
-देवेंद्र यादव-

चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव की अब किसी भी समय घोषणा कर सकता है। बिहार में चुनाव की घोषणा होने से पहले ही, देश की दो प्रमुख बड़ी पार्टियों ने बिहार की जनता के लिए, सौगातों की घोषणा शुरू कर दी है।
भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की बिहार में बढ़ती सक्रियता बता रही है कि 2025 का विधानसभा चुनाव एनडीए गठबंधन या महागठबंधन के बीच नहीं होगा बल्कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच होता हुआ नजर आएगा। जिस प्रकार से दोनों ही दलों के नेता खासकर कांग्रेस के नेता बिहार में सक्रिय नजर आ रहे हैं उससे लगता है कि कांग्रेस सत्ता में वापसी चाहती है। भारतीय जनता पार्टी बिहार में एक बार अपनी सरकार बनाना चाहती है। यही वजह है कि दोनों ही दल अपने अपने गठबंधनों की पार्टियों के साथ नजर तो आ रहे हैं मगर अंदर खाने दोनों ही पार्टियों के चुनावी रणनीतिकार अपने अपने राजनीतिक मंसूबे अलग ही पाल कर बैठे हुए हैं। ऐसा भी नहीं है कि बाकी गठबंधनों के दल के नेता भाजपा और कांग्रेस के नेताओं और रणनीतिकारों की रणनीतियों को नहीं समझ रहे हैं।खासकर जेडीयू और राजद के नेता भली भांति समझ रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस के नेता और चुनावी रणनीतिकार बिहार में क्या चाहते हैं। यही वजह है कि राजद के नेता तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के साथ वोटर का अधिकार यात्रा करने के बाद, अपनी अलग से एक यात्रा और शुरू कर दी है। महागठबंधन के भीतर अभी भी कांग्रेस और राजद के बीच एक दूसरे पर राजनीतिक दबाव बनाने का खेल चल रहा है। कुछ ऐसा ही भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी के बीच में भी दिखाई दे रहा है। इसी से सवाल खड़ा होता है कि क्या बिहार में 2025 का विधानसभा चुनाव देश की दो प्रमुख पार्टीयों भाजपा और कांग्रेस के बीच होता हुआ नजर आएगा। इसका पता बिहार विधानसभा के चुनाव की घोषणा होगी तब ठीक से चलेगा। कौन दल किस गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेगा और कौन दल टूट कर किस गठबंधन में शामिल होगा।
क्या भाजपा और कांग्रेस के मंसूबे पूरे होंगे क्या बीजेपी पहली बार बिहार में अपनी सरकार बनाएगी या कांग्रेस दशकों बाद बिहार की सत्ता में वापसी करेगी। बिहार में कांग्रेस को वापसी करने के लिए अभी आत्मविश्वास की सख्त जरूरत है जो कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और उनकी टीम में नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस भ्रम की स्थिति में है, जबकि बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के अंदर आत्मविश्वास जगा है। कार्यकर्ता चाहता है कि कांग्रेस बिहार में अपनी दम पर चुनाव लड़े। मगर कांग्रेस के नेता कंफ्यूज हैं। उनमें रिस्क लेने की कमी है। लेकिन अब समय ऐसा है कि कांग्रेस के नेताओं को रिस्क लेनी ही पड़ेगी। यदि कांग्रेस को राज्यों में मजबूत स्थिति में देखना है और चुनाव जीतना है तो।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)