जालौर की घटना से आहत अटरू के कांग्रेस विधायक पानाचंद का इस्तीफा

मेघवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से दलितों पर अत्याचार की घटनाये लगातार बढ़ रही है जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान किया था, उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है। दलितों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में पुलिस जांच के बाद अंतिम प्रतिवेदन (एफआर) लगा देती है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। कोटा। राजस्थान के जालौर में एक निजी स्कूल के हैड़मास्टर छैल सिंह के दलित वर्ग के एक छात्र इंद्र कुमार मेघवाल (8) की पिटाई किये जाने की घटना को लेकर विवाद तूल पकड़ता जा रहा है ओर इसी क्रम में बारां जिले के अटरू विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक पानाचंद मेघवाल ने दलित छात्र की अध्यापक द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना के विरोध में आज विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेज दिया। दो दिन पहले ही छात्र की मौत के बाद स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री को पत्र के जरिये अपना इस्तीफ़ा भेजकर पाना चंद मेघवाल इस मामले को राजनीतिक तूल देने की कोशिश कर रहे है क्योंकि वे पिछली दो बार से आरक्षित अनुसूचित जाति वर्ग की अटरू सीट से चुनाव जीतते आ रहे है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आज 15 अगस्त को भेजे पत्र में विधायक पानाचंद मेघवाल ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हो रहे अत्याचार से उनका मन काफ़ी आहत है। उनका समाज आज जिस तरह की यातनाएं झेल रहा है, उसका दर्द शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

फाइलों को इधर से उधर घुमा कर न्यायिक प्रक्रिया को अटकाया जा रहा

मेघवाल ने इस बात पर रोष प्रकट किया कि प्रदेश में दलितों और वंचितों को मटकी से पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी पर चढ़ने और मूंछ रखने पर घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। जांच के नाम पर फाइलों को इधर से उधर घुमा कर न्यायिक प्रक्रिया को अटकाया जा रहा है। मेघवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से दलितों पर अत्याचार की घटनाये लगातार बढ़ रही है जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान किया था, उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है। दलितों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में पुलिस जांच के बाद अंतिम प्रतिवेदन (एफआर) लगा देती है। कई बार ऐसे मामलों को उन्होंने विधायक के रुप में राजस्थान विधानसभा में उठाया है, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस प्रशासन हरकत में नहीं आया है।
मेघवाल ने अपने पत्र में कहा है कि- “जब हम हमारे समाज के अधिकारों की रक्षा करने एवं उनके उन्हें न्याय दिलाने में नाकाम होने लगे तो हमें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए मैं अपनी अंतरात्मा की आवाज पर विधायक पद से इस्तीफा देता हूं।” उन्होंने मुख्यमंत्री से विधायक पद से इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा कि वे बिना पद पर रहते हुए समाज के वंचित और शोषित वर्ग की सेवा करते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि पानाचंद मेघवाल अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित अटरू विधानसभा सीट से पिछले दो बार से लगातार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने जाते रहे हैं। उन्हे खनन एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया का काफी नजदीकी माना जाता है। पूर्व में वे बारां जिला कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

राज्य सरकार ने इस घटना को काफी गंभीरता से लिया है -धारीवाल

इस बीच कोटा में नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने जालौर में एक हेड मास्टर के मटकी से पानी पीने पर दलित छात्र की हत्या की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस घटना को काफी गंभीरता से लिया है और मुख्यमंत्री ने आरोपी को यथा शीघ्र सजा दिलवाने के लिए इस मामले की केस ऑफिसर स्कीम के तहत जांच करवाने के आदेश दिए हैं। आरोपी गिरफ़्तार हो चुका है व यह संतोष की बात है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिये राज्य सरकार प्रयासरत है और दोषी को उसके अपराध के लिए सजा दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस मामले को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही काफी गंभीरता से ले रहे हैं और उन्होंने जालौर जिला प्रशासन को इस मामले में सख्ती से कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी इस मसले को मुद्दा बनाने पर तुली हुई है। इस बात पर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विपक्ष के नाते उन्हें भारतीय जनता पार्टी के दलित छात्र के हत्या के मामले को मुद्दा बनाए जाने पर कोई एतराज नहीं है लेकिन ऐसी घटनाएं पूरे देश में होती रहती हैं और हमेशा की तरह यह घटना भी निंदनीय है।राज्य सरकार भी इसकी कड़े शब्दों में आलोचना करते हुये इस पर सख्ती से कार्यवाही कर रही है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग भी इस मामले में प्रसंज्ञान ले चुका है और इस प्रकरण की जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले में राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है और अपनी तरफ से एक टीम 16 अगस्त को राजस्थान भेजने के निर्देश दिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments