हरियाणा में मुख्यमंत्री बदलने में देरी से भाजपा का तीसरी बार सत्ता का दावा हुआ कमजोर

-अब लोगो और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का अभियान

-राजेन्द्र सिंह जादौन-

चंडीगढ़।हरियाणा में विधानसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाओं पर आरएसएस के फीड बैक में पार्टी बहुमत से बहुत दूर दिखाई दे रही है।इसका कारण मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री रहते बेलगाम नौकरशाही और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को बताया जा रहा है।आम लोगों और कार्यकर्ताओं के बीच व्याप्त नाराजगी को दूर करने के लिए अब आरएसएस की ही मदद ली जा रही है।यह अनुमान है कि पांच अक्टूबर को मतदान तिथि तक यह नाराजगी दूर कर ली जाएगी।नाराजगी दूर करने के लिए जिला स्तर पर डेढ़ से दो सौ लोगो की टीम सक्रिय की गई है।
सूत्रो के अनुसार आरएसएस को मनोहर लाल खट्टर को लेकर लोगो के बीच फैली नाराजगी की जानकारी अच्छी तरह से थी और पिछले साल ही मुख्यमंत्री बदलने का सुझाव दिया गया लेकिन इस सुझाव को एक साल बाद यानी इस साल मार्च में माना गया और खट्टर की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया।नोकरशाही को लेकर फैली नाराजगी को दूर करने के नाम पर सिर्फ मुख्य सचिव को बदला गया।अब मतदाता का मूड बदलने के लिए
हाल ये है कि एक तरफ जनता नाराज है, तो दूसरी तरफ कार्यकर्ता और कई स्थानीय नेता भी नाराज हैं। इसी का नतीजा था कि लोकसभा चुनाव में वे अपने घरों से बाहर ही नहीं निकले।’पार्टी सबसे पहले तो अपनों को मनाने पर जोर दे रही है। अगर ये बाहर निकले, तो हजारों परिवार वैसे ही बाहर आ जाएंगे। हर कार्यकर्ता और नेता के अपने समर्थक हैं। दूसरी तरफ खट्टर से जनता के मन में आई खटास को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा की रणनीति में आरएसएस का प्रवेश हो गया है। अब. भाजपा के लिए जनाधार वाले उम्मीदवारों की तलाश की जा रही है। भाजपा में अब तक जेजेपी के 5 नेता शामिल हो चुके हैं। ये सभी जनाधार वाले नेता माने गए हैं। पार्टी की पहली टिकट लिस्ट में कांग्रेस और जेजेपी से आए 10 नेता शामिल हैं। सूत्रो के मुताबिक, आरएसएस का सुझाव है कि चाहे कांग्रेस हो या जेजेपी, जिसके पास जनाधार है उसका स्वागत करना चाहिए। टिकट बंटवारे में भी उसी को अहमियत मिलनी चाहिए।नाराजी वाले नेता अगर वोट मांगने गए तो हार पक्की है।
लोगों के बीच कई योजनाओं को लेकर नाराजगी है। लोग अग्निपथ से नाराज हैं। बेरोजगारी भी मुद्दा है। मोहल्लो में बैठके कर लोगो की नाराजगी दूर की जा रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, खट्टर से उलट लोगों के बीच जा रहे हैं। वे कार्यकर्ताओं और विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं। नायब सिंह सैनी को सलाह दी गई है कि वो उन क्षेत्रों में जाएं, जहां भाजपा का वोटर है। जैसे अहिरवाल क्षेत्र, जिसमें दक्षिण हरियाणा आता है। ये वही क्षेत्र है जहां से लोग सबसे ज्यादा फौज में जाते हैं। हालांकि फौज में तो पूरे हरियाणा से ही लोग जाते हैं। फौज में एक तिहाई लोग सिर्फ हरियाणा से ही हैं।
‘खट्टर के मुख्यमंत्री रहते हुए छोटे कार्यकर्ताओं का तो सीएम हाउस में प्रवेश ही नहीं था। अब नायब सिंह सैनी के आने से लोगों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम हुई है। खट्टर के आस-पास तैनात अफसरों ने एक दीवार बना दी थी कि जमीनी कार्यकर्ता तक खट्टर की पहुंच ही न रहे।’ हरियाणा में भाजपा ने अब तक 67 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। इनमें 8 मंत्रियों को दोबारा टिकट मिला है। 25 नए चेहरे हैं। 8 विधायकों का टिकट कटा है। लिस्ट में 8 महिलाएं हैं। सीएम नायब सिंह सैनी करनाल की जगह कुरुक्षेत्र की लाडवा सीट से चुनाव लड़ेंगे। राज्य में दो बार से भाजपा की सरकार है। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बनाए गए थे। इसके बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से चूक गई। भाजपा ने 10 सीट जीतने वाली जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई। मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री और जेजेपी के दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने।2024 में लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी और जेजेपी का गठबन्धन टूट गया। इसके बाद बीजेपी ने मनोहर लाल को बदलकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया। लगातार दो बार से सरकार बना रही बीजेपी के सामने एंटी इनकम्बेंसी की चुनौती है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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