
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
जब भी बच्चों को साइकिल पर घूमते या स्कूल जाते देखते हैं तो अनायास बचपन याद आ जाता है। एक समय था जब साइकिल भी लग्जरी थी। बच्चे तो क्या बडों को भी बडी मुश्किल से नसीब थी। जिस बच्चे को मौका मिल जाता था वह अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने निकल जाता था। तब साइकिल चलाने के अंदाज भी अलग अलग थे। जिनके पैर जमीन पर नहीं लगते थे तो कैंची साइकिल चलाते। जो गद्द्ी तक नहीं पहंुचते वेा डंडे पर दोनों ओर पैर करके पैडल मारते। लेकिनसतय के साथ स्कूटर-बाइक ने इसकी अहमियत खत्म कर दी। कॉलेज और ऑफिस तो दूर स्कूल जाने वाले बच्चे भी बाइक पर आ गए। लेकिन अब साइकिल का प्रचलन फिर बढने लगा है। चाहे एक्सरसाइज के लिहाज से हो या प्रदूषण के प्रति सतर्कता लोग इसे अपनाने लगे हैं।
यदि आप साइकिल चलाना शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके पफायदे भी जान लीजिए। सुबह नियमित साइकिलिंग से शरीर की मसल की मजबूती और लचीलापन, तनाव लेवल, शरीर के फैट लेवल में कमी, बीमारियों की रोकथाम और हल्की कार्डियो एक्सरसाइज है। साइकिलिंग फैट और कैलोरी को बर्न करने और वजन कम करने में मददगार है।

कोटा शहर में 1960के दशक में बहुत कम परिवारों के पास साइकिल हुआ करती थी, मोहल्ले में किराये की साइकिल मिल जाती थी इसलिए आम आदमी जरूरत के समय किराये की साइकिल ले जाते थे सम्भवतः अर्थाभाव के कारण किराये की साइकिल का प्रचलन अधिक था