद्र सिंह मेवाड़ पूर्व में चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि बाद में वे एक बार चुनाव हार गए थे और उसके बाद से अब तक वे सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं है।

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लक्ष्यराज सिंह

-मेवाड़ के पूर्व राज्य परिवार के युवा सदस्य लक्ष्यराज सिंह में भाजपा को झलकती नजर आ रही है पार्टी के लिए अपार संभावनाएं

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
राजस्थान के मेवाड़ संभाग में भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को पार्टी की दृष्टि से प्रभावशाली, असरकारी व्यक्ति-व्यक्तित्व की तलाश है और यह तलाश मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार तक पहुंचकर खत्म होती दिख रही है। इसमें भी भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का अनुमान है कि मेवाड़ राज परिवार के युवा सदस्य लक्ष्यराज सिंह अपने प्रभाव से और जनप्रिय छवि होने के कारण पार्टी को मेवाड़ में सशक्त नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं जो अभी पार्टी के बुजुर्ग नेता गुलाब चंद कटारिया को राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के जरिए की जा रही उनकी सक्रिय राजनीति से मुक्ति दिला के असम राज्यपाल बनाए जाने के बाद से ही मेवाड़ में सक्षम नेतृत्व विहीन सी महसूस कर रही है।
वैसे भी राजस्थान के राजे-रजवाड़ों का तब की जनसंघ और अब की भारतीय जनता पार्टी सहित कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों में हिस्सेदारी नई नहीं है। वह पूर्व में भी न केवल इन राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों से जुड़ कर राजनीति की बिसात का हिस्सा रहे है। देश की आजादी के बाद झालावाड़ परिवार के मुखिया रहे महाराजा राणा हरिश्चंद्र तो न केवल राजस्थान में मंत्री रहे बल्कि बाद में अलग राजनीतिक दल बनाकर प्रदेश की सत्ता हस्तगत करने की दहलीज तक जा पहुंचे थे लेकिन उनके असमय निधन के बाद इस राजपरिवार ने राजनीति से सदा के लिए किनारा कर लिया और अपनी वचनबद्धता पर आज भी कायम है। कमोवेश यही स्थिति जोधपुर महाराजा हनुवंत सिंह की रही जो राज्य की राजनीति में प्रभावशाली व्यक्तित्व थे, लेकिन वह भी एक हादसे में असमय इस दुनिया से विदा हो गए। हालांकि बाद में उनके पुत्र महाराजा गज सिंह राजनीति में रहे और जब तक रहे, सफल ही रहे। उनके स्वच्छ, निर्मल और शालीन व्यक्तित्व के कारण उनकी अलग पहचान आज भी कायम है।
बहरहाल अब बात मेवाड़ की। राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की राजनीति में दखल देने वाले इस अंचल ने माणिक्य लाल वर्मा, मोहनलाल सुखाड़िया, हरिदेव जोशी जैसे राजनेता दिए हैं। बीते सालों में भी मेवाड़ में गुलाब सिंह शक्तावत, सुश्री गिरिजा व्यास,मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, दिवंगत किरण माहेश्वरी जैसे कुछ प्रभावशाली नेता रहे हैं, लेकिन वर्तमान दौर में गुलाब चंद कटारिया ही सभी दलों में मेवाड़ के सबसे प्रभावशाली नेता थे जिनको अब राज्यपाल बनकर असम विदा किये जाने के बाद असरकारी राजनेता की रिक्तता हो गई है। इस कमी की भरपाई के लिए कांग्रेस की तो कभी कोई कोशिश रही नहीं, अलबत्ता भारतीय जनता पार्टी जरूर लगातार सक्रिय है और उन्हें मेवाड़ के पूर्व राज्य परिवार के युवा सदस्य लक्ष्यराज सिंह में पार्टी के लिए अपार संभावनाएं झलकती नजर आ रही है और शायद यही वजह है कि सक्रिय राजनीति को ‘अलविदा दिलवाकर’ गुलाबचंद कटारिया का गुवाहाटी के लिए टिकट कटाने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने न केवल अपने स्तर पर मेवाड़ राज परिवार से संपर्क साधना शुरू कर दिया था बल्कि लक्ष्यराज सिंह का पार्टी के कुछ केंद्रीय नेताओं से मेल-मिलाप भी करवाया था, जिनमें उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली राजपूत नेता और वर्तमान में भाजपा के उप नेता एवं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल है।
इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के अन्य राजपूत नेताओं सहित केंद्रीय एवं प्रदेश नेतृत्व के जरिए लक्ष्यराज सिंह को साधने की कोशिश की जा रही है। यहां तक कि प्रयास है कि उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधी मेल-मुलाकात करवा दी जाए। वैसे मेवाड़ क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिज्ञ होने के नाते गुलाबचंद कटारिया तो मेवाड़ राज परिवार के सदस्यों से मिलते-जुलते ही रहे हैं लेकिन राजनीतिक संदर्भ में बात करें तो कुछ समय पूर्व में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित कुछ अन्य वरिष्ठ नेता भी लक्ष्यराज सिंह से मुलाकात कर चुके हैं। वैसे मेवाड़ा राज परिवार का पुराना राजनीतिक इतिहास रहा है। लक्ष्यराज सिंह के पिता अरविंद सिंह मेवाड राजनीति का हिस्सा नहीं रहे लेकिन उनके अग्रज महेंद्र सिंह मेवाड़ पूर्व में चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि बाद में वे एक बार चुनाव हार गए थे और उसके बाद से अब तक वे सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं है। महेंद्र सिंह मेवाड़, अरविंद सिंह मेवाड़ और इनकी बहन के बीच पिछले काफी सालों से मेवाड़ राज परिवार की संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है जिसके कारण यह राज परिवार अकसर चर्चा में भी रहता है।

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