
-एक देश एक चुनाव पर मोदी सरकार का बड़ा दांव
-द ओपिनियन-
देश अब एक देश एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है। मोदी कैबिनेट ने बुधवार को इसको मंजूरी दे दी है। भाजपा ने 2024 के आम चुनाव में एक देश एक चुनाव का वादा किया था। एक दिन पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार 3-0 के 100 दिन के कामकाज पर रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए कहा था कि सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में एक देश एक चुनाव को लागू करेगी।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत माह लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘ का जिक्र किया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि लगातार चुनाव देश के विकास को धीमा कर रहे थे।
गृह मंत्री शाह के बयान के अगले दिन ही मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। हालांकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल एक देश एक चुनाव का विरोध कर रहे हैं। गत दिनों वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने भी इसके प्रति विरोध जताया था। उनका कहना था कि इसको लागू करने के लिए कम से कम पांच संविधान संशोधन करने पड़ेंगे और सरकार के पास इसके लिए जरूरी ताकत नहीं है। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और कैबिनेट ने उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया । रिपोर्ट बहुत विस्तृत है और 18,626 पेज की है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कैबिनेट ने मंजूरी तो दे दी पर इसके आगे का सफर आसान नहीं है। क्योंकि इसके लिए संविधान सशोंधन के साथ राजयों की मंजूरी भी जरूरी है। जिसके बाद ही इसे लागू किया जा सकता है।
हालांकि जेडीयू और एलजेपी समेत भाजपा के कई सहयोगी दल सरकार के इस कदम का समर्थन करते हैं। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहते हैं कि जेडीयू एनडीए की एक राष्ट्र-एक चुनाव योजना का पूरा समर्थन करता है। ऐसा करने से देश को न केवल लगातार चुनावों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि केंद्र स्थिर नीतियों और साक्ष्य-आधारित सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।