
-राजस्थान के हाडोती अंचल में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी वह बड़ा चेहरा है जो अपनी सीट बदलना चाहते हैं क्योंकि उन्हें इस चुनाव में अंता विधानसभा सीट काफी असहज नजर आ रही है क्योंकि एक बार फ़िर से कांग्रेस की ओर से प्रमोद जैन ‘भाया’ की इस सीट पर अमूमन इकलौती दावेदारी है और ऎसे में संकट के बादल ‘सिर्फ और सिर्फ’ प्रभु लाल सैनी के खाते में हैं।
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से जिस तरह से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया सहित कुछ अन्य मौजूदा विधायकों के अपनी परंपरागत सीट को छोड़कर अन्य सीट से टिकट की दावेदारी जताने की संभावनाओं के बीच ऐसी भी सूचनाएं हैं कि
हाडोती संभाग में भी कुछ भाजपा विधायक ऐसे हैं जो पहुंच के बल पर अपनी मौजूदा उस सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं जहां से वह या तो हार गए हैं या वर्तमान में विधायक रहते भी हार की आशंका के चलते चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है।
कोटा संभाग में सीट परिवर्तन के प्रमुख दावेदारों की बात करें तो श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कृषि मंत्री रहे प्रभु लाल सैनी प्रमुख रूप से शामिल है जो एक बार फिर से बूंदी जिले की अपनी पैतृक विधानसभा क्षेत्र हिंडोली से चुनाव लड़ना चाहते हैं। पिछला चुनाव प्रभु लाल सैनी ने बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से लड़ा था जहां से वे प्रमोद जैन ‘भाया’ से हार गए थे। इस बार भी यदि अंता से चुनाव लड़ते हैं तो उनका प्रमोद जैन ‘भाया’ से सामना तय है लेकिन प्रभुलाल सैनी प्रमोद जैन भाया की खिलाफ चुनाव लड़ने में अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं। इसके विपरीत प्रमोद जैन ‘भाया’ पूरे आत्मविश्वास के साथ फ़िर से अंता विधानसभा क्षेत्र चुनाव तैयारी कर चुके हैं और कम से कम उन्हे तो अपनी जीत में कहीं कोई संशय नजर नहीं आता।
वैसे सोशल मीडिया पर भी भाजपा के संभावित प्रत्याशियों की एक सूची जारी की जा रही है जिसमें बूंदी जिले की हिंडोली-नैनवां विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी का नाम बताया जाता है। प्रभु लाल सैनी ने ऐसी किसी सूची के बारे में जानकारी होने से इंकार करते हुए कहते कि-” भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष होने के नाते मैं यह कहना चाहता हूं कि पार्टी ने मुझे जहां से भी टिकट देगी,मैं वहां से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं। अगर हिंडोली-नैनवां सीट से। डिलीट किया गया तो कार्यकर्ताओं की मदद से मजबूती के साथ यहां से चुनाव लडूंगा।
हाडोती अंचल में एक और भाजपा विधायक श्रीमती चंद्रकांता मेघवाल अपनी मौजूदा बूंदी जिले की केशवरायपाटन विधानसभा सीट बदल कर उसकी जगह कोटा जिले की रामगंजमंडी सीट से चुनाव लड़ना चाहती है जहां से वह पूर्व में भी विधायक रह चुकी हैं और विधायक रहते हुए भी पिछली मर्तबा पार्टी ने उन्हें रामगंजमंडी की जगह केशवरायपाटन से टिकट दिया और जीत भी गई लेकिन लेकिन इस बार वे कोई जोखिम लेने को तैयार नजर नहीं आ रही और रामगंजमंडी सीट से चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन वहां से मौजूदा विधायक मदन दिलावर किसी भी सूरत में सीट छोड़ने को तैयार नहीं है।दावेदारी की इसी दौड़ के चलते हाल ही में भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा के दौरान दोनों पक्षों में मारपीट की घटना हो चुकी है और मामला पुलिस तक पहुंच गया है।
रामगंजमंड़ी में हुई एक सभा से पहले मंच पर चंद्रकांता मेघवाल के एक समर्थक ने अपनी नेता का पोस्टर मंच पर चस्पा कर दिया था। आरोप है कि इससे खफा होकर मौजूदा विधायक मदन दिलावर के पुत्र ने उस कार्यकर्ता से न केवल मारपीट की बल्कि उसे मंच से नीचे भी गिरा दिया। इसके बाद मदन दिलावर के पुत्र के खिलाफ रामगंजमंडी थाने में रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। मदन दिलावर समर्थक और विधायक चंद्रकांता मेघवाल तो खुद एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी तक कर चुके हैं।
वैसे मदन दिलावर को पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार वहां की मौजूदा विधायक श्रीमती चंद्रकांता मेघवाल का टिकट काटकर भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था जबकि मदन दिलावर पूर्व में बारां जिले की अटरू विधानसभा सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं और वही से विधायक रहते वे श्रीमती वसुंधरा राजे की सरकार में समाज कल्याण मंत्री के पद पर भी रह चुके हैं। बाद में वे चुनाव हार गए थे और उसके बाद उन्हें वहां से टिकट नहीं दिया गया था।
वैसे श्रीमती चंद्रकांता मेघवाल भी अपनी मौजूदा बूंदी जिले की केशवरायपाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं बताई जाती है इसीलिए वे बार-बार रामगंजमंडी की ओर रुख कर रही है। हालांकि इन दोनों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व मौजूदा विधायकों को ही टिकट देना चाहता हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)