
नई दिल्ली। संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में लगभग 14 घंटे की बहस के बाद 128 सदस्यों ने पक्ष में और 95 ने विपक्ष में मतदान किया। सरकार ने कहा कि कानून मुसलमानों के खिलाफ नहीं है, इसके बजाय इसका उद्देश्य केवल वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता लाना है, जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य मुसलमानों को “द्वितीय श्रेणी के नागरिक” के रूप में कमतर करना है। विपक्ष ने बिल के “आशय और विषय वस्तु” दोनों पर सवाल उठाया है। उच्च सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच का अंतर लोकसभा की तुलना में बहुत कम था। लोकसभा में इसे गुरुवार को 56 मतों के अंतर से मंजूरी दी गई थी। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उनका अनुमोदन मिलते ही यह बिल कानून की शक्ल ले लेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 संसद में मंजूर होने को ऐतिहासिक क्षण बताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा कि दशकों से वक्फ प्रणाली पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी का पर्याय बन गई थी, जिससे विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं, गरीब मुसलमानों और पसमांदा मुसलमानों के हितों को नुकसान पहुंच रहा था। विपक्षी सदस्यों की ओर से सुझाए गए सभी संशोधन सदन ने खारिज कर दिए।
इससे पहले, राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 22 मेंबर होंगे. एक्स ऑफिशियो मेंबर को मिला कर 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम नहीं होंगे। यह साफ तौर पर बताया जा चुका है।’ उन्होंने कहा, ‘वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और वैधानिक निकाय में केवल मुसलमानों को ही क्यों शामिल किया जाना चाहिए? अगर हिंदू और मुसलमानों के बीच कोई विवाद है, तो उस विवाद का समाधान कैसे होगा?’