मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित न करने की नीति पर कायम है भाजपा

हालांकि अभी अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा की ओर से चुनाव संचालन समिति के प्रभारी के नाम की घोषणा होना बाकी है और यह किसी भी राज्य की विधानसभा चुनाव की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण समिति होती है और आमतौर पर यही माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति को इस समिति का प्रभारी बनाया जाता है,चुनाव होने के बाद यदि राज्य में पार्टी की सरकार बनने की स्थिति बनती है तो वह मुख्यमंत्री पद का नैसर्गिक दावेदार होता है लेकिन अभी इस समिति का गठन नहीं किया गया है।

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-अगले चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में जनमत जुटाने के लिए परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की जा रही है, लेकिन इन यात्राओं का नेतृत्व ऐसे किसी भी नेता को नहीं सौंपा गया है जो विधानसभा चुनाव के बाद यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने की स्थिति आती है तो मुख्यमंत्री पद का दावेदार हो सकता है। संकेत साफ है कि पार्टी अभी मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ने की जल्दबाजी में नहीं है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक तो अपनी इस नीति पर कायम रहता हुआ नजर आ रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी राजस्थान में किसी को भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार के रूप में पेश नहीं करेगी।
इसका आकलन इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए किया जा सकता है कि गुरूवार को राज्य के प्रभारी अरुण सिंह की ओर से अगले विधानसभा चुनाव में राज्य के जनमत को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में लाने की दृष्टि शुरू की जाने वाली परिवर्तन यात्रा को लेकर बनाए गए संयोजक के रूप में जिन नेताओं के नामों की घोषणा की गई है, उसको देखते हुए किया जा सकता है।
पार्टी की ओर से संयोजक के रूप में जिम्मेदारी जिन चार नेताओं को सौंपी गई है,उनमें से एक भी ऎसा सक्षम नेता नहीं है जो अगले विधानसभा चुनाव में यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने की स्थिति आती है तो मुख्यमंत्री पद का दावेदार हो। पार्टी की ओर से ऎसे नेताओं को संयोजक नियुक्त किया गया जो अपने बूते किसी भी पद की दौड़ में शामिल होने की उम्मीद ही नहीं कर सकते हैं और उन सभी नेताओं के नामों को दरकिनार किया गया है जो अपने आप को भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार समझे हुए हैं।
प्रदेश की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी और वर्तमान में भी अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनने की संभावित स्थिति में मुख्यमंत्री पद की नैसर्गिक दावेदार श्रीमती वसुंधरा राजे सहित जिन अन्य दावेदारों को इस यात्रा का प्रभार सौंपे जाने की उम्मीद थी,उनमें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष चंद्र प्रकाश जोशी को चारों दिशाओं में निकलने वाली इस यात्रा के स्वतंत्र प्रभार के दायित्व से मुक्त रखा गया है बल्कि उनके स्थान पर दूसरे दर्जे के नेता सी आर चौधरी, चुन्नीलाल गरासिया, अरुण चतुर्वेदी, राजेंद्र गहलोत को अलग-अलग यात्रा मार्गों का संयोजक बनाया गया है।
संकेत साफ है कि श्रीमती वसुंधरा राजे ही नहीं बल्कि प्रदेश का अन्य कोई नेता भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की दृष्टि से प्रदेश में भाजपा का मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा नहीं है।
हालांकि अभी अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा की ओर से चुनाव संचालन समिति के प्रभारी के नाम की घोषणा होना बाकी है और यह किसी भी राज्य की विधानसभा चुनाव की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण समिति होती है और आमतौर पर यही माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति को इस समिति का प्रभारी बनाया जाता है,चुनाव होने के बाद यदि राज्य में पार्टी की सरकार बनने की स्थिति बनती है तो वह मुख्यमंत्री पद का नैसर्गिक दावेदार होता है लेकिन अभी इस समिति का गठन नहीं किया गया है।
वैसे यदि राज्य में किसी पार्टी नेता की सर्वाधिक लोकप्रियता और सक्षम नेतृत्व की क्षमता को मापदंड माना गया तो श्रीमती वसुंधरा राजे इस चुनाव अभियान समिति के प्रभारी पद की इकलौती नैसर्गिक दावेदार होंगी लेकिन श्रीमती राजे की कितनी भी नैसर्गिक दावेदारी हो,भाजपा के ‘इकलौते आलाकमान’ नरेंद्र दामोदरदास मोदी सदैव उनके खिलाफ खड़े नजर आते हैं।

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