-देवेन्द्र कुमार शर्मा-
पक्षियों की दुनिया भी निराली है। इनका रंग रूप और व्यवहार पक्षी प्रेमियों के लिए हमेशा कौतुहल का विषय रहा है। मैं एक दुर्लभ पक्षी के बारे में बताता हूँ जिस का हिन्दी नाम चातक, पपीहा या काला पपहिया है और अंग्रेजी में इसे Jacobin Cuckoo या Pied Cuckoo कहते हैं। ये जब बोलता है तो पीहू पीहू की आवाज़ निकालता है। इस की इस आवाज को सुन कर कवियों ने कई गीत लिखे हैं। मुझे 1963 की फिल्म Holiday in Bombay का गीत याद आ रहा है… पीहू पीहू पपीहे न बोल…

वर्षा का सन्देश

श्वेत श्याम रंग का करीब एक फुट लम्बा ये पक्षी देखने में बहुत सुन्दर लगता है। इस का दिखना वर्षा का सन्देश होता है और ये हमेशा सही साबित होता है। इस के सर पर खडे पंख होते हैं जिसे अंग्रेजी में क्रेस्ट (Crest) कहते हैं। वैसे हमारी पौराणिक कथाओं में चातक या पपीहा उस पक्षी को कहते हैं जो सिर्फ आसमान से गिरने वाले वर्षा के पानी की बंूदों को ही पीता है। लेकिन मुझे इस पपीहे को पानी पीते देखने का सौभाग्य अभी तक नहीं मिला।

ब्रूड परजीवी

जंगल बेबलर

Cuckoo फॅमिली के जो पक्षी होते हैं उन्हें मैं चालाक या धूर्त ही कहूँगा। ये इसलिए कि ये पक्षी अपने अंडे उस पक्षी के घोंसले में रख देते हैं जिसके अंडे उनके अण्डों के आकार और रंग के ही होते हैं। जिस पक्षी के घोंसले में ये अंडे रखते हैं वो पक्षी अपना इन्हें अपना समझ कर पालते हैं। इस तरह कोयल अपने अंडे कौवे के घोंसले में रख देती है। जेकोबीन कुक्कू अपने अंडे जंगल बेब्लर के घोंसले में रख देते हैं और वो बेब्लर इनको अपना समझ कर पालता है। बड़े हो कर ये बच्चे उड़ जाते हैं। इन पक्षियों की ऐसे व्यवहार को Brood parasitism या ब्रूड परजीवी कहते हैं। इस में इन पक्षियों का कोई दोष नहीं है। इन्हें प्रकृति ने जैसा बनाया है वैसा ही वो व्यवहार करते हैं।

(लेखक पर्यावरण, वन्य जीव एवं पक्षियों के अध्ययन के क्षेत्र में कार्यरत हैं)

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