
-द ओपिनियन-
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने एक बार फिर कामयाबी का परचम लहराया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ओशनसैट-3 सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण कर एक और लम्बी छलांग लगाई। ओशनसैट-3 के साथ आठ नैनों सेटलाइट का भी प्रक्षेपण किया गया है। इन नैनों सैटलाइट में से भूटान के लिए प्रक्षेपित किया गया एक खास रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट भी शामिल है। इसका नाम भूटानसैट दिया गया है, यानी ये भारत और भूटान का सैटेलाइट है। यह दोनों देशों के रिश्तों की एक अहम कडी है। भूटान के इस नैनो सैटेलाइट में रिमोट सेंसिंग कैमरे लगे हैं। इसके लिए भारत ने भूटान को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की थी। इस नैनो सैटेलाइट का काम कई तरह की जमीनी जानकारी देना है। रेलवे ट्रैक, पुल और अन्य जरूरी निर्माणों को लेकर इसकी मदद ली जाएगी। आज का यह प्रक्षेपण इसरो का इस साल का यह आखिरी मिशन बताया जा रहा है।
इन उपग्रहों को पीएसएलवी-सी54 रॉकेट से से प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि पीएसएलवी-सी54 ने ओशनसैट-3 सैटेलाइट को उसकी तय कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद कक्षा में पहुंचने पर ओशनसैट सफलतापूर्वक रॉकेट से अलग हो गया और उसे कक्षा में स्थापित कर दिया गया।। ओशनसैट-3 सैटेलाइट का प्रक्षेपण ओशनसैट-2 के खराब होने के बाद किया गया है। ओशनसैट-2 का प्रक्षेपण 2009 में किया गया था।
यह काम करेगा ओशनसैट-3 सैटेलाइट
ओशनसैट-3 सैटेलाइट की बात करें तो इसका काम समुद्री सतह के तापमान और इसे लेकर तमाम तरह की जानकारियों को इकट्ठा करना है। इससे प्रदूषण और हानिकारक तत्वों की जांच हो पाएगी। इस सैटेलाइट का वजन करीब 1 हजार किलो है.
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