
-विद्रोहियों के हमलों से थर्राया बलूचिस्तान
-द ओपिनियन-
भारत में आतंक को हवा दे रहा पाकिस्तान खुद अपने हर हिस्से में विद्रोह व आतंकवाद का सामना कर रहा है। खासकर इसके बलूचिस्तान में विद्रोह ने अब गंभीर रूप ले लिया है। भारत के विभाजन के समय से ही बलूचों ने कभी पाकिस्तान में विलय को स्वीकार नहीं किया था और तब से ही पाकिस्तान से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन लगता है अब यह संघर्ष जातीय रूप भी ले रहा है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने सोमवार को पाकिस्तान के सुरक्षा बलों पर जोरदार और घातक हमला किया जिसमें खबर है कि 102 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। बलूच लिबरेशन आर्मी कहती है, अब तक, सेना के साथ नाकाबंदी और झड़पों में 62 सैन्यकर्मियों की मौत हो चुकी है, जिससे मारे गए दुश्मन सैन्य कर्मियों की कुल संख्या 102 हो गई है। इन अभियानों के दौरान 22 से अधिक सैन्य, पुलिस और लेवी कर्मियों को पकड़ने की भी सूचना दी।
हालांकि सेना ने जो आंकड़े बताए हैं वह काफी कम हैं। लेकिन यहां महत्व आंकड़ों का नहीं इन हमलों के पीछे की भावना है। हमले पाकिस्तानी सेना के सैन्य शिविरों और सैन्य चैकियों को निशाना बनाकर किए जा रहे हैं। लेकिन इसी दौरान बलूचिस्तान के मुसाखाइल जिले में पंजाब के 23 लोगों की उनकी आईडी देखने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि ये लोग भी सादा कपड़ों में सेना के जवान ही थे। हकीकत क्या हेै, यह तो पाकिस्तानी अधिकारी ही जानें लेकिन एक समुदाय विशेष या एक जातीय समूह को जिस तरह से निशाना बनाया गया उससे साफ है कि बलूचों और पंजाबियों के बीच खाई कितनी गहरी होती जा रही है। पाकिस्तानी सेना में ज्यादातर सैनिक पंजाबी पृष्ठभूमि वाले हैं और बलूचों में यह आमधारणा है कि सेना बलूचों पर ज्यादती कर रही है। उनके नेताओं की हत्या और अपहरण आम हैं। पिछले दो दशकों में बलूचों का खूब दमन हुआ है। पाकिस्तान में वहां राजनीति के अलावा सेना, न्यायपालिका और नौकरशाही में भी पंजाबियों का वर्चस्व है।
बलूचिस्तान में पंजाबियों के खिलाफ इस तरह के हमले पहले भी हुए हैं। इसी साल अप्रैल में बलूचिस्तान के नोशकी में नौ पंजाबी यात्रियों को उनकी आईडी जांचने के बाद गोली मार दी गई थी। इससे साफ है कि बलूचों में पंजाबियों के प्रति काफी नफरत है। अन्यथा वे इस आधार पर उन पर हमले नहीं करते कि वे पंजाबी हैं। माना जाता है कि पाक सेना ने की क्रूर कार्रवाई के चलते ही बलूचों ने भी हिंसा का सहारा लिया है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का संसाधनों से समृद्ध परन्तु विकास की दृष्टि से सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। बलूच मानते हैं कि पंजाब के लोग बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का फायदा उठा रहे हैं और उनके हिस्से सिर्फ गरीबी आ रही है। इसी उपेक्षा के चलते बलूचिस्तान में अलगाववाद ने जोर पकड़ा और अब इसने विद्रोह का रूप ले लिया है। पाकिस्तान की सेना अब बलूचिस्तान में गंभीर चुनौती का सामना कर रही है।
मीडिया रिपोर्टो के अनुसार लड़ाकों ने बलूचिस्तान में सभी हाइवे पर चेकपॉइंट स्थापित करके कब्जा कर लिया है। बीएलए के इन बढते हमलों का मकसद भी महत्वपूर्ण जगहों को अपने नियंत्रण लेने की है और वह धीरे धीरे इसमें सफल भी हो रही है।