
-द ओपीनियन डेस्क-
लखनऊ। भाजपा ने कई सारे अटकलों व कयासों के बीच उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमान प्रदेश के पश्चिम अंचल के प्रभावशाली जाट नेता भूपेंद्र सिंह चौधरी को सौंपने का ऐलान कर दिया है। यह पहला मौका है जब राज्य में पार्टी की कमान एक जाट नेता को दी गई है। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने राज्य के जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। इससे पहले भाजपा जगदीप धनखड को उपराष्ट्रपति बनाकर जाट समाज को राजनीतिक संदेश दे चुकी है।
योगी 2-0 सरकार के गठन के बाद से ही नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर अटकलें शुरू हो गई थी। निवर्तमान अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को कैबिनेट में शामिल किए जाने के साथ ही नामों को लेकर अटकलें शुरू हो गई थी। चर्चा किसी ब्राह्मण नेता या पिछड़ा वर्ग के नेता को सौंपने की थी। पार्टी यह वर्तमान में संगठन स्तर में फेरबदल 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कर रही है। ऐसे में चौधरी की नियुक्ति काफी अहम है।
चौधरी वर्तमान सरकार में पंचायती राज मंत्री है। समझा जाता है कि उन्हें पश्चिम उत्तर प्रदेश में मजबूत पकड़ रखने का पुरस्कार मिला है। किसान आंदोलन की नाराजगी के बावजूद जाट बहुल पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा ने आशातीत सफलता हासिल की थी।
54 वर्षीय भूपेंद्र चौधरी 2016 में पहली बार विधान परिषद सदस्य चुने गए थे। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें पंचायती राज विभाग का राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया था। बाद में 2019 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। योगी सरकार 2.0 में उन्हें पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी दी गई।
चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। चौधरी चरण सिंह की विरासत संभाल रहे जयंत चौधरी की पार्टी रालोद का विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ समझौता था। भूपेंद्र सिंह का अध्यक्ष बनना सपा को झटका हो सकता है।