जयललिता की मौत को लेकर करीबी सहेली वीके शशिकला सहित चार के खिलाफ जांच की सिफारिश

- जस्टिस आरुमुगसामी जांच आयोग की विधानसभा में पेश रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, 4 दिसम्बर 2016 को हो गई थी जयललिता की मौत

tamilnadu vidhansabha
तमिलनाडु विधानसभा भवन

-विष्णुदेव मंडल-

चेन्नई। जस्टिस आरुमुगसामी आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री की करीबी सहयोगी वीके शशिकला और तीन अन्य पर संदेह जताया है। जयललिता की मौत की जांच के लिए गठित आयोग ने वी के शशिकला के अलावा डॉ केएस शिवकुमार, तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर की भूमिका पर अंगुली उठाई है। तमिलनाडु सरकार ने अरूमुगस्वामी आयोग की राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। एआईएडीएमके नेता रहीं जे. जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए बनाई गई जस्टिस आरुमुगसामी जांच आयोग की मंगलवार को विधानसभा में पेश रिपोर्ट में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। वर्ष 2016 में जयललिता की मौत के बाद तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार ने जस्टिस आरमुगसामी जांच आयोग का गठन किया था।

वीके शशिकला को ठहराया दोषी

इस रिपोर्ट में आयोग ने जयललिता की सहयोगी वीके शशिकला, जयललिता के डॉक्टर केएस शिवकुमार, उस समय के स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन और स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर की भूमिका पर अंगुली उठाते हुए जांच की सिफारिश की है। रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मृत्यु का समय अस्पताल द्वारा 5 दिसम्बर 2016 को 11.30 बजे घोषित किया गया, लेकिन सबूतों के आधार पर उनकी मौत 4 दिसम्बर 2016 को दोपहर 3 से 3.50 बजे के बीच हुई थी। यह रिपोर्ट अगस्त महीने में रिटायर्ड जस्टिस आरुमुगसामी ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को सौंप दी थी। इस आयोग का गठन तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम के अनुरोध पर किया गया था। आयोग को 22 सितंबर 2016 को जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने की परिस्थितियों, स्वास्थ्य की स्थिति सहित अन्य पहलुओं के जांच की जिम्मेदारी दी गई थी।

तमिल और अंग्रेजी में रिपोर्ट

आयोग की 608 पन्नों की रिपोर्ट तमिल और अंग्रेजी में है। रिपोर्ट को 159 लोगों के बयान के आधार पर तैयार किया गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों के पैनल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जयललिता का इलाज सही चिकित्सा पद्धति के अनुसार हुआ था। बता दें कि इसी रिपोर्ट के आधार पर ही अपोलो अस्पताल को भी क्लिन चिट दे दी गई थी।
रिपोर्ट के अन्य पहलू
– आयोग ने चिकित्सकीय सलाह के बावजूद एंजियोप्लास्टी नहीं करने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया
-अपोलो अस्पताल के प्रताप सी. रेड्डी से जांच की जाए
– 2012 में शशिकला के पोएस गार्डन लौटने के बाद भी उनकी और जयललिता के बीच संबंध ठीक नहीं थे
– शशिकला की मंजूरी के बाद ही जयललिता के उपचार को आगे बढ़ाया गया
– जयललिता के डॉक्टर को अस्पताल दाखिले से पहले उनकी बीमारी के बारे में पता था
– जिस फ्लोर पर जयललिता का इलाज अपोलो अस्पताल में चल रहा था, उस मंजिल पर 10 से अधिक कमरों में शशिकला के परिवार के सदस्य थे
– जया का इलाज कर रही डॉक्टरों की टीम में डॉ. समीर शर्मा को कौन लाया?
– डॉ वाईवीसी रेड्डी और डॉ बाबू अब्राहम ने पूर्व मुख्यमंत्री का लंबे समय तक इलाज किया और बॉम्बे, यूके और यूएस के डॉक्टरों से भी परामर्श लिया। लेकिन उनको एंजियो / सर्जरी करने का सुझाव मिलने के बाद भी दोनों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया, क्या यह किसी दबाववश था इसकी जांच होनी चाहिए?
– आयोग ने पूर्व मुख्य सचिव राममोहन राव की संदिग्ध भूमिका भी गहरा शक जताया है कि उनसे हुई महत्वपूर्ण चूक जयललिता की जिन्दगी से जुड़ी थी इसलिए उनके खिलाफ भी जांच होनी चाहिए।

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