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किशोरपुरा गौशाला में रखी गई लंपी रोग से पीड़ित गाय

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। कोटा में सड़कों पर लावारिस घूमने वाली गायों में लंपी रोग समुचित देखरेख के अभाव में सबसे अधिक तेजी से फैल रहा है और सबसे बड़ी आशंका इस बात को लेकर है कि शहर की सड़कों-गलियों में बेलगाम घूमने वाली यह गायें अन्य घरेलू गायों में इस संक्रामक रोग के फैलने की वाहक बन सकती हैं। कोटा शहर के नजदीकी बोराबास गांव में लंपी रोग से संक्रमित मवेशी मिलने की घटना ने पशुपालकों की चिंता और बढ़ा दी है और प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि लंपी संक्रमित कुछ गायों को इलाज के लिए कोटा में किशोरपुरा स्थित नगर निगम संचालित गौशाला के ही एक हिस्से में रखा जा रहा है। हालांकि यह हिस्सा मूल गौशाला से अलग है, लेकिन लंपी रोग के संक्रामक होने के कारण यहां रखी गई अन्य स्वस्थ गायों के भी इससे संक्रमित होने की आशंका बनी रहेगी।

गौशाला में लंपी रोग से पीड़ित कुल 8 गायों को रखा

कोटा नगर निगम दक्षिण की ओर से किशोरपुरा में संचालित गौशाला में शुक्रवार तक लंपी रोग से पीड़ित कुल 8 गायों को रखा हुआ है और यह सभी वे गाये हैं जिन्हें शहर में लावारिस छोड़ा हुआ था और इन्हें पकड़कर पहले इलाज के लिए कोटा में मोखापाड़ा स्थित सरकारी पशु चिकित्सालय ले जाया गया जहां उनका इलाज तो शुरू किया गया लेकिन जगह की कमी का हवाला देते हुए पशु चिकित्सा विभाग के हाथ खड़े कर दिए जाने के बाद इन सभी को किशोरपुरा लाकर गौशाला में रखा गया है।

गौशाला अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह जीतू

इस बारे में कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू ने बताया कि यहां लंपी रोग से संक्रमित कम से कम 8 गायों को अलग से बाड़े में रखा गया है। नगर निगम की ओर से नियुक्त सेवानिवृत्त पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. नंदकिशोर के अलावा सरकारी पशु चिकित्सालय की टीम भी नियमित रूप से यहां आकर लंपी संक्रमित गायों का इलाज कर रही है और निगम की ओर से समयबद्ध तरीके से किशोरपुरा और बंदा धर्मपुरा के गौशालाओं को सेनेटाइज्ड़ करवाया जा रहा है लेकिन लंपी के संक्रामक रोग होने के कारण यहां रखे गए अन्य मवेशियों में इसके फैलने की आशंका से तो मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।

शहर के विभिन्न हिस्सों से घेरकर लाये गये 215 मवेशी

श्री जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि लंपी संक्रमित गायों के अलावा शहर के विभिन्न हिस्सों से घेरकर लाये गये 215 मवेशी भी किशोरपुरा गौशाला में है। चूंकि लंपी रोग से संक्रमित गायों को शहर के अलग-अलग स्थानों से लाकर गौशाला में रखा गया है। ऐसे में यह शहर में कितनी अन्य गायों के संपर्क में आई होगी, इस बारे में पक्के तौर पर कुछ भी बता पाना संभव नहीं है इसलिए इस रोग से अन्य गायों को बचाने के लिए पशुपालन विभाग को कोटा में व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू करना चाहिए। शहर के आवासीय क्षेत्रों में इक्का-दुक्का मवेशी पालने वाले लोगों को भी इस रोग के बारे में जागरुक किए जाने की महत्ती आवश्यकता है।

पशु चिकित्सालय खोले जाने का अनुरोध

श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोटा की किशोरपुरा और बंधा-धर्मपुरा की दोनों प्रमुख सरकारी गौशालाओं को अकेले मोखापाड़ा स्थित सरकारी पशु चिकित्सालय के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता इसलिए उन्होंने नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल से किशोरपुरा और बंधा-धर्मपुरा की गौशालाओं में अलग से पशु चिकित्सालय खोले जाने का अनुरोध किया था। वैसे भी बंधा-धर्मपुरा में गौशाला के अलावा प्रदेश की एकमात्र हाईटेक देवनारायण पशुपालक एकीकृत आवास योजना में पशुपालकों को कब्जे दिए गए हैं व वहां बड़ी संख्या में मवेशी है। श्री धारीवाल ने दोनों जगह पशु चिकित्सालय खोलने का आश्वासन दिया है। श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि लंपी रोग से प्रभावित गोवंश को किशोरपुरा गौशाला में रखना सुरक्षित नहीं है इसलिए वे कोटा नगर निगम (दक्षिण) के आयुक्त राजपाल सिंह से आज-कल में बातचीत करके चंबल गार्डन में मैरिज हॉल के पास खाली पड़े स्थान से कबाड़ा हटवा कर वहां उन्हें स्थानांतरित करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि गौशाला के अन्य मवेशियों को संक्रमण से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग के पास पॉल्ट्री स्टेट के समीप उनकी अपनी खाली जमीन है, लेकिन विभाग जिम्मेदारी लेने को तैयार ही नहीं है।

अब तक तकरीबन 45 हजार गायों का टीकाकरण

इस बीच शहर से सटे बंधा-धर्मपुरा गांव में करीब तीन दर्जन गायों के लंपी वायरस से संक्रमित पाए जाने से पशुपालकों में चिंता बढ़ गई है क्योंकि इस क्षेत्र में कोटा जिले के सबसे अधिक पशुपालक रहते हैं जिन्होंने हजारों की तादाद में दुधारू मवेशी पाल रखे हैं। यहां के नया गांव आवली-रोझड़ी, बोराबास, मंड़ाना, केबल नगर आदि ऐसे प्रमुख स्थान हैं जहां बड़ी संख्या में पशुपालक रहकर पशुपालन करते हैं। कोटा जिले में पहले चरण में 40 हजार टीके लगने के बाद अब दूसरे चरण के लिए 40 हजार गोट पॉक्स के टीके और मिले हैं और अब तक तकरीबन 45 हजार गायों का टीकाकरण हो चुका है।
जबकि कोटा जिले में दो लाख से भी अधिक गाये हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

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