
-द ओपीनियन डेस्क-
नई दिल्ली। कंग्रेस इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा की तैयारी में जुटी है। यात्रा 7 सितम्बर से शुरू होगी। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पहले श्रीपेरूम्बदुर में राजीव गांधी पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे और फिर कन्याकुमारी से यह यात्रा शुरू करेंगे। यात्रा 17 राज्यों से गुजरेगी और 3500 किलोमीटर तक चलेगी। इसको पूरा होने में करीब 150 दिन लगेंगे। पार्टी में मंगलवार को यात्रा के लोगो, टैगलाइन, वेबसाइट व पुस्तिका विमोचन किया। इसके एक दिन पहले राहुल गांधी ने सिविल सोसायटी के नेताओं के साथ मुलाकात कर यात्रा पर चर्चा की। यह अपील भी की गई कि यात्रा दलगत राजनीति से परे है और इसका उद्देश्य देश में मौजूदा माहौल में सुधार लाना है। पार्टी ने कहा भी है कि देश में आर्थिक विषमताओं, सामाजिक धु्रवीकरण व राजनीतिक विभाजन के मद्देनजर यह यात्रा आवश्यक है। इस या़त्रा के जरिए व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाने की बात भी पार्टी ने कही है। या़त्रा जब अंतिम चरण में होगी उस समय गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक मे विधानसभा चुनाव हो रहे होंगे। ऐसे में यदि कांग्रेस इस यात्रा के माध्यम से कोई सार्थक व सकारात्मक संदेश लोगों तक पहंचा पाई तो उसे राजनीतिक लाभ भी मिल सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि पार्टी एक व्यापक रणनीति के तहत यात्रा के मार्ग पर आगे बढे।
झटकों से उबरना होगा
लेकिन यात्रा के तैयारियों के बीच पार्टी को दो तीन अहम झटके भी झेलने पड़े हैं। पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजादी ने जम्मू कश्मीर की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया उसके बाद हिमाचल में पार्टी की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष आनंद शर्मा ने भी समिति से किनारा कर लिया। अब पार्टी के राष्टीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सचमुच ऐसी खबरें पार्टी के प्रति एक नकारात्मक महौल बनाती हैं। भारत जोड़ो या़त्रा के तैयारियों के बीच ऐसी खबरों से पार्टी को विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। आजाद और आनंद शर्मा दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेता है और पार्टी में सुधारों की मांग कर रही जी-23 के सदस्य रहे हैं। दोनों ही पार्टी में अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं। आनंद शर्मा ने कहा भी कि आत्मसम्मान से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हिमाचल प्रदेश में इसी साल के अंत में चुनाव होने हैं। जम्मू कश्मीर में भी चुनावों के लिए तैयारी चल ही। ऐसे में इस तरह के खबरें पार्टी की चुनावी तैयारियों के साथ भारत जोडो यात्रा पर असर डाल सकती हैं। कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा के लिए एक सुविचारित रणनीति केतहत आगे बढना चाहिए।