
-कांग्रेस आलाकमान को लेना होगा फैसला
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन के अंतिम दिन 9 अप्रैल बुधवार को खुले मंच से कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी की बात और बयान पर मोहर लगा दी। शायद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इसी दिन का इंतजार कर रहे थे कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जो बात उनके मन में थी वही बात कांग्रेस के आम कार्यकर्ता के मन में भी है या नहीं। कार्यकर्ताओं के मन की बात राहुल गांधी सहित श्रीमती सोनिया गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खुले मंच से कार्यकर्ताओं की जुबान से सुन ली और कार्यकर्ताओं की बात पर तालियां बजाकर उनकी बात का स्वागत किया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि बरसों से पीढ़ी दर पीढ़ी कुंडली मारकर बैठे नेताओं को संगठन के पदों से मुक्त करके कांग्रेस परिवार के लोगों को संगठन में जिम्मेदारी दी जाए। जो नेता कांग्रेस में रहकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं और जो नेता भाजपा से मिलकर कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं उन नेताओं को कांग्रेस से बाहर किया जाए। यही बात लंबे समय से राहुल गांधी भी कर रहे थे। मगर शायद राहुल गांधी निर्णय लेने में हिचक रहे थे लेकिन 9 अप्रैल बुधवार को राहुल गांधी को अधिवेशन के खुले मंच से देश भर से आए कार्यकर्ताओं ने ताकत दी और मांग की की कांग्रेस को कमजोर करने वाले नेताओं को कांग्रेस से बाहर कर दिया जाए। अधिवेशन के खुले मंच से देश भर से आए कांग्रेस प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं ने एक के बाद एक जब बैबाकी से यह कहना शुरू किया कि लंबे समय से पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता और संगठन में कुंडली मारकर बैठे नेताओं को कांग्रेस हाई कमान किनारे कर नए ईमानदार और कांग्रेस के प्रति वफादार कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दे। कार्यकर्ताओं की इस बात पर श्रीमती सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने तालियां बजाकर स्वागत किया। तब ऐसा लगा जैसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुजरात अधिवेशन शायद इसीलिए आयोजित किया हो। इसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के भीतर जो बदलाव कर रहे हैं उस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मोहर लगे और कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की चाहत पर मोहर लगा दी है। अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे निर्णय कब लेते हैं। अधिवेशन के पहले दिन राहुल गांधी के चेहरे से लग रहा था जैसे वह परेशान हों लेकिन दूसरे दिन जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खुले मंच से राहुल गांधी के मन की बात का समर्थन किया तो उनका चेहरा खिल उठा। अब कांग्रेस के भीतर कुंडली मारकर बैठे किन-किन नेताओं के चेहरे मुरझाएंगे और कब मुरझाएंगे इस पर सभी की नजर होगी। राजनीतिक पंडित और मीडिया की नजर तो कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी पर भी थी, जो कांग्रेस के महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक गुजरात अधिवेशन में नजर नहीं आई। क्या वजह रही की प्रियंका गांधी अहमदाबाद अधिवेशन में नजर नहीं आई। जबकि मीडिया में चर्चा थी कि कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में श्रीमती प्रियंका गांधी को कांग्रेस बड़ी जिम्मेदारी देगी। अधिवेशन में प्रियंका गांधी ही नहीं बल्कि टीम प्रियंका गांधी के लोग भी या तो नजर नहीं आए और जो आए भी वह सक्रिय नजर नहीं आए। गत दिनों उत्तर प्रदेश के बहराइच कांग्रेस के नेताओं ने दिल्ली स्थित कांग्रेस के मुख्यालय इंदिरा गांधी भवन पर उत्तर प्रदेश में नियुक्त किए गए जिला अध्यक्षों को लेकर रोष प्रदर्शन किया था। कार्यकर्ताओं का कहना था उत्तर प्रदेश में खानदानी कांग्रेसियों को जिला अध्यक्ष नहीं बनाया गया है बल्कि टीम प्रियंका गांधी के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी से संबंध रखने वाले लोगों को जिला अध्यक्ष बनाया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ कारण बताओं नोटिस भी जारी किया है। कानपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े मिश्रा ने कांग्रेस अधिवेशन के खुले मंच से भी कहा था कि उत्तर प्रदेश में ऐसे लोगों को जिला अध्यक्ष बनाया है जो कांग्रेस विचारधारा के लोग नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में लंबे समय से यह चर्चा सुनाई दे रही है कि प्रदेश के संगठन पर टीम प्रियंका गांधी का भारी दखल है। टीम प्रियंका गांधी के दखल के चलते उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जिला अध्यक्षों की नियुक्ति करने के बावजूद कमजोर है। आवाज तो यहां तक सुनाई दे रही है यदि राहुल गांधी ने टीम प्रियंका गांधी के दखल को खत्म नहीं किया तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)