-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में राज्य सरकार व वन्यजीव विभाग के पास यह नायाब अवसर है जब प्रदेश की किसी अभयारण्य में पूरी दुनिया से लगभग लुप्त प्राय होते जा रहे चीतों को बसाने का सपना साकार हो सकता है क्योंकि नामीबिया (दक्षिण अफ्रीका) से आए विशेषज्ञों के दल ने भारत का दौरा करने के बाद कोटा जिले के दरा के अभयारण्य को चीतों के प्राकृतिक आवास के लिए सबसे अधिक बेहतर स्थान पाया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आमंत्रण पर पिछले महीने दक्षिण अफ्रीकी महाद्वीप के देश नामीबिया की चीतों के संरक्षण-पुनर्वास की दृष्टि से काम करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम ने चीतों के पुनर्वास के स्थानों का आकलन करने के लिए भारत के तीन अभयारण्य क्षेत्रों कुनो नेशनल पार्क, गांधी सागर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क का दौरा किया था। इन तीनों वन्य जीव अभयारण्यों क्षेत्र में से केवल मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क राजस्थान में है जो कोटा, झालावाड़ जिले और चित्तौड़गढ़ जिले में रावतभाटा के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। शेष दोनों अभयारण्य पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश में है।
भारत में चीते को वर्ष 1952 में ही विलुप्त वन्य जीव घोषित कर दिया
आधिकारिक जानकारी के अनुसार नामीबिया के विशेषज्ञों की एक टीम ने इन तीनों अभयारण्यों का 12 से 21 जून तक 10 दिन के गहन अध्ययन करने के बाद मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क में भी केवल दरा अभयारण्य क्षेत्र के 80 वर्ग किलोमीटर के क्लोजर एरिया को चीतों के पुनर्वास एवं विचरण के लिए सबसे अधिक उपयुक्त स्थान पाया था। उल्लेखनीय है कि भारत में चीते को वर्ष 1952 में ही विलुप्त वन्य जीव घोषित कर दिया गया था व शेष दुनिया में भी केवल दक्षिणी अफ्रीका के ट्रांसवाल प्रांत, नामीबिया और उसके पड़ोसी देश बोत्सवाना, जिंबाब्वे में इसका अस्तित्व बाकी रह गया है। पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमियों की पिछले कई सालों से लगातार मांग के बाद भारत सरकार ने देश के कुछ अभयारण्य में फिर से चीते बसाने के बारे में गंभीरता से प्रयास शुरू किया था।
नामीबिया से 35 से 40 चीते भारत लाने पर सैद्धांतिक सहमति
नामीबिया (नाम्बिया) के विशेषज्ञों की टीम के पिछले माह भारत दौरे से पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, मध्यप्रदेश वन्यजीव विभाग और भारतीय वन्य संस्थान(ड़ब्लयूआईआई) ने फरवरी माह में नामीबिया का दौरा किया था। इस मामले में यह भारत की पहली अधिकारिक यात्रा थी और राजस्थान में चीते बसाने की विपुल संभावना होने के बावजूद राज्य सरकार के शुरू से ही नकारात्मक रवैए के कारण यहां के विभागीय अधिकारियों को इस दौरे में शामिल करना तक जरूरी नहीं समझा गया। इस टीम के दौरे में नामीबिया से 35 से 40 चीते भारत लाने पर सैद्धांतिक सहमति बनी थी जिस पर एक लिखित समझौता होना प्रस्तावित किया गया था और इसी के तहत नामीबिया की टीम ने पिछले माह दरा सहित दो अन्य राज्यों के दो अभयारण्यों का दौरा किया था।
दरा को सर्वाधिक उपयुक्त माना
आधिकारिक जानकारी के अनुसार नामीबिया से आई टीम ने अपनी रिपोर्ट में दरा के 80 वर्ग किलोमीटर के क्लोजर को चीतों के पुनर्वास के लिए सबसे अधिक उपयुक्त स्थान-प्रजनन क्षेत्र माना था क्योंकि यहां बेहतरीन प्रे-बेस है जहां पर्याप्त संख्या में चिंकारा, नीलगाय, जंगली सूअर, खरगोश आदि वन्यजीव है, लेकिन इस रिपोर्ट में क्लोजर की टूटी हुई फ़ेंसिंग-दीवार की मरम्मत व आवारा कुत्तों के प्रवेश पर रोक की आवश्यकता जताई थी जो कोई कठिन काम नहीं है। इस टीम ने सिफारिश की थी कि दरा का यह क्लोजर दो मादा और एक नर चीते के पुनर्वास के लिए सबसे अधिक उपयुक्त स्थान है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज मंत्री रहे और वर्तमान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ चीतों के पुनर्वास की लगातार मांग करते रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले दो-तीन सालों में राजस्थान के मुख्यमंत्री जो वाइल्ड़ लाइफ़ बॉर्ड़ के अध्यक्ष भी है व वन मंत्री सहित स्थानीय सांसद,केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री और विभागीय अधिकारियों को पत्र भी भेजे हैं, लेकिन इस बारे में अभी तक सरकारी स्तर पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।