कोटा के मदर टेरेसा होम में एक असहाय बीमार की सेवा करते हुए कार्यकर्ता।

-पी के आहूजा-
आप जब भी किसी को देखकर मुस्कुराते हैं, यह उस व्यक्ति के प्रति आपके प्रेम का प्रतीक है। आपकी यही मुस्कुराहट सामने वाले के लिए एक तोहफा और बहुत ही खूबसूरत चीज है। दूसरों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए जीवन समर्पित करने वाली ऐसी ही महान हस्ती थीं मदर टेरेसा। दया, निस्वार्थ भाव और प्रेम की मूर्ति मदर टेरेसा की आज 26 अगस्त को जयंती है। चेरिटी ऑफ मिशन की संस्थापक मदर टेरेसा ने न केवल अपना पूरा जीवन गरीब, लाचार और बीमार लोगों की सेवा में गुजारा बल्कि हजारों ऐसे निस्वार्थ प्रेमियों को इस तरह की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा का ही परिणाम है कि आज हजारों की संख्या में लोग चैरिटी ऑफ मिशन के जरिये दुनिया भर में आशय लोगों की मदद कर रहे है।

मदर टेरेसा होम में दीन हीनों की सेवा करती नन।

26 अगस्त 1910 को अल्बानिया में जन्मी मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस था, वह अपनी मां और बहन के साथ चर्च में ईसा मसीह की महिमा के गाने गाती थीं। पिता के कम उम्र में निधन के बाद उनके परिवार को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पडा लेकिन उन्होंने अपनी मां की इस सीख को हमेशा ध्यान में रखा कि जो कुछ भी मिले उसे सभी के साथ मिलकर बांट कर खाओ। वह 18 वर्ष की उम्र में बपतिस्मा लेने के बाद नन बन गईं। वह आयरलैंड नन की ट्रेनिंग लेने आ गईं और फिर अपनी मां और बहन से नहीं मिलीं। वह 1929 में भारत मिशनरी स्कूल मे पढाने आईं और फिर यहीं की होकर रह गईं। उन्होंने कलकता में बंगाली लडकियों को शिक्षा दी। उन्होंने इस दौरान बंगाली के साथ हिन्दी भाषा पर भी अपनी अच्छी पकड बना ली।

ब्रह्माकुमारी मदर टेरेसा होम में रहने वाली बहन को राखी बांधते हुए।

कोलकाता में रहने के दौरान ही उन्होंने गरीबी, लाचारी, अज्ञानता, बीमारी और भूख को बहुत करीब से देखा। उन्होंने दुखियारे लोगों की मदद का फैसला किया और 1950 में मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना की। केवल एक दर्जन लोगों से शुरू हुई इस संस्था ने अनाथालय, नर्सिंग होम, वृद्ध आश्रम खोले और असहाय लोगों की मदद की। देश दुनिया में इस संस्था के हजारों कार्यकर्ता मदर टेरेसा के प्रभु की शरण में जाने के बावजूद उनके असहायों की मदद में जुटे हैं। करीब 120 देशों में इस संस्था के जरिए लोगों की मदद की जाती है।

(लेखक सामाजिक कार्यकर्ता हैं)

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