
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सेल्जर एरिया में गुरुवार को सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भोर नेशनल पार्क से एक बाघ टी-110 को लाकर छोड़े जाने के बाद रिजर्व में ओर बाघों लाकर आबाद करने की मांग जोर पकड़ने लगी। इस बीच कोटा के एक स्वयंसेवी संगठन पगमार्क फाउंडेशन ने यज्ञ आहूत करके मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ की आगत का स्वागत किया।

राजस्थान वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य और कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर में आज प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र में यह अनुरोध किया। उन्होनें कहा कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभयारण्य क्षेत्र के 80 वर्ग किलोमीटर के हिस्से में उन्होंने राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार से चीता बसाने की मांग की थी क्योंकि नामीबिया के चीता विशेषज्ञों ने भी इस अभयारण्य के 80 वर्ग किलोमीटर के एरिया को चीता बचाए जाने के लिए सर्वाधिक उपर्युक्त माना था लेकिन बाद में मध्य प्रदेश सरकार और वहां के वन्यजीव विभाग के प्रयासों एवं राजनीतिक कारणों से यह चीते अफ्रीकी महाद्वीपीय देश नामीबिया से लाकर मध्य प्रदेश के गुना जिले के एक कूनो अभयारण्य में बसाये गये और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी खुद नामीबिया से आए चीतो को एक बार फिर से भारत की धरती पर आबाद करने के इस अवसर का साक्षी बनने के लिए कूनो गए थे।
बाघ बसाने की प्रक्रिया को बढाया जाए
श्री भरत सिंह ने कहा कि दरा के 80 वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में चीता बसाने की उनकी मांग को तो पूरा नहीं किया गया लेकिन अब जबकि कोटा और झालावाड़ जिलों में विस्तृत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में अन्य अभयारण्य से लाकर बाघ बसाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है तो इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया जाना चाहिए और क्योंकि चीते ही नही बल्कि बाघों को बसाने के लिए इस टाइगर रिजर्व का दरा अभयारण्य क्षेत्र वाला हिस्सा बहुत अधिक मुफीद है तो वहां रणथम्भोर नेशनल पार्क से और अधिक संख्या में बाघ लाकर बसाये जाने चाहिए।
वन-वन्यजीव-पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से बाघो की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण
श्री भरतसिंह ने कहा कि वन-वन्यजीव-पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से किसी भी अभयारण्य क्षेत्र में बाघो की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है और इसी लिहाज से यह तय है कि यदि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में और अधिक संख्या में बाघ लाकर बसाये गए तो निश्चित रूप से यहां वन-वन्य जीव-पर्यावरण के संरक्षण-संवर्धन की दृष्टि से यह अहम फैसला साबित होगा।
श्री भरत सिंह ने कहा कि बाघों को अन्यंत्र स्थान से लाकर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बसाया जाना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उनकी सुरक्षा और संरक्षण के प्रति वन्यजीव विभाग को जवाबदेह बनाया जाना भी जरूरी है और इसके बारे में पुख्ता बंदोबस्त किये जाने चाहिए। बाघों को भी किसी भी टाइगर रिजर्व में उतना ही ‘ वीआईपी ट्रीटमेंट ‘ दिये जाने की आवश्यकता है जितना कि किसी भी मुख्यमंत्री को उसके अपने राज्य में किसी क्षेत्र के दौरे के समय दिया जाता है। बाघों का विचरण वनों की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और इस अहम काम को जिम्मेदारी से निभाया जाना चाहिए।
रणथम्भोर नेशनल पार्क से एक बाघ टी-110 को सेलजर एरिया में छोड़ा गया
उल्लेखनीय है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व घोषित होने से पहले दरा अभयारण्य क्षेत्र में डेढ़ दशक से भी अधिक समय पहले देखे गए अंतिम बाघ ब्रोकन टेल के इस अभयारण्य क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाइन पर राजधानी एक्सप्रेस से टकराकर असमय काल-कवलित हो जाने की घटना के बाद कुछ अरसा पहले यहां चार बाघ-बाघिन आबाद थे और उनके दो शावक भी थे लेकिन वन्यजीव विभाग की नाकामियों के चलते इनमें से दो शावकों सहित एक बाघ-बाघिन की मौत हो गई और इतनी ही रहस्यमय परिस्थितियों में एक बाघ लापता हो गया जिसके बारे में पूरा अंदेशा है कि उसकी मौत हो चुकी है और यहां एक ही बाघिन एमटी-4 बची थी जिसका जोड़ा बनाने के लिए गुरुवार को रणथम्भोर नेशनल पार्क से एक बाघ टी-110 को कोटा लाकर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सेलजर एरिया में छोड़ा गया है।
मुकुंदरा की समृद्धि और बाघ के मंगल प्रवेश के लिए इस यज्ञ का आयोजन
इस बीच आज पगमार्क फाउंडेशन की ओर से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ टी-110 के शुभ-मंगल प्रवेश के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया। फाउंडेशन के संयोजक निमिष गौतम ने बताया कि काफी समय से बाघ की शिफ्टिंग का इंतजार किया जा रहा था और अब एक बाघ के आ जाने से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व एक बार फिर आबाद होने जा रहा है इसीलिए मुकुंदरा की समृद्धि और बाघ के मंगल प्रवेश के लिए इस यज्ञ का आयोजन किया गया। फाउंडेशन के सनी मालिक ने कहा कि अब रिजर्व में बाघ का कुनबा बढ़ेगा और टाइगर रिजर्व में जितने अधिक बाघ होंगे,पर्यटन भी उतना ही बढ़ेगा। फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाडा ने कहा कि मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के विकास की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन अभी प्रेबेस को बढ़ाने की दिशा में काफ़ी काम करना होगा। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व से गांवों के विस्थापन का है। इस काम में तेजी लाने की जरूरत है। वन और वन्य जीव संरक्षण के लिए इस मुकुंदरा हिल्स टाइगर एरिया में आबाद गांव को यहां से अन्यंत्र विस्थापित किए जाने की अहम आवश्यकता है ताकि यहां न केवल वन्यजीव स्वछंद माहौल में विचरण करे बल्कि पर्यावरण-पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए पेड़-पौधों को भी पालतू मवेशियों से बचाया जा सके।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)
मुकुंदरा अभयारण्य में बाघों की संख्या बढ़ाना न्यायोचित है ताकि देशविदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके लेकिन इससे भी अधिक जरुरी है बाघों को शिकारियों से संरक्षण,क्योंकि इससे पहले भी अभयारण्यों में कई बाघ शिकारियों के हत्थे चढ़ चुके हैं और इनकी संरक्षा में नियुक्त अधिकारी कर्मचारीयों हाथ मलते रह जाते हैं क्षेत्र के ग्रामीणों को बाघों की सुरक्षा में सहयोग के लिए विश्वास में लेना चाहिए ताकि इनके सहयोग से पोर्चरो पर निगरानी रखी जा सके