
-धीरेन्द्र राहुल-

नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि नई दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद वे अगले तीन साल में यमुनाजी का शुद्धिकरण कर देंगे। कहने का मतलब यह कि डबल इंजिन की सरकार लाओ और साफ यमुना पाओ।
नई दिल्ली में अगर खुदानाखास्ता फिर से केजरीवाल की सरकार बन गई तो यमुना साफ होने वाली नहीं है और उसमें अमोनियायुक्त जहरीला झागदार पानी बहता ही रहेगा।
लेकिन यहां राजस्थान में तो पिछले एक साल से डबल इंजिन की सरकार है, फिर चम्बल क्यों अशुद्ध है? उसमें 18 से भी अधिक गंदे नाले क्यों गिर रहे हैं? उनके पानी को शोधित करने के लिए हमारे जनप्रतिनिधि क्या कर रहे हैं?
ऐतिहासिक किशोरपुरा दरवाजा के पास से जब भी गुजरता हूं तो चम्बल नदी में मिल रहे साजीदेहड़ा नाले में तैरती गन्दगी को देखकर मन क्षोभ से भर उठता है। यहीं वह स्थान है जहां से दायीं मुख्य नहर निकलती है जो चम्बल का दूषित जल मुरैना, श्योपुरकलां तक पहुंचाती है।
इस मेन कैनाल के किनारों पर सैकड़ों गांव बसे हैं, जहां के लोग नहर में नहाते धोते हैं।उन्हें शायद पता भी नहीं होगा कि वे नए कोटा के गटर के पानी में स्नान कर रहे हैं।
साजीदेहड़ा नाले के पानी का शुद्धिकरण बड़ा सवाल है लेकिन उस पर तैरती गंदगी को साफ करना तो खर्चीला काम नहीं है।
किशोरपुरा का यह स्थान दोनों नगर निगम दफ्तरों से बमुश्किल 300 मीटर दूर भी नहीं होगा लेकिन हमारे महापौर, उपमहपौर और 150 पार्षदों को यह तैरती गंदगी क्यों नहीं दिखाई देती? इसे साफ करने के लिए सिर्फ एक जेसीबी, दो ट्रैक्टर ट्राली और पांच सफाईकर्मयों की जरूरत है। हजारों करोड़ के बजट की भी जरूरत नहीं है। सिर्फ अपने संसाधनों को महीने में दो दिन लगाने से भी यह काम हो सकता है।
शांति धारीवाल ने डेढ़ हजार करोड़ के काम चम्बल रिवर फ्रंट पर करवाए और एक नायाब अजूबा शहर में बना दिया है लेकिन खेद है कि चम्बल की सफाई की ओर भी उनका ध्यान नहीं था।
महामहिम ओम बिरलाजी चाहे तो भारत सरकार से विशेष प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाकर चम्बल में गिरने वाले नालों का रूख मोड़ सकते हैं लेकिन वे कभी भी इसका जिक्र नहीं करते।
अब कोटा दक्षिण के भाजपा विधायक संदीप शर्मा से थोड़ी बहुत आस बंधी है। वे कहते हैं कि चम्बल नदी में गिरने वाले नालों को रोकने के प्लान और चम्बल शुद्धिकरण प्रोजेक्ट को लेकर सरकार से सवाल पूछेंगे? हमारा संदीपजी से कहना है कि केवल प्रश्न पूछने तक सीमित न रहे। चम्बल शुद्धिकरण का प्रोजेक्ट बनवाइए और उसे स्वीकृत भी करवाइए।
पिछले दिनों भास्कर ने एक रिपोर्ट छापी थी, चम्बल में जहां से शहर को पीने का पानी सप्लाय हो रहा है, वहां तक गंदे नाले गिरने लगे हैं। यानी समस्या विकराल रूप धारण करे, उसके पहले ध्यान देने की जरूरत है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)
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