
-देवेंद्र यादव-

प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार 15 अप्रैल को नेशनल हेराल्ड मामले में श्रीमती सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी कर देश की राजनीति में भूचाल ला दिया। राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर चर्चा और बहस होने लगी की क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जेल जाना पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में तब चर्चा हो रही थी कि राजस्थान कांग्रेस का नेता कौन अशोक गहलोत या सचिन पायलट।
दरअसल राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को लेकर चर्चा इसलिए हो रही थी क्योंकि राहुल गांधी कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन से सीधे राजस्थान के रणथंबोर नेशनल पार्क आए थे और उनकी मुलाकात वहां कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष छुट्टन मीना से हुई थी। छुट्टन मीना से राहुल गांधी की क्या बात हुई थी, इसे या तो राहुल गांधी जानते हैं या फिर छुट्टन मीना। लेकिन दोनों के बीच राजस्थान की राजनीति को लेकर जो बात हुई वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय के समन जारी करने के बाद राजस्थान में अधिक चर्चा में क्यों आ रही है, जबकि देश भर में 16 अप्रैल को कांग्रेस प्रवर्तन निदेशालय के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन करने की घोषणा कर चुकी है। राजस्थान में भी प्रदर्शन होगा इसकी घोषणा हो चुकी है।
मगर सवाल यह है कि अचानक से राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की चर्चा जोरों पर क्यों होने लगी है। 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के उपलक्ष में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित गोष्ठी में प्रदेश के तमाम नेता कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा की उपस्थिति में मौजूद दिखाई दिए। लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों नजर नहीं आए थे। यदि यह दो नेता ही राजस्थान कांग्रेस के बड़े नेता हैं तो यह दोनों नेता 14 अप्रैल बाबा साहब अंबेडकर के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित गोष्टी में क्यों नजर नहीं आए। यदि राहुल गांधी राजस्थान की राजनीति में क्या चल रहा है इस सवाल को कांग्रेस के आम कार्यकर्ता से पूछते तो उन्हें राजस्थान कांग्रेस की असलियत का पता चलता। उन्हें पता तो इस बात से भी लग जाना चाहिए कि उनके और कांग्रेस कार्यकर्ता के बीच में राजस्थान की राजनीति को लेकर क्या संवाद हुए थे। संवाद में से केवल राजस्थान कांग्रेस का अगला नेता कौन अशोक गहलोत या सचिन पायलट यह अचानक सड़क पर क्यों सुनाई देने लगा। जबकि कांग्रेस के सामने राजनीतिक संकट ने दस्तक दे दी है। जब प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ समन जारी किया। राजस्थान कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर गंभीरता से चिंतन और मंथन करें क्योंकि अशोक गहलोत राजनीतिक चाणक्य और जादूगर हैं। वह जानते हैं संकट से कैसे निपटा जाता है। क्योंकि विगत दिनों जब प्रवर्तन निदेशालय ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की थी तब अशोक गहलोत की राजनीतिक रणनीति का लाभ मिला था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)