
-द ओपिनियन पॉलिटिकल डेस्क-
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो गई है। नामांकन की प्रक्रिया 24 से शुरू होगी जो 30 सितंबर तक जारी रहेगी। फिलहाल दावेदारों की तस्वीर साफ होने लगी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। गहलोत खुद कह चुके हैं कि अध्यक्ष राहुल गांधी को बनना चाहिए। फिर पार्टी का आदेश शिरोधार्य होगा। बात साफ है कि यदि राहुल चुनाव मैदान में नहीं उतरते हैं तो अशोक गहलोत सोनिया गांधी व राहुल गांधी की सहमति से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।

गहलोत के अलावा केरल से सांसद शशि थरूर और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम भी दावेदारों के रूप में सामने आ रहा है। यानी इस पद के लिए चुनावी मुकाबला हुआ तो यह चुनाव त्रिकोणीय संघर्ष में बदल सकता है। लेकिन इतना तो तय है कि यदि गांधी परिवार चुनाव मैदान में नहीं उतरता है और कोई अन्य नेता चुनाव मैदान में उतरते हैं तो सफलता उसको ही मिलनी तय है जिनको गांधी परिवार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन हासिल होगा। सोनिया गांधी या राहुल गांधी चुनाव लड़े या ना लड़ें पार्टी में उनका कद इतना बड़ा है कि उनकी सहमति के बिना किसी अन्य नेता का इस पद पर आसीन होना असंभव सा है।
आज अशोक गहलोत की राहुल गांधी के साथ मुलाकात प्रस्तावित है और दिग्विजय सिंह भी सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं, अब देखना यह है कि इन दोनों मुलाकातों के बाद क्या नई तस्वीर उभरकर सामने आती है।
क्या दिग्विजय बनाएंगे त्रिकोण !
दिग्विजय सिंह की दावेदारी की चर्चा उनके ही एक बयान से सामने आई; उन्होंने बुधवार को कहा था कि अगर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगे तो हम दावेदारी नहीं करेंगे। अगर कोई दूसरा लड़ता है और मैं उसे पसंद नहीं करता हूं तो मैं चुनाव में दावेदारी कर सकता हूं। उनके इस बयान के बाद अध्यक्ष के चुनाव में एक और कोण उभरकर सामने आ गया है। लेकिन यह वास्तविक तस्वीर नहीं है। अभी इन नामों के पीछे कई सियासी चालें और दांव छिपे हैं। कौन बनेगा अध्यक्ष की चाबी अब भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास है। गहलोत के सामने राजस्थान की सियासत की भी चुनौती है। इस कार्यकाल में उनको शुरू से ही चुनौती मिलती रही है, अभी तक इसको किसी को थाह नहीं है कि वह वास्तव में राजस्थान छोड़ना चाहते हैं या नहीं।

राजस्थान में न गहलोत को खारिज किया जा सकता और ना सचिन पायलेट को। मौजूदा हालात में दोनों को जोडें तो कांग्रेस मजबूत बनती है। राजस्थान में डॉ सीपी जोशी भी निर्विवाद छवि वाले नेता हैं और वे इस पद के दावेदारों में से भी हैं। गहलोत को हटाने पर राजस्थान की कमान किसी सर्वमान्य नेता को सौंपने के लिए भी राहुल गांधी व सोनिया गांधी को कई सियासी चुनौतियों से निपटना होगा। अन्यथा पार्टी को राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।