
-देवेन्द्र यादव-

यदि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आशानुरूप जीत हासिल होती है तो उसे यह समझना होगा कि देश में राहुल गांधी की लहर चल चुकी है, और इसी के मद्देनजर कांग्रेस को आगे के चुनावो की रणनीति बनानी होगी। देश की नजर हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव के परिणामों पर है। आठ अक्टूबर को परिणाम आएंगे। राजनीतिक पंडित और विश्लेषकों का अनुमान है कि हरियाणा में कांग्रेस की एक तरफा जीत होने जा रही है, वहीं जम्मू और कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बन सकती है।
दोनों ही राज्यों में यदि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो देश के राजनीतिक पंडित और राजनीतिक विश्लेषकों को राहुल गांधी का राजनीतिक लोहा मान लेना चाहिए, क्योंकि मौजूदा राजनीतिक दौर में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अधिकांश स्टार प्रचारक, खुलकर प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। एक अकेला राहुल गांधी ही है जो कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की तरफ से देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी केंद्र सरकार पर राजनीतिक हमले करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
राहुल गांधी को यह ताकत, देश की जनता से मिली है। कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताऔ का सहयोग और जनता के समर्थन सें कांग्रेस और इंडिया गठबंधन मजबूत हुए। वरिष्ठ नेता कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एनसीपी नेता शरद पवार, राजद नेता लालू प्रसाद यादव और फारूक अब्दुल्ला राहुल गांधी के साथ उनके मिशन भाजपा हटाओ अभियान में साथ खड़े नजर आए।
राहुल गांधी ने कांग्रेस को एक ऐसे दौर से गुजर कर ताकतवर बनाया है जब कांग्रेस के भविष्य के नेता एक-एक कर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। अकेले राहुल गांधी थे और उनके साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता और इंडिया गठबंधन के वरिष्ठ नेता थे, जो उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत दे रहे थे। उस राजनीतिक हिम्मत और ताकत के दम पर राहुल गांधी ने कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में 54 लोकसभा सीटों से 100 पर पहुंचाया और अब पूरी संभावना है कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन हरियाणा और जम्मू कश्मीर में भी अपनी सरकार बनाने जा रही है।
जिन नेताओं को अभी भी राहुल गांधी की राजनीति पर जरा सा भी संदेह है वह अभी से उसे दूर कर सकते हैं। अब देश में राहुल गांधी की आंधी रुकने वाली दिखाई नहीं दे रही है।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर के परिणाम आने के बाद कांग्रेस को महाराष्ट्र और झारखंड के साथ-साथ बिहार में भी अभी से रणनीति बनाना शुरू कर देना चाहिए। बिहार में कांग्रेस के भीतर कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है। कमी है कांग्रेस के नेताओं की इच्छा शक्ति की। बिहार में कांग्रेस को किसी मजबूत चुनावी रणनीतिकार नेता को प्रभारी बनाना होगा और बिहार में जल्द से जल्द नेतृत्व परिवर्तन करना होगा क्योंकि मौजूदा राष्ट्रीय प्रभारी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की सोच यदि यह होगी कि कांग्रेस बिहार में 50 सीट जीतने की योजना बनाएं जबकि कांग्रेस को यह योजना बनानी चाहिए कि बिहार की सत्ता में कांग्रेस वापसी कैसे करें इस पर काम होना चाहिए।
हरियाणा चुनाव के परिणाम के बाद राहुल गांधी को कांग्रेस के भीतर बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक करनी होगी, और हरियाणा चुनाव की जनसभा में अपने द्वारा कही गई उस बात को गंभीरता से लेना होगा कि कांग्रेस के भीतर चुपके चुपके आरएसएस के लोग आ जाते हैं। राहुल गांधी को कांग्रेस का इंटरनल सर्वे करवाना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि कांग्रेस किस कारण से कमजोर हुई थी। उस कमजोर कड़ी को सर्जिकल स्ट्राइक कर बाहर का रास्ता दिखाना होगा। राहुल गांधी को कड़ा फैसला तो लेना ही होगा।
वरना 83 साल के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, की चुनाव में मेहनत और उनका पसीना व्यर्थ चला जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)