द ओपिनियन डेस्क
बिहार में राजद-जदयू नीत महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही मंत्रिमंडल के गठन की कवायद तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मंत्रिमंडल विस्तार पर जरूरी मंत्रणा के लिए दिल्ली दौरे पर हैं। मीडिया में आई खबरों के अनुसार शुक्रवार शाम उनकी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात का कार्यक्रम है। समझा जाता है कि कांग्रेस ने अपने लिए सम्मानजनक हक मांगा है। विधानसभा के मौजूदा गणित के अनुसार कांग्रेस को 4 मंत्री पद मिल सकते हैं। संभव है मंत्रियों की संख्या और विभागों के बंटवारे पर तेजस्वी की सोनिया गांधी के साथ चर्चा हो। मंत्रिमंडल विस्तार के तार उलझने की संभावना कम ही है। उम्मीद है कि मसला सहज रूप से हल हो जाएगा। बिहार विधानसभा का विशेष सत्र 24 अगस्त से शुरू होगा।
तेजस्वी की यह दिल्ली यात्रा बहुत अहम
नीतीश कुमार के पुन: सीएम पद की शपथ लेने के बाद मीडिया में आई खबरों के अनुसार नीतीश ने भाजपा से नाता तोडऩे से पहले सोनिया गांधी से फोन पर बात की थी। समझा जाता है कि स्वास्थ्य के हालचाल जानने के साथ ही संभावित बदलाव की पटकथा भी लिखी गई। इसलिए तेजस्वी की यह दिल्ली यात्रा बहुत अहम है। तेजस्वी मंत्रिमंडल विस्तार से पहले अपने पिता लालू प्रसाद यादव से भी मुलाकात करना चाहेेंगे। वे पार्टी के अन्य नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। तेजस्वी के सामने अब इस गठबंधन को अहम के टकराव से बचाकर सुशासन की पटरी पर ले जाने की चुनौती है। वे चाहेंगे कि मंत्री पद को लेकर मनमुटाव व कलह का कोई संदेश विपक्षी खेमे में नहीं जाए। उन्हें सधे कदमों से नई सधी शुरुआत करने ही। सत्ता में बड़ी भागीदारी भी राजद के हिस्से में आने वाली है। इसलिए हर विभाग कद पर बात भी होने के आसार हैं।
मंत्री बनाने का निर्णय संबंधित पार्टी ही करेगी
बिहार में अभी विपक्षी एकता को जोडऩे का सबसे बड़ा सूत्र भाजपा का डर है। नीतीश को डर था भाजपा पार्टी तोड़ सकती है। उन्होंने यू टर्न ले लिया। इसलिए नए महागठबंधन के मंत्रिमंडल का विस्तार सहज रूप से हो जाने के आसार हैं। कौन सी पार्टी किसको मंत्री बनाएगी यह संबंधित पार्टी को ही तय करना है। लगता है विश्वास मत हासिल करने से पहले यह तस्वीर साफ हो जाए। मौजूदा संभावनाओं के अनुसार जनता दल यूनाइटेड को 11 से 13 मंत्री मिल सकते हैं। इनमें पहले के मंत्रियों के अलावा उपेंद्र कुशवाह को भी शामिल किया जा सकता है। वहीं, राजद के खाते में 20 पद आ सकते हैं। इसके अलावा कांग्रेस को 4, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 1 और निर्दलीय को एक 1 स्थान मिल सकता है।
अध्यक्ष भी बदले जाने के आसार
बिहार में महागठबंधन की नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद अध्यक्ष के बदले जाने के आसार हैं। अब देखना यह है कि क्या वे अपने पद से इस्तीफे देकर नए व्यक्तियों के चुनाव के लिए रास्ता साफ कर देंगे या फिर नौबत अविश्वास प्रस्ताव की आएगी। क्योंकि सत्ता के समीकरण बदल गए तो अध्यक्षों का बदला जाना स्वाभाविक है।